सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे 1 मिनट 15 सेकेंड के गुजराती भाषा में बने इस वीडियो की शुरुआत इस वाक्य के साथ होती है, ‘शाम 7:00 बजे के बाद गुजरात में ऐसा हो सकता है।’ उसके बाद अजान ‘मस्जिद में होन वाली प्रार्थना’ की आवाज आती है। इसके बाद वीडियो में एक नौजवान लड़की सुनसान सड़क पर चली जा रही है। जैसे ही घर पहुंचती है मां—बाप बहुत घबराए हुए परेशान हालत में हैं। मां कहती है, ‘हतप्रभ हूं, क्या यही गुजरात है?’ पिता जवाब देता है, ’22 साल पहले ऐसा था गुजरात। अगर वह लौट आए तो फिर एक बार वैसा ही हो जाएगा।’ इसके बाद आखिर में भगवे रंग की पट्टी पर लिखा आता है, ‘अपना वोट, अपनी सुरक्षा।’
अखिलेश अखिल
देश में पहली दफा चुनावी राजनीति में गुजरात मॉडल का अवतरण हुआ। वह भी लोक सभा चुनाव 2014 में। बीते लोक सभा चुनाव से पहले देश के किसी भी आदमी को गुजरात मॉडल की जानकारी नहीं थी या होगी भी तो उसे राष्ट्रीय फलक पर लाने की कोशिश नहीं की गयी। जब 2014 के चुनाव में बीजेपी की तरफ से नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री का उम्मीदवार बनाया गया और पीएम की उम्मीदवारी लिए जब मोदी जी गुजरात से गुजरात मॉडल लिए दिल्ली और देश के इलाकों में पहुंचे तो मोदी जी के साथ ही गुजरात मॉडल भी देशमय हो गया ,राष्ट्रीय पहचान बन गया। मोदी जी देश के जिस इलाके में प्रचार करने पहुंचते सबसे पहले अपनी जेब से गुजरात मॉडल को निकालते और जनता से रूबरू कराते। मॉडल ऐसा सटीक दिखता कि देश की निरीह जनता आँखे तरेरे गुजरात मॉडल को ना सिर्फ आत्मसात करती वल्कि उसमे कुछ और मिर्च मसाला जोड़कर उसका आगे बखान भी करती। खेल ये हुआ कि राजनीति के जितने भी तीसमार गिरोहबाज नेता थे ,गुजरात मॉडल के सामने विलीन हो गए। किसी की कुछ नहीं चली। सब उलट गए ,सबके आंकड़े फेल हो गए ,सबकी जातिवादी गिरोहबाजी फुस हो गयी और मोदी जी के नेतृत्व में बीजेपी सत्तारूढ़ हो गयी। कोई भी राजनितिक गिरोह आजतक गुजरात मॉडल पर अभी तक शोध नहीं कर पायी है कि आखिर उस मॉडल में जनता को दिखा था जो देश के अन्य इलाके में नहीं है। उसी गुजरात मॉडल के दम पर बीजेपी ने कई और राज्यों में अपनी दस्तक दी और सरकार भी बनायी। करीब करीब सारे बड़े राज्यों में बीजेपी पहुंच गयी। यह बीजेपी का स्वर्णकाल रहा।
लेकिन अब जब गुजरात में चुनाव की बारी आयी है तो बीजेपी अपने उस गुजरात मॉडल को गुजराती समाज को नहीं दिखा पा रही है। जब गुजरात मॉडल के दम पर पुरे भारत में बीजेपी की सरकार बन सकती है तो फिर गुजरात मॉडल को गुजराती जनता परहेज क्यों कर रही है ? चुकी इस गुजरात चुनाव से मोदी जी और शाह जी की प्रतिष्ठा जुडी हुयी है इसलिए गुजरात चुनाव जितना बीजेपी के लिए जरुरी है। भले ही यहां गुजरात मॉडल काम करता नहीं दिखता हो लेकिन बीजेपी के पास चुनाव जितने के लिए कई और मॉडल भी उपलब्ध है। इधर गुजरात में जनता के बदले रुख को देखते हुए बीजेपी ने एक नया मॉडल जनता के सामने पेश करना शुरू किया है। यह बड़ा ही भयावह मॉडल है। बीजेपी वहाँ 22 साल पहले हुए फसाद का भय दिखाकर जनता से वोट की मांग करती फिर रही है। गुजरात में 22 साल पहले 2002 में जो दंगे हुए थे अब उसके सहारे बीजेपी जनता के बीच पहुँच रही है। विकास के नाम पर वोट मांग कर हतोत्साहित हो चुके भाजपा समर्थक अब मोदी के नाम पर दंगे की धमकी वाला वीडियो दिखाकर वोट मांग रहे हैं।
मानवाधिकार संगठन ह्युमन राइट लॉ नेटवर्क ‘एचआरएलएन’ के कार्यकर्ता और वकील गाविंद परमार ने चुनाव आयोग और क्राइम ब्रांच में शिकायत की थी कि नफरत फैलाने और गुजरात चुनाव को सांप्रदायिक बनाने के प्रयासों पर तत्काल रोक लगाई जाए। परमार की शिकायत के बाद गुजरात के मुख्य चुनाव आयुक्त बीबी स्वैन ने पुलिस को इस मामले में कार्यवाही के आदेश दे दिए हैं।
गोविंद परमार कहते हैं कि 85 सेकेंड के इस वीडियो में अगर पुलिस चाहे तो बनाने वालों को पकड़ना और सभी मीडिया माध्यमों पर इस विज्ञापन को रोकना कोई मुश्किल नहीं है। यह वीडियो प्रोफेशनल प्रोडक्शन हाउस से बनाया गया है, जो न सिर्फ हिंदू—मुस्लिम को बांटकर वोट मांग रहा है, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय को गुजरात चुनाव में डरा भी रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे 1 मिनट 15 सेकेंड के गुजराती भाषा में बने इस वीडियो की शुरुआत इस वाक्य के साथ होती है, ‘शाम 7:00 बजे के बाद गुजरात में ऐसा हो सकता है।’ उसके बाद अजान ‘मस्जिद में होन वाली प्रार्थना’ की आवाज आती है। इसके बाद वीडियो में एक नौजवान लड़की सुनसान सड़क पर चली जा रही है। जैसे ही घर पहुंचती है मां—बाप बहुत घबराए हुए परेशान हालत में हैं। मां कहती है, ‘हतप्रभ हूं, क्या यही गुजरात है?’ पिता जवाब देता है, ’22 साल पहले ऐसा था गुजरात। अगर वह लौट आए तो फिर एक बार वैसा ही हो जाएगा।’ इसके बाद आखिर में भगवे रंग की पट्टी पर लिखा आता है, ‘अपना वोट, अपनी सुरक्षा।’
नफरत फैलाकर वोट मांगने वाले इस कैंपेन में कहीं से भी भाजपा को वोट देने के लिए नहीं कहा जा रहा है, पर बहुत साफ है कि पिछले 22 वर्षों से किसके राज में 7 बजे के बाद अजान नहीं सुनाई दे रहा है, किसका राज आएगा तो फिर सुनाई देने लगेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)