रांची। रांची के सोहराय भवन में झारखंड मुक्ति मोर्चा की दो दिवसीय केंद्रीय समिति की बैठक पार्टी केंद्रीय अध्यक्ष दिशोम गुरू शिबू सोरेन के अध्यक्षता में हुई। पार्टी के तमाम नेताओं ने अपने विचार रखे। लोकसभा चुनाव पर चर्चा की गई और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति पर बातें हुईं। दो दिवसीय बैठक में मुख्य वक्ता के रूप में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन, उपाध्यक्ष चम्पाई सोरेन, हाजी हुसैन अंसारी, स्टीफन मराण्डी, साईमन मराण्डी, सांसद विजय हांसदा, मथुरा प्रसाद महतो, विधायक नलिन सोरेन, रविन्द्रनाथ महतो, जगरनाथ महतो, दीपक बिरूवा, जोबा माझी, सीता सोरेन, निरल पूर्ति, शशी भूषण सामड, दशरथ गगराई, चमरा लिण्डा, पौलुस सुरीन, कुणाल षाड़ंगी, पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम, शशांक शेखर भोक्ता, सभी कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारी, सदस्य, जिला अध्यक्ष, जिला सचिव सहित 304 केन्द्रीय समिति के सदस्य उपस्थित हुए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने दो दिवसीय केंद्रीय समिति की बैठके में राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया। जिसमें कहा गया कि राज्य विधान सभा का चुनाव पार्टी अपने नेता श्री शिबू सोरेन जी के मार्ग दर्शन में तथा श्री हेमन्त सोरेन जी के नेतृत्व में लडेगी। सम्पूर्ण विपक्ष सह पार्टी भी वत्र्तमान चुनाव व्यवस्था के विश्वसनियता पर गहराते जा रहे संदेह को आधार मान कर भविष्य में होने वाले सभी प्रकार के चुनाव बैलेट पेपर से कराने का माँग करती है। पार्टी भाजपा नित एन.डी.ए. के विरूद्ध राज्य के सभी विपक्षी दल जैसे भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस, झारखण्ड विकास मोर्चा आदि राजनैतिक दल सहित वामपंथी राजनैतिक दल एवं जन-संगठनों को एकजुट कर सशक्त रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लेती है एवं भाजपा के खिलाफ संयुक्त संघर्ष का नेतृत्व झारखण्ड मुक्ति मोर्चा करने का निर्णय लेता है।
झामुमो के राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य सरकार की सम्पूर्ण अकर्मण्यता एवं लापरवाही के कारण राज्य आज गंभीर विद्युत संकट एवं भयावह पेयजल संकट से जुझ रहा है। झारखण्ड की जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है और सरकार ईवेन्ट मैनेजमेन्ट के तहत कार्यक्रम आयोजित करने का कार्य कर रही है। विगत साढे चार वर्षों में बीस से ज्यादा मौत भुख के कारण हो गई है तथा चिकित्सा एवं दवा के आभाव में सैकड़ों जान अकाल काल के गाल में समा चुकी है, लेकिन सरकार मौन रह कर केवल घोषणाएं एवं प्रचार-प्रसार में व्यस्त है, जिसका पार्टी तीव्र भाषा में भर्तसना करती है। पेशा कानून को निष्क्रय कर ग्राम सभा का अस्तीत्व समाप्त कर राज्य सरकार विगत पाँच वर्षों से रैयतों की जमीन, मूलवासी-आदिवासी जनों के पहचान-सम्मान-संस्कृति एवं रोजगार को सुनियोजित तरिके से लुटने का काम कर रही है। जिसके खिलाफ मूलवासी-आदिवासियों ने व्यापक आक्रश व्याप्त है।
झारखण्ड के मूलवासी-आदिवासी जनों का माखौल उड़ाया जा रहा
झामुमो की ओर से कहा गया है कि निवेश एवं रोजगार के नाम पर मोमेन्टम झारखण्ड का आयोजन कर स्थानिय युवाओं को राजगार के नाम पर पलायन को विवश किया जा रहा है, स्थानियता के मानक वर्ष (ब्नज व िक्ंजम) 1985 को आधार बना कर झारखण्ड के मूलवासी-आदिवासी जनों का माखौल उड़ाया जा रहा है। खतियान धारी नौजवानों का हक मार कर राज्य सरकार बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी देने का कार्य कर रही है एवं राज्य के बाहर के एजेन्सियों को बुला कर सरकार के हर स्तर के कार्य को आउट-सोर्सिंग के द्वारा करवाने का कार्य किया जा रहा है, जो अत्यन्त दुर्भाग्य जनक है एवं स्थानिय मूलवासी-आदिवासी के आक्रोश का मूल कारण भी है।
राज्य में इस वर्ष भिषण गर्मी एवं मानसून की देरी तथा अनुमानित कमी को देखते हुए खरीफ फसल की खेती पर संकट का बादल मंडरा रहा है। लेकिन राज्य सरकार इतने गंभीर एवं संवेदनशील विषय पर मौन है एवं किसी प्रकार का निर्णय नहीं बना रही है। विगत 4 वर्षों में राज्य सरकार द्वारा घोषित किमत पर धान की खरीद में भारी घोटाला के साथ-साथ क्रय योजना विफल रही है। सिंचाई के आभाव में सिंचित खेत बंजर भूमि में तब्दील होते जा रही है। धान का बीज, खाद, किटनाशक दवाओं का आभाव एवं कृषि के लागत मूल्य का न मिलना तथा कृषि ऋण के नाम पर अमानविय कर्ज वसूली के कारण राज्य भर के दर्जन भर से भी ज्यादा विगत चार वर्षों में किसान आत्महत्या करने को मजबूर हुआ है एवं सरकार के द्वारा उनकी फसल बिमा का लाभ भी आज तक किसानों के बीच सम्पूर्ण रूप से वितरित नहीं हुआ है।
अविश्वसनियता का वातावरण गहराता जा रहा है, जो अत्यन्त ही चिन्ताजनक
झामुमो नेताओं ने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री के द्वारा बारबार सार्वजनिक मंचों से देश में उत्पन्न सामामजिक एवं धार्मिक उग्रता के विरूद्ध अपिल एवं सौहार्द के लिए कार्य योजना तैयार करने की बात तो कही जाती है, लेकिन देश के दलित, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक समुदाय पर लगातार वर्ण एवं धर्म के नाम पर अमानविय अत्याचार, मोब-लिंचिंग घटनाएं विगत पाँच वर्षों से बढती जा रही है। इसमें देश के साथ-साथ झारखण्ड राज्य भी शामिल है। दलित, आदिवासी पर दमन, जमीन की लूट अल्पसंख्यक संस्थाओं एवं ईबादतगाहों पर बेवजह दखल, धार्मिक भावनाओं पर प्रहार से समाज में व्यापक डर, संदेह एवं अविश्वसनियता का वातावरण गहराता जा रहा है, जो अत्यन्त ही चिन्ताजनक है। कौशल विकास, स्टार्टअप इण्डिया एवं मुद्रा लोन का छलावा देकर शिक्षित नौजवानों को बरगला कर सरकारी नियोजन से दूर किया जा रहा है। एस.एस.सी., जे.पी.एस.सी. जैसी सरकारी नियुक्ती संस्थानों को सुनियोजित तरिके से निष्क्रीय किया जा रहा है एवं व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। तृतीय वं चतुर्थ श्रेणी की नियुक्तियों, पुलिस बहाली, शिक्षक बहाली की प्रक्रियाओं को जटिल से जटिलतम किया जा रहा है। पारा शिक्षकों पर लगातार पाँच वर्षों से दमन चक्र जारी है। नौजवानों को धर्म एवं वर्ग के नाम पर उग्र बनाया जा रहा है। रोजगार उपलब्ध न होने के कारण नौजवान पलायन को बाध्य हो रहे हैं एवं आत्म हत्या कि ओर उत्प्रेरित भी हो रहे हैं।
इतना ही नहीं, महिलाओं पर विगत पाँच वर्षों से लगातार अमानवीय व्यभिचार की घटनाएं अप्रत्याशित रूप से बढ रही हैं। नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं और उसकी जघन्य हत्या की प्रवृत्ती बढते जा रही है एवं झारखण्ड राज्य इससे बुरी तरह जकड़ चुका है। बच्चा चोर, डायन-बिसाही के नाम पर उनके जायदाद पर कब्जा करने के नियत सेहमले तेज होते जा रहे हैं। सामाजिक बराबरी के नीति को तार-तार किया जा रहा है।
इसके साथ ही झामुमो के सांगठनिक प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि पार्टी के रिक्त सभी अनुसंगी वर्ग संगठन जैसे दलित-शोषित-पिछड़ा मोर्चा एवं छात्र मोर्चा का गठन शिघ्र कर लिया जाएगा। वग संगठनों के क्रियाकलापों की समिक्षा एवं निगरानी के लिए प्रभारी/समिति नियुक्त किये जाएंगे। जिला स्तर पर कार्यरत मूल संगठन सहित सभी वर्ग संगठनों के नियमीत समिक्षा के लिए प्रभारियों की नियुक्ति की जाएगी। विधानसभावार बूथ स्तरिय तीन दिवसीय कार्यकत्र्ता कार्यशाला सह प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर आयोजित किये जाएंगे।