Khabri की दृष्टिबाधितों के लिए कोविड-19 हेल्पलाइन को मिला भारी प्रतिसाद

नई दिल्ली। भारत के सबसे तेजी से बढ़ते हिंदी डिजिटल ऑडियो कंटेंट प्लेटफॉर्म Khabri ने #VoiceofBlnds कैंपेन का एक सफल महीना पूरा होने की घोषणा की है। यह महामारी के दौरान भारत के दृष्टिबाधित आबादी की जरूरतों को पूरा करने के विशेष कोविड-19 हेल्पलाइन पोर्टल / प्लेटफॉर्म है। 8 अप्रैल, 2020 से प्लेटफ़ॉर्म को हर दिन लगभग 2000-2200 सर्विस रिक्वेस्ट प्राप्त हुए हैं। अधिकांश अनुरोध (60%) महाराष्ट्र से आए, जो 15,000 से अधिक मामलों के साथ देश में कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है। कुल अनुरोधों में से लगभग 80% किराने और भोजन के लिए थे, जबकि 19% अनुरोध वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए थे।

इस पहल के माध्यम से Khabri ने कोरोनोवायरस के बारे में जागरूकता बढ़ाते हुए दृष्टिबाधितों की मदद की है। चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और वित्तीय पहलुओं को लेकर विशेषज्ञ सहायता प्रदान करने के साथ-साथ कंपनी ने सरकारी निकायों और कॉरपोरेट घरानों से दान या किसी भी अन्य तरह की मदद का स्वागत किया गया है ताकि वे यथासंभव योगदान देकर #VoiceofBlind अभियान का हिस्सा बन सकें।

 

 

Khabri ने समर्पित कंटेंट चैनल, लाइव काउंसिलिंग सेशन और सेलिब्रिटी के नेतृत्व में टॉक शो भी लॉन्च किया है ताकि भारत के दृष्टिबाधित समुदाय को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया जा सके।

 

Khabri के प्रेसिडेंट और सह-संस्थापक श्री संदीप सिंह ने अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए कहा, “कोरोनोवायरस ने कई लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है लेकिन दृष्टिबाधितों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों ने दृष्टिबाधितों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, जो जुड़े रहने के लिए पूरी तरह शारीरिक स्पर्श और अन्य इंद्रियों पर भरोसा करते हैं। भारत की दृष्टिबाधित आबादी की एक बड़ी संख्या आर्थिक रूप से भी प्रभावित हुआ है, जो जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। इस पृष्ठभूमि में हमारे हेल्पलाइन पोर्टल को दृष्टिबाधितों और नेत्रहीनों के समुदाय से भारी प्रतिसाद मिला है। कुछ कॉल अत्यधिक भावनात्मक और निराशाजनक थे और संकट में लोगों का असहाय होना बहुत दुखद था। उनमें से कुछ को जीवनरक्षक दवाओं की सख्त ज़रूरत थी, जबकि कुछ पारिवारिक स्तर पर परेशानी का सामना कर रहे थे जिसके लिए काउंसिलिंग की आवश्यकता थी। इसके अलावा वित्तीय और राशन की मदद सर्वोच्च प्राथमिकता थी। हम भाग्यशाली हैं कि हम अधिकांश समस्याओं को हल करने में सक्षम हो सके। कुछ मामलों में वास्तविक डॉक्टरों की आवश्यकता थी, जिसके बारे में हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे।”

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