मुंबई। युग बदला, हालात बदले, पर इश्क का अंदाज नहीं बदला। इश्क तड़पाता है, जलाता और डुबाता है। शायर जिगर मुरादाबादी ने सही लिखा है-ये इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजे इक आग का दरिया है और डूब के जाना है। सदियों से सिनेमा भी इश्क को साथ लेकर चलता आया है। इश्क पर कई गीत लिखे गए सिनेमा में। बहुतेरे हिट हुए हैं। बीते कई वर्षों से जिस तरह का संगीत रचा जा रहा है, उसमें उसमें इश्क को भी रीमिक्स के सहारे फूहड़ता परोसी जा रही है।
आज का फिल्मी संगीत
आज के फिल्मी में सिर्फ शोर-शराबा है, माधुर्य नहीं। इश्क से जुड़े गीतों में रूह गायब है। काव्यात्मकता ओझल हो गई है और ओझल हो गए हैं काबिल गीतकार और संगीतकार, जिनके जादुई स्पर्श से संगीत श्रृंगारित हो उठे।
संदीप गौर और गौरव चटर्जी की जोड़ी
निर्माता विनोद बच्चन की फिल्म गिन्नी वेड्स सनी के गीतकार संदीप गौर और संगीतकार गौरव चटर्जी की जोड़ी ने टाइटल गीत फूंक फूंक के जरिये इश्क को इस अंदाज में पेश किया है जिसे निभा पाना किसी चुनौती से कम नहीं। इस गीत को गाया है जतिंदर सिंह और नीति मोहन ने। गीत को सुनकर शायर जिगर मुरादाबादी की वो पंक्तियां जहन में दौड़ने लगी जिसमें उन्होंने इश्क को आग के दरिया समान बताया था।
दिल को छू लेने वाला संगीत
अर्से बाद श्रोताओं को ऐसा गीत सुनने को मिला है जिसमें शब्दों का जादू है। संदीप की पोइट्री ने गीत में चार चांद लगाए हैं। संदीप और गौरव की जोड़ी ने विज्ञापन जगत में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उम्मीद है अब सिनेमा में भी इनका संगीत श्रोताओं को पसंद आएगा।
अनुभवी टीम की मेहनत
संदीप का यह लॉन्चिंग गीत है। गौरव और संदीप का कहना है कि हम एक तरह से फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। हम विज्ञापन की दुनिया से आए हैं जहां क्वालिटी को प्रमोट किया जाता है। फूंक फूंक गीत को पिछले पांच सालों से बच्चे की तरह पाला है। डायरेक्टर पुनीत खन्ना जी को जब यह गीत सुनाया तो उन्हें यह काफी पसंद आया। उन्होंने गीत को और अधिक बेहतर बनाने के लिए अपना नजरिया पेश किया। इस तरह एक अनुभवी टीम की मेहनत रंग लाई जिसकी वजह से यह गीत रातों रात श्रोताओं की जुबान पर चढ़ गया।
– अनिल बेदाग