नई दिल्ली। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि भारत कच्चे तेल का उचित और अनुकूल मूल्य निर्धारित करने की ओर अग्रसर है। आज यहां आत्मनिर्भर भारत पर स्वराज्य वेबिनार में उन्होंने कहा कि एकाधिकार के दिन चले गए हैं, और अब उत्पादकों को उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखना होगा। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि भारत वर्तमान में दुनिया की प्राथमिक ऊर्जा का केवल 6 प्रतिशत उपयोग कर रहा है और उसकी ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत अभी भी वैश्विक औसत का एक तिहाई है। लेकिन, यह परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। भारत वैश्विक ऊर्जा मांग में वृद्धि को बढ़ावा देगा क्योंकि इसकी ऊर्जा खपत 2040 तक 3 प्रतिशत प्रति वर्ष तक बढ़ने का अनुमान है, जो दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज है। कुल वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा मांग में भारत की हिस्सेदारी 2040 तक दोगुनी होकर लगभग 11 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो मजबूत आर्थिक विकास से प्रेरित है।
श्री प्रधान ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की ऊर्जा खपत के बारे में एक स्पष्ट रोडमैप की कल्पना की है, जो कि पांच प्रमुख समर्थकों पर आधारित है- ऊर्जा उपलब्धता और सभी के लिए उसकी सुलभता, देश के गरीब-से-गरीब व्यक्ति की उस तक पहुंच, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा स्थिरता और ऊर्जा की सुरक्षा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत की ऊर्जा रणनीति के सात प्रमुख वाहकों पर प्रकाश डाला है। “2030 तक हमें 450 गीगावाट के अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने के अलावा, एकीकृत तरीके से गैस आधारित अर्थव्यवस्था, जीवाश्म ईंधन के स्वच्छ उपयोग, घरेलू ईंधन के रूप में जैव ईंधन पर अधिक निर्भरता और ईंधन के रूप में बिजली तथा हाइड्रोजन जैसे उभरते तत्वों के इस्तेमाल को बढ़ाने और सभी ऊर्जा प्रणालियों में डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित करना है। हमारा ऊर्जा एजेंडा समावेशी, बाजार आधारित और जलवायु के प्रति संवेदनशील है। हमने ऊर्जा परिवर्तन के लिए कई रास्ते अपनाए हैं।”
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि भारत देश में ऊर्जा अल्पता को समाप्त करने के लिए अपने ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़े परिवर्तनकारी बदलाव के बीच है। “ऐसा करते समय, हमारे दो उद्देश्य- स्वच्छ जीवाश्म ईंधन और हरे ईंधन की उपलब्धता व सामर्थ्य को बढ़ाना और सभी व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य ऊर्जा स्रोतों के स्वस्थ मिश्रण के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करना है। हमारी सरकार 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन की तीव्रता को 33 से 35 प्रतिशत तक कम करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। हम लगातार ऊर्जा नीति की पहल कर रहे हैं। हम अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे को विकसित कर रहे हैं, जो ऊर्जा उपलब्धता और ऊर्जा की उपलब्धता के सभी पांच प्रमुख समर्थकों पर आधारित है।’’ उन्होंने कहा कि गरीब से गरीब लोगों के लिए ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना, ऊर्जा उपयोग में दक्षता, एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ऊर्जा स्थिरता, और वैश्विक अनिश्चितताओं को कम करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा जरूरी है।
आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करते हुए, श्री प्रधान ने कहा कि भारत ने साहस और आत्मनिर्भरता की भावना के साथ कोविड-19 स्थिति का सामना किया है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तम्भ अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, जीवंत आबादी और मांग पर केन्द्रित हैं। “आत्मनिर्भर भारत पैकेज और प्रधानमंत्री ग्रामीण कल्याण योजना ने समाज के सभी वर्गों को राहत दी है और कोविड-19 महामारी के दौरान सभी क्षेत्रों को आवश्यक सहायता प्रदान की है। ये भारत को तेजी से भारतीय विकास की कहानी के अगले अध्याय को शुरू करने में सक्षम बनाएंगे। कोरोना वायरस महामारी के बीच हम भारतीय आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लेते हैं और हमारे मस्तिष्क में ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने का स्वप्न है। यह सपना एक प्रतिज्ञा में बदल रहा है। उन्होंने कहा कि आज 130 करोड़ भारतीयों के लिए आत्मनिर्भर भारत एक ‘मंत्र’ बन गया है। ”
मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत ‘वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत को एक निष्क्रिय विनिर्माण बाजार से एक सक्रिय विनिर्माण केन्द्र में बदलने और आत्मनिर्भर लेकिन वैश्विक रूप से समन्वित अर्थव्यवस्था में बदलने के बारे में है। “एक आत्मनिर्भर भारत वैश्विक रूप से एकीकृत अर्थव्यवस्था की वृद्धि में सहायक एक आत्मनिर्भर देश है। मुक्त भारत की मानसिकता वोकल फॉर लोकल के तौर पर होनी चाहिए। हमें अपने स्थानीय उत्पादों की सराहना करनी चाहिए, यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हमारे उत्पादों को बेहतर प्रदर्शन करने का मौका नहीं मिलेगा और उन्हें प्रोत्साहन भी नहीं मिलेगा। आज दुनिया भर की बहु-राष्ट्रीय कंपनियां भारत में आ रही हैं। हमें मेक इन इंडिया के ‘मंत्र’ के साथ-साथ मेक फॉर वर्ल्ड को भी आगे बढ़ाना होगा।’’
गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के प्रयासों के बारे में बात करते हुए, श्री प्रधान ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण निम्न कार्बन मार्ग है जो एक ऊर्जा से दूसरी ऊर्जा में बदलाव को सक्षम बनता है। “हम पहले से ही 16,800 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन का नेटवर्क बिछा चुके हैं, जबकि अतिरिक्त 14,700 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। पूरे भारत में शहरी गैस वितरण नेटवर्क का सबसे बड़ा कार्य शुरू किया गया है जो समावेशी विकास को सुनिश्चित करता है। देश के अधिकांश हिस्सों में कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) और पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने के लिए योजनाओं को चाक-चौबंद किया गया है। 407 जिलों में सीएनजी और पीएनजी बुनियादी ढांचा प्रदान किया जाएगा। 2014 में जहां घरेलू उपयोग के लिए पीएनजी कनेक्शन 25 लाख थे वे अब बढ़कर 63 लाख हो गए हैं और अब 40 मिलियन अतिरिक्त लोगों को भी यह प्रदान किए जाएंगे। इसी तरह सीएनजी कनेक्शन 2014 में 938 थे जो कि अब 2350 हो गए हैं। अब इनमें 10,000 का इजाफा किया जाएगा। इन सुविधाओं के विस्तार के बाद 70 फीसदी आबादी को स्वच्छ ऊर्जा मिलेगी। हम मोबाइल वितरण के माध्यम से उपयोगकर्ताओं के लिए घर पर प्राकृतिक गैस आसानी से उपलब्ध करा रहे हैं। हाल ही में, हमने स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर पहले 50 एलएनजी ईंधन स्टेशनों के लिए आधारशिला रखी है। हमारा लक्ष्य 3 साल के भीतर 1000 एलएनजी स्टेशन स्थापित करना है। इसमें 66 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुमानित निवेश की उम्मीद है।”
मंत्री ने संकेत दिया कि नवीकरणीय और अन्य वैकल्पिक ऊर्जा के विकास के लिए की जा रही हमारी विभिन्न पहलों के बावजूद, भारत की तेल की मांग 2040 तक दोगुनी और गैस की मांग तीन गुना हो जाएगी। “हमारे आर्थिक विकास के वास्ते ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, हम वर्तमान से अपनी शोधन क्षमता का विस्तार कर इसे 250 एमएमटीपीए से 450 एमएमटीपीए पर ला रहे हैं। इससे भारत को पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति में आत्मनिर्भरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।”
श्री प्रधान ने कहा कि हमने अप्रैल 2020 से भारत-VI उत्सर्जन मानदंडों में सफलतापूर्वक बदलाव किया है। यह पहल सड़क परिवहन क्षेत्र में उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के हमारे प्रयास का हिस्सा है, जिसके परिणामस्वरूप देश भर के नागरिकों के लिए वायु की गुणवत्ता बेहतर होगी। उन्होंने राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति (एनबीपी), 2018 के बारे में बताते हुए कहा कि हम बड़े पैमाने पर जैव ईंधन को बढ़ावा दे रहे हैं। हम 2030 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल और जैव-डीजल के 5% के लक्ष्य के साथ यह कार्य कर रहे है। मंत्री ने बताया कि इथेनॉल-सम्मिश्रण प्रतिशत में वृद्धि हुई है 2012-13 में यह 0.67% था और अब 6% हो गया है। 11 राज्यों में बारहवीं 2जी इथेनॉल बायो-रिफाइनरीज की स्थापना 1100 किलो लीटर प्रतिदिन (केएलपीडी) की समग्र क्षमता के साथ की जा रही है। उन्होंने कहा कि हम चुनिंदा शहरों में यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में बदलने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।
एसएटीएटी (सस्टेनेबल ऑल्टरनेटिव टुवर्ड अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) के लिए रोडमैप के बारे में बात करते हुए, श्री प्रधान ने कहा कि यह सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें प्रति वर्ष 15 एमएमटी के लक्ष्य के साथ 5000 संकुचित बायोगैस संयंत्रों की शुरुआत का लक्ष्य रखा गया है, इसमें 20 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश आ सकता है। भारतीय तेल विपणन कंपनियां निजी उद्यमियों को सुनिश्चित कीमत और ऑफटेक गारंटी की पेशकश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि एसएटीएटी पहल आत्मर्निभर भारत, स्वच्छ भारत मिशन और एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लक्ष्यों के अनुरूप है। भारतीय रिजर्व बैंक ने प्राथमिकता क्षेत्र के तहत सीबीजी परियोजनाओं को शामिल किया है जो सीबीजी संयंत्र स्थापित करने के लिए ऋण प्राप्त करने में मदद करेगा। उन्होंने बताया कि कुल 1500 सीबीजी संयंत्र निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं।