नई दिल्ली। फिल्म बुलबुल की बुलबुल यानी Tripti Dimri ने कहा कि असली हीरो हम नहीं बल्कि सरहद पर डटे सैनिक और हॉस्पिटल के अंदर काम कर रहे लोग हैं। एक प्रेस रिपोर्टर के साथ बातचीत में Tripti Dimri ने बुलबुल से लेकर अपनी बाकी फिल्मों पर भी विस्तार से बात की।
उत्तराखंड की Tripti Dimri
उत्तराखंड की तृप्ति डिमरी ने। तृप्ति ने साल 2017 में फिल्म पोस्टर बॉयज से अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद साल 2018 में उन्होंने फिल्म लैला मजनू में लैला का किरदार निभाया और अभी कुछ समय पहले रिलीज हुई उनकी फिल्म बुलबुल में दर्शकों को उनकी एक्टिंग काफी पसंद आ रही है।
क्या कहती हैं Tripti Dimri
तृप्ति कहती है कि इस फ़िल्म ने मुझे खेल में वापस ला दिया है। लोग अब मुझे मुझे सम्मान दे रहे हैं। वह यह भी याद करती हैं कि किस तरह उन्होंने अपने निर्देशक अन्विता दत्त की मदद से किरदार में जान डाली। किरदार को समझने का अन्विता ने पूरा मौका दिया। हमने दो महीने तक किरदार पर मेहनत की। फिल्म में अपने चरित्र और कठिन दृश्यों के बारे में बात करते हुए, डिमरी कहती हैं, “मैंने बाल वधुओं के बारे में शोध किया और उनके लिए भावनात्मक प्रभावों को समझा। शोध दिल दहला देने वाला था और इससे मुझे घुटन का सामना करने में मदद मिली।
बस बुलबुल बन जाओ
अलग-अलग किरदार निभाना कितना मुश्किल होता है?इस सवाल पर तृप्ति कहती हैं कि फिल्म बुलबुल को लेकर मुझे कभी भी डायरेक्टर अन्विता दत्त ने बंगाली बोलने के लिए फोर्स नहीं किया था बस उन्होंने मुझे मेरा कैरेक्टर समझा दिया था… उन्होने मुझे कहा कि आप बस बुलबुल बन जाओ बाकी चीजें अपने आप हो जांएगी. तो बुलबुल का कैरेक्टर मेरे लिए मुश्किल तो था लेकिन मुझे मजा आया उसे करने में।
फिल्म मेकिंग से जुड़े हर पहलू की तारीफ
तृप्ति कहती हैं कि फिल्म बुलबुल को देखने के बाद दर्शकों से काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। दर्शकों को फिल्म काफी पसंद आ रही है। सबसे अच्छी बात ये है कि लोग फिल्म के सीन्स को लेकर बातें कर रहे हैं। लोग सिर्फ फिल्म की कहानी और एक्टिंग की तारीफ नहीं कर रहे हैं बल्कि वे फिल्म मेकिंग से जुड़े हर पहलू की तारीफ कर रहे हैं। बुलबुल फिल्म को देखने के बाद कई बंगाली लड़कियों ने कहा कि मैंने बंगाली किरदार अच्छे से निभाया है तो मेरे लिए वो भी खुशी की बात है। अब मुझे लग रहा है कि चलो मैंने अपना टेस्ट पास कर लिया है।