सरकार ने लोगों से बिटक्वाइन सहित सभी आभासी मुद्राओं में निवेश नहीं करने की चेतावनी देते हुये कहा कि वह न तो इसका समर्थन करती है और न ही यह वैधानिक मुद्रा है।
गुड़िया सिंह
नयी दिल्ली| वित्त मंत्रालय ने आभासी मुद्रा के बारे में यहां जारी एक बयान में इसे पोंजी स्कीमों की तरह करार दिया और कहा कि आभासी मुद्रा को सरकार का कोई समर्थन प्राप्त नहीं है। इनमें कानूनी लेनदेन नहीं किया जा सकता, इसलिए आभासी मुद्रायें ‘मुद्रा’ के दायरे में नहीं आतीं। इनका उल्लेख ‘सिक्कों’ के रूप में भी किया जा रहा है, जबकि ये चलन वाले सिक्के नहीं हैं। इस आधार पर आभासी मुद्रा न तो सिक्का है और न मुद्रा। भारत सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक ने आभासी मुद्रा को लेनदेन के लिए अधिकृत नहीं किया है। सरकार या भारत में किसी भी प्राधिकार ने किसी भी एजेंसी को ऐसी मुद्रा के लिए लाइसेंस नहीं दिया है, इसलिए जो व्यक्ति आभासी मुद्रा में लेनदेन करता है, उसे इसके जोखिम के प्रति सावधान रहना चाहिए।
भारत और पूरी दुनिया में बिटक्वाइन सहित सभी आभासी मुद्राओं की कीमतों में हाल में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी गई है। आभासी मुद्राओं का अपना कोई मूल्य नहीं होता और न वे किसी परिसम्पत्तियों पर आधारित होती हैं। बिटक्वाइन और अन्य सभी आभासी मुद्राओं पर सट्टेबाजी होती है, जिससे उनकी कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव होता है। पोंजी स्कीमों की तरह आभासी मुद्रा में भी निवेश बहुत जोखिम वाला है, जिसके कारण निवेशकों को कभी भी अचानक नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि यह पानी के बुलबुले की तरह होता है।
बयान में कहा गया है कि इससे खुदरा निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई खो बैठता है। उपभोक्ताओं को सजग और बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है, ताकि वे इस तरह की पोंजी स्कीमों के झांसे में न आयें। आभासी मुद्रायें डिजिटल/ इलेक्ट्रॉनिक रूप में होती हैं और उन पर हमेशा हैकिंग, पासवर्ड चोरी, साइबर हमले जैसे खतरे मंडराते रहते हैं। ऐसी स्थिति में जमा पूंजी हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। आभासी मुद्रा का लेनदेन इनक्रिप्टेड होता है, जिससे गैर-कानूनी और विध्वंसक गतिविधियां संचालित करने में आसानी होती है। इनके जरिये आतंकवाद का वित्तपोषण, तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी और हवाला जैसी गतिविधियां चलाई जा सकती हैं।
आभासी मुद्रा को इस्तेमाल करने वालों और उनके कारोबार में लगे लोगों को दिसम्बर 2013, फरवरी 2017 और दिसम्बर 2017 में रिजर्व बैंक ने चेताया था। केन्द्रीय बैंक ने कहा था कि ये आभासी मुद्रायें वित्तीय, वैधानिक और सुरक्षा संबंधी मामलों के लिए खतरनाक हैं। उसने यह भी स्पष्ट किया था कि उसने बिटक्वाइन या किसी भी अन्य आभासी मुद्रा के लेनदेन और संचालन के संबंध में किसी भी कंपनी या एजेंसी को न तो लाइसेंस दिया है और न उन्हें अधिकृत किया है।
केन्द्र सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आभासी मुद्रायें लेनदेन के लिए किसी भी प्रकार वैधानिक नहीं है और उन्हें कोई भी कानूनी अनुमति नहीं दी गई है। आभासी मुद्राओं में निवेश करने वाले और अन्य भागीदार अपने जोखिम पर लेनदेन करते हैं और सबसे अच्छा तरीका यही है कि इस प्रकार के किसी भी लेनदेन से बचा जाए।