मोदी सरकार के लिए मुश्किल भारतीय मजदूर संघ ने पैदा की। संघ परिवार से जुड़े इस संगठन ने नवंबर में दिल्ली में सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन तक कर दिया। संघ का मानना है मौजूदा सरकार की नीतियां मजदूर विरोधी हैं। इससे पहले भारतीय मजदूर संघ लगातार सरकार को चेताता रहा लेकिन सरकार ने संघ के विरोध को गंभीरता से नहीं लिया।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सामने खतरे की घंटी बजाई है। संघ ने दो मुद्दों का हवाला देकर भय जताया है कि बेरोजगारी और किसानों की समस्याएं अगले आम चुनाव में बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती हैं। टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मंजदूर संघ से जुड़े आरएसएस के एक नेता ने कहा कि वे लोग किसानों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याएं और नौकरी के मौकों की कमी को लेकर बीजेपी को बार बार चेतावनी दे रहे थे। संघ नेता ने कहा, ‘अगर सरकार हमारी बात पर ध्यान देती तो बीजेपी का गुजरात में इस तरह का प्रदर्शन नहीं होता।’ बता दें कि बीजेपी ने गुजरात में भले ही सरकार बना ली हो लेकिन चुनाव के नतीजों से ना तो पार्टी संतुष्ट है और ना ही संघ। आरएसएस ने गुजरात से मिले अपने फीडबैक को पिछले शुक्रवार (28 दिसंबर) को बीजेपी के साथ साझा किया है। इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे। संघ का मानना है कि नौकरी की कमी झेल रहा युवा सरकार से दुखी हो रहा है और ये मोहभंग होने वाली जैसी हालत है।
बीते 29 अक्टूबर को जब मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ स्वदेशी जागरण मंच ने सड़कों पर उतरने का ऐलान किया तो एकबारगी बीजेपी नेता सकते में आ गए। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का आनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ क्यों ? बीजेपी नेता हालात संभाल पाते तब तक मंच ने बात साफ कर दी। मंच ने साफ कह दिया कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने और छोटे अद्योग धंधों को चौपट करने वाली हैं।
इससे पहले जून 2016 में ही आरएसएस के आनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बीकेयू ने तब ही खाद्य प्रसंस्करण और कृषि के क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश (FDI) वाले मोदी सरकार के फैसले को देश विरोधी बता दिया था। सरकार ने बीकेयू के विरोध को भी गंभीरता से नहीं लिया। सरकार ने न तो सहकार भारती के विरोध पर कभी गंभीरता दिखाई और ना ही आखिल भारतीय ग्राहक पंचायत और लघु उद्योग भारती के विरोध को महत्व दिया।
बीजेपी और सरकार के इस रवैये से संघ परिवार की नाराजगी जाहिर होने लगी है। संघ परिवार ये कभी नहीं चाहेगा कि उसके आनुषांगिक संगठनों की इस तरह से उपेक्षा हो। बताया जा रहा है कि आनुषांगिक संगठनों की उपेक्षा से नाराज संघ परिवार ने गुजरात विधानसभा के चुनाव से पहले ही बीजेपी को चेतावनी दे दी थी। और अब जब गुजरात चुवाव खत्म हो गए तो संघ ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के सामने नाराजगी जाहिर कर दी है।
हाल ही में संघ और बीजेपी की हुई दो दिवसीय समन्वय बैठक में संघ की नाराजगी ने बीजेपी के होश उड़ा दिए। बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली को साफ कह दिया गया कि वो ऐसी नीतियां नहीं बनने दें जिनसे देश की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो जाए। संघ ने बंद हो रहे उद्योग धंधों और नौकरी गंवाते लोगों का दर्द इस बैठक में साझा किया। संघ ने साफ कह दिया कि सरकार को सामने ताली बजाने वाले तो दिख रहे हैं लेकिन पीछे गाली देने वाले नहीं दिख रहे हैं। संघ ने आगाह किया कि सरकार का रवैया नहीं सुधरा तो संघ परिवार अपने रवैये पर विचार करने लगेगा। संघ ने बढ़ते राजघोषीय घाटे पर चिंता जताई तो सरकार के प्रतिनिधियों के पास जवाब तक नहीं थे। संघ ने जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों पर भी इस बैठक में सवाल खड़े कर दिए।
संघ सूत्रों ने कहा कि अगर बीजेपी इन दो मुद्दों पर काम नहीं करती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव और 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है। आरएसएस की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच के एक नेता ने कहा कि गलत आर्थिक नीतियां किसानों और युवाओं की मुश्किलों का सबब बनती जा रही है। स्वदेशी जागरण मंच ने इस बावत सरकार को कुछ सुझाव दिये हैं। इस नेता के मुताबिक अगर वक्त पर कदम नहीं उठाये गये तो हालात नियंत्रण से बाहर जा सकते हैं। हालांकि स्वदेशी जागरण मंच ने इस जीएसटी में किये गये बदलावों पर संतोष जताया है, और इसे सकारात्मक कदम कहा है। सूत्रों के मुताबिक आरएसएस ने संघ को भरोसा दिया है उनके सुझावों पर अमल किया जाएगा और किसानों और नौकरी के मुद्दे पर सरकार लोगों को निराश नहीं होने देगी।