नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (BPR&D) ने नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में अपना 54वां स्थापना दिवस मनाया। केन्द्रीय गृह सचिव श्री गोविंद मोहन इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर आसूचना ब्यूरो के निदेशक श्री तपन कुमार डेका, केंद्रीय पुलिस संगठनों (CPOs) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के प्रमुखों के साथ-साथ गृह मंत्रालय और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव श्री गोविंद मोहन ने “नए आपराधिक कानून-नागरिक केंद्रित सुधार” विषय पर डॉ. आनंदस्वरूप गुप्ता स्मृति व्याख्यान दिया। स्मृति व्याख्यान देते हुए गृह सचिव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा दिए गए ‘पंच प्रण’ को ध्यान में रखते हुए उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ने और अपराध की विकसित प्रकृति से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समकालीन और प्रासंगिक न्यायप्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। गृह सचिव ने कहा कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में लाए गए नए आपराधिक कानून पीड़ित-केंद्रित हैं और इन कानूनों का उद्देश्य सजा नहीं बल्कि न्याय देना है।
At BPR&D Foundation Day, Union Home Secretary said: for India to become world's 3rd largest economy, "effective policing, effective Law & Order and effective action against crimes and criminals are necessary" for which BPR&D's role as Think Tank of Indian Police is paramount. pic.twitter.com/gzDs19HTWU
— Bureau of Police Research & Development (@BPRDIndia) August 28, 2024
केंद्रीय गृह सचिव ने नये आपराधिक कानूनों की प्रमुख विशेषताओं और विभिन्न नए प्रावधानों, विशेष रूप से नागरिक अनुकूल प्रावधानों, जैसे कि जीरो FIR और e-FIR पर प्रकाश डाला। उन्होंने सजा के रूप में सामुदायिक सेवा की शुरूआत और पहली बार अपराध करने वालों के प्रति उदार व्यवहार जैसे प्रावधानों पर भी ध्यानाकर्षण किया। गृह सचिव ने कहा कि नए कानूनों में संगठित अपराध और आतंकवाद को परिभाषित करने की शुरूआत हुई है, नए दंडों को परिभाषित किया गया है, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने पर जोर दिया गया है और साक्ष्य संग्रह तथा उनकी जांच के प्रति अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण जैसे कई नए प्रावधान भी पेश किए गए हैं। श्री मोहन ने कहा कि इन कानूनों से फोरेंसिक का अधिक उपयोग, जांच प्रक्रिया डिजिटलीकरण, न्यायिक प्रक्रिया की समयसीमा निर्धारित करने के साथ ही पारदर्शिता, जवाबदेही और समय पर निवारण के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।
श्री गोविंद मोहन ने कहा कि भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रभावी पुलिसिंग, प्रभावी कानून एवं व्यवस्था तथा अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पुलिस आधुनिकीकरण एवं उन्नयन में BPR&D की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ब्यूरो को बधाई देते हुए केन्द्रीय गृह सचिव ने संगठन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह एकमात्र केन्द्रीय पुलिस संगठन है जो अनुसंधान, आधुनिकीकरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के जरिए पुलिसिंग में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पुलिस के थिंक टैंक के रूप में अपनी भूमिका निभाते हुए अन्य सभी पुलिस संगठनों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बलों को जोड़ता है। उन्होंने BPR&D द्वारा खासकर नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के लिए प्रशिक्षण और प्रचार के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप आपराधिक न्याय प्रणाली में 9 लाख से अधिक हितधारकों को प्रशिक्षण मिला है।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव ने नए आपराधिक कानूनों पर BPR&D के प्रमुख प्रकाशन इंडियन पुलिस जर्नल के विशेष संस्करण का विमोचन किया। उन्होंने नए आपराधिक कानूनों पर दूरदर्शन द्वारा निर्मित एक डॉक्यूमेंट्री भी जारी की।
कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह सचिव ने वर्ष 2023 और 2024 के लिए विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (PSM) और सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (MSM) प्राप्त करने वालों को भी सम्मानित किया।
इस अवसर पर BPR&D के महानिदेशक श्री राजीव कुमार शर्मा ने संगठन के निरंतर सहयोग और मार्गदर्शन के लिए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार श्री पंकज कुमार सिंह; सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, आरपीएफ, एनएचआरसी, एनटीआरओ के महानिदेशक; एनआईए के निदेशक; एनसीआरबी के निदेशक; दिल्ली पुलिस के आयुक्त; गृह मंत्रालय के महानिदेशक (पुरस्कार); BPR&D के पूर्व महानिदेशक सहित अन्य उपस्थित थे।