वक्फ बना ’उम्मीद,’ लगी संसद की मोहर : जमीनों की बंदरबांट में विपक्ष की खुली पोल

 

रितेश सिन्हा

वक्फ बोर्ड के संशोधन का विधेयक संसद के दोनों सदनों से भारी बहुमत के साथ पास हो गया। इसमें हल्ला मचा रहे विपक्ष के दिग्गज पूरे तरीके से बेनकाब हो गए। सबसे ज्यादा तकलीफ कांग्रेस को थी। हमने जब तथ्यों को खंगाला और सदन की बहस को सुना तो पाया कि दलित बनकर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे वक्फ की जमीनों से कर्नाटक में जमींदार बने बैठे हैं। इसका खुलासा वक्फ के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग और कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिपड्डी ने किया। उन्होंने संगीन आरोप लगाते हुए खड़गे सहित कांग्रेस के कई सिपाहसलारों पर वक्फ की जमीनों को हड़पने के सबूत भी दिए। इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष और खुद को दलित बताने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे का है।
जेपीसी में खुद पर लगे आरोपों के बचाव में खड़गे ने अपनी टीम तैयार कर ली थी। उन्हें अंदाजा था कि संसद के दोनों सदनों में उन पर जबर्दस्त हल्ला बोल होगा जिसमें नासिर हुसैन को दुबारा राज्यसभा लेने में मदद की। साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को नजरंदाज करते हुए उन्हें एआईसीसी का महासचिव भी बना दिया। शायर इमरान प्रतापगढ़ी के लिए दोबारा राज्यसभा भेजने का वायदा कर लिया। वहीं मोहम्मद जावेद को कांग्रेस पार्लियामेंंट्री बोर्ड का अहम सदस्य बना दिया। ये कमिटी कांग्रेस के टिकटों के बंटवारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नासिर हुसैन और इमरान प्रतापगढ़ी सदन में हल्ला-ब्रिगेड थे, वहीं जावेद बोलने में भले की कमजोर हों, लेकिन कानून बनाने वाली संस्था के बनाए कानून लागू करने के जिम्मेदार न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाते हुए सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे। कांग्रेस के प्रवक्ता और विचारकों के पास जमीन हड़पने वाले अध्यक्ष का बचाव करने में काफी संकोच है।
आपको बता दें कि कांग्रेस ने गांधी और नेहरू की विरासत को अब तक संभाला है। देश की बागडोर संभालने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री व कांग्रेस अध्यक्ष रहे जवाहरलाल नेहरु ने अपनी 196 करोड़ की संपत्ति देश को समर्पित कर दी थी। नेहरू, इंदिरा और राजीव और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, नेता प्रतिपक्ष और राहुल गांधी के पास आज भी कोई निजी आवास नहीं है। वहीं खड़गे वक्फ की जमीनों से जमींदार बने हुए हैं। इससे पूर्व सोनिया गांधी के अध्यक्षीय काल में कांग्रेस के कर्ता-धर्ता बने हुए अहमद पटेल ने भी कुछ लोगों के साथ मिलकर दिल्ली के जोरबाग स्थित शियाओं के लिए धार्मिक मान्यताओं का स्थान करबला को हड़पने का पुरजोर प्रयास किया था। देश भर के शिया मुस्लिम और शिया धर्मगुरु कल्वे जव्वाद की अगुवाई में मिलकर अहमद पटेल के प्लान को नेस्तनांबुद किया था। इसकी खबर भी हमने प्रकाशित की थी और अहमदिया ग्रुप का प्लान सिरे नहीं चढ़ सका।
इसके बाद सपा के संस्थापक सदस्य आजम खां ने भी कई सौ एकड़ों की बड़ी जमीन को खुद की मिल्कियत बता दिया था। आजम खां पर कई मुकदमे दर्ज हैं और जेल में बंद हैं। एमआईएम के सर्वेसर्वा औवैसी परिवार भी वक्फ की जमीनों से हैदराबाद और आसपास के क्षेत्रों में अपनी बादशाहत कायम किए हुए है। आम आदमी पार्टी के अमानतुल्ला खान भी वक्फ की जमीनों के मामले में जेल की हवा खा चुके हैं। विपक्ष के कई नेता राडार पर हैं जिन पर जल्द की शिकंजा कसेगा। संसद से वक्फ का कानून उम्मीद के नाम से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की मंजूरी से कानूनी तौर पर लागू हो जाएगा। उसके बाद देश के मुसलमानों के लिए ये एक नयी ’उम्मीद’ बनकर सामने आएगा, ऐसा केंद्र सरकार के प्रवक्ताओं का मानना है। लेकिन नए प्रावधानों के साथ-साथ उन लोगों पर भी नकेल कसी जाएगी जिन्होंने वक्फ की जमीनों को मामूली दरों पर खरीद-बिक्री की और मोटा माल अंदर कर लिया। महाराष्ट्र और मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, यूपी, बिहार सहित लगभग हरेक प्रदेशो में वक्फ की जमीनों का खुला खेल फर्रूखाबादी चल रहा था, इस पर लगाम कसेगी।
कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन अहमदाबाद में 8-9 अप्रैल को आयोजित हो रहा है। कांग्रेसियों समेत अन्य दलों की भी इस अधिवेशन पर नजरें टिकी है जिसमें पास हुए वक्फ विधेयक के विरोध में प्रस्ताव पेश करने की उम्मीद है। अंदरखाने की खबरों पर यकीन करें तो वक्फ की जमीनों के घोटाले मामले में खड़गे पर इस्तीफे का दवाब बढ़ा है। नेहरु और गांधी के सिद्धांतों पर चलने वाली कांग्रेस के इन बड़े दिग्गजों पर आज भी किसी घोटाले का आरोप नहीं लगा। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे पर कर्नाटक में वक्फ की जमीन हड़पने मामले में सीधे आरोप लगने के बाद कांग्रेस की साख घटी है। खड़गे के विरोधी कांग्रेस में सक्रिय हो गए हैं। वे इससे कांग्रेस में कैसे निबटेंगे, इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें रहेगी।

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