नई दिल्ली। आयुष्मान भारत के निदेशक डॉ. दिनेश अरोड़ा ने एनजीओज से आग्रह किया कि वे ‘आयुष्मान भारत’ अभियान को गति देने के लिए नीति आयोग के साथ जुड़ें और लक्ष्यसंधान, टिकाऊपन तथा विभिन्न उपक्रमों के परिणामों में बाकी रह जाने वाली कसर पूरी करने की दिशा में कार्य करें। वह ‘शेयरिंग ऑफ बेस्ट प्रैक्टिसेस: इम्प्रूविंग मैटरनल, न्यू बॉर्न एंड चाइल्ड हेल्थ इन इंडिया’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन एफआइसीसीआइ- आदित्य बिरला सीएसआर सेंटर ऑफ इक्सीलेंस और ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल की सीएसआर शाखा ग्लेनमार्क फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि आयुष्मान भारत (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना) एक पात्रता आधारित योजना है, नामांकन आधारित नहीं। हालांकि असल चुनौती लाभार्थियों को उनकी पात्रता के संबंध में सूचित करने की है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि देश की समस्त ग्राम सभाएं आगामी 30 अप्रैल को ‘आयुष्मान भारत दिवस’ मनाने जा रही हैं, जहां पात्रता-सूची साझा की जाएगी और सार्वजनिक प्रदर्शन हेतु सबके सामने रखी जाएगी। विकास के विशिष्ट मानदण्डों पर पिछड़ जाने वाले जिलों का कायापलट करने हेतु प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित की गई 115 अभिलाषी जिला परियोजना के बारे में बात करते हुए उन्होंने जानकारी दी कि इन जिलों का रूपांतरण करने के लिए बनी परियोजना की अगुवाई नीति आयोग कर रहा है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए श्री अरोड़ा ने कहा- “इस क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओज तथा कॉरपोरेट्स को अवश्य आगे आना चाहिए और इन जिलों का रूपांतरण करने में हमारी सहायता करनी चाहिए क्योंकि अगर इन जिलों का कायापलट हो गया तो समझो भारत बदल गया! हम कृत-संकल्प हैं कि वर्ष 2022 तक ये जिले मुख्यधारा में शामिल दिखाई देंगे।” एनजीओ गतिविधियों की 33 केस स्टडीज का एक सार-संग्रह ‘शेयरिंग ऑफ बेस्ट प्रैक्टिसेस: इम्प्रूविंग मैटरनल, न्यू बॉर्न एंड चाइल्ड हेल्थ इन इंडिया’ भी सम्मेलन के दौरान उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों के हाथों रिलीज किया गया।
यद्यपि पिछले एक दशक के दौरान भारत में शिशु मृत्यु दरों (आईएमआर) और मातृ मृत्यु दरों (एमएमआर) में गिरावट दर्ज की गई है फिर भी संतान एवं प्रसव संबंधी मौतें गंभीर चिंता का विषय बनी हुई हैं; खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में, क्योंकि वहां साफ-सफाई के प्रति जागरूकता, पोषाहार और रोग-प्रतिरक्षण उपायों की कमी है। ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट एवं हेड (कॉर्पोरेट स्ट्रेटजी) श्री जेसन डिसूजा ने अपने संबोधन में कहा- “मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यक्रमों को उचित अनुपात में बढ़ाने तथा उन्हें दूरगामी असर वाला बनाने हेतु क्षमता विकसित करने की महती आवश्यकता है। कुपोषण घटाकर, स्वच्छता के प्रति रवैए में सुधार लाकर और रोग-प्रतिरक्षा तंत्र सुदृढ़ करके शिशु एवं बाल मृत्यु दर कम करने की दिशा में कार्य करना बेहद जरूरी है। यह भी जरूरी है कि हम ऐसी विधियों और संसाधनों को अपनाएं, जो स्वस्थ एवं टिकाऊ भविष्य का खाका तैयार करने में हमारी सहायता कर सकें।”
इस अवसर पर एफआइसीसीआइ की डिप्युटी सेक्रेटरी जनरल सुश्री ज्योति विज का कहना था- “विकास-संबंधी विभिन्न कमियों को पूरा करने के लिए हम इंडिया इंक के प्रबंधन कौशलों का इस्तेमाल करते रहे हैं और सीएसआर के माध्यम से सरकार के उपक्रमों का सहयोग करते आए हैं। देश के सामने मुंह बाए खड़ी स्वास्थ्य-संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने हेतु फिक्की ने आईआईएसएच (इंडियन इंडस्ट्री इन सॉलिडैरिटी फॉर हेल्थ) कोश का लोकार्पण भी किया है।”