नई दिल्ली। आदिवासियों के जीवन स्तर और सामाजिक परिवेश को सुधारने के लिए टाटा स्टील कई योजनाएं चला रही हैं। टाटा स्टील लिमेटेड के चीफ काॅरपोरेट सोशल रिस्पोनसेबिलिटी के बिरेन बरूटा कहते हैं कि झारखंड और ओडिसा में जनजातियों के लिए कंपनी कई सालों से काम कर रही हैं। दोनों ही राज्य ट्राइबल डोमिनेटेड स्टेट हैं, लेकिन आदिवासियों का क्या ? आदिवासी ज्यादातर जंगलों में रहते हैं। उनका दुनिया देखने का नजरिया हमारे जैसा है, बस वेशभूषा, खानपान…सब अलग है। गुजरात के आदिवासियों को नागालैंड के आदिवासियों से मिलने का मौका नहीं मिलता था, तो हमने सोचा कि क्यों न ऐसा मंच तैयार किया जाए, जहां देश के हर राज्य के आदिवासी मिल सकें। एक दूजे से संवाद कर सकें। इसके लिए हमने 2014 में एक पहल की। बिरेन बरूटा ने बताया कि 2014 में करीब 1500 आदिवासी जमशेदपुर आए। 2015 में संवाद का विस्तार किया गया। हमने बड़ोदा स्थित भाषा के साथ पार्टनरशिप की और संवाद का मुद्दा था आदिवासियों की भाषा, साहित्य, संस्कृति। जिसमें 4 दिन तक विभिन्न एक्सपर्ट के साथ चर्चा हुई। 2016 में संवाद का विस्तार कि क्यों न देश के अलग-अलग हिस्सों में भी संवाद हो। हमने भाषा कैम्पस बड़ौदा, मायसूर में स्वामी विवेकानंद कैम्पस आॅफ यूथ मूवमेंट और शिलाॅन्ग में नार्थ इस्टन यूनिवसिर्टी इन शिलाॅन्ग। 2016 के संवाद का थीम था आदिवासी चिकित्सा प्रणाली। 250 आदिवासी वैद्य आए थे। डाॅ अभय पंत के साथ इसमें पार्टनरशिप किया था, जो प्रधानमंत्री के स्टडी आॅन ट्राइबल के चेयर थे। मई 2017 में 93 देशभर से चयन किया और उन्हें पुणे के पंचगढी लेकर गए। यहां एक संस्था है इनिशेटिव आॅफ चेंज। इनके साथ पार्टनरशिप की हमने। एक सप्ताह के लिए हमने उन्हें यूथ लीडरशिप प्रोग्राम के लिए रखा। हमने सोचा जब विकास उनके एरिया में होना है। उन्होंने बताया कि जब ये लोग गए थो तो 93 एक दूसरे को जानते नहीं थे, पर वापस आए एक होकर आए। आज पांच महीने हो गए हैं, जो काम उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में की है। इससे मुझे काफी उम्मीद लग रही है ंिक वाकई में आदिवासियों का विकास होगा। इससे प्रभावित होकर हमने 2017 के संवाद का थीम रखा है ट्राबल यूथ लीडरशिप। इस बार हमारी कोशिश है कि देश से 500 आदिवासी युवाओं को चयन करने के बाद जमशेदपुर लाया जाए। 22 राज्यों से आदिवासी युवा आएंगे। 15 से 19 नवंबर तक चलने वाले चार दिवसीय संवाद का केंद्र रहेगा एस्पिरेशन आॅफ यूथ एंड लीडरशिप आफॅ फ्यूचर। इसमें 500 आदिवासी युवा और नाॅर्थ ईस्ट व वेस्टर्न इंडिया से आदिवासी नेता भी आएंग।ेदिनभर यूथ लीडरशिप पर चर्चा की जाए और शाम में उनके गीत, संगीत, कला, थिएटर,फैशन शो, ट्राइबल स्र्पोट से जशन मनाया जाए। इस बार अंतरराष्ट्रीय आदिवासी यूथ भी आ रह हैं। कैनाडा, आॅस्ट्रेलिया, जिमबावे, केन्या से भी कुछ आदिवासी आ रहे हैं। दिनभर में आदिवासी आपस में संवाद करेंगे, बहुत सी प्रेरणादायक बातें होंगी। इसमें कुछ स्पीकर भी आएंगे जैसे नोबल पीस पुरुस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद युनुस, पदमश्री व संगीत नाटक एकैडमी अवाॅर्डी गणेश देवी, मेद्यालय की पदमश्री पेटरिशा मुखिम, उडिशा की पदमश्री तुलसी मुंडा, प्रमोद बोडो, भिवाजी तोफा। इसमें कुछ वर्कशाॅप होंगी जिसमें युवाओं को रूझान है, जैसे उद्यमिता, कुपोषण, हयूमन राइटस, पीज बिल्डिंग। कारण जहां ये रहते हैं वहां कुछ न कुछ परेशानियां हैं, जैसे- नक्सलवाद, माइग्रेशन। इसमें कुल 10 वर्कशाॅप होंगी।