नई दिल्ली। केंद्र के सत्ता संभालने के चार साल बाद मोदी सरकार आज फ्लोर टेस्ट देने जा रही है। जहां सरकार अविश्वास प्रस्ताव गिरने को लेकर आश्वस्त है वहीं यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने पास संख्याबल होने का दावा कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस अविश्वास प्रस्ताव को सरकार गिराने और बचाने के नजरिए से देखने की बजाय इसे 2019 के चुनावों से जोड़कर देखा जाना चाहिए।
विश्लेषकों के अनुसार संख्याबल के हिसाब से जो हालात बने हैं, उसमें साफ है कि मोदी सरकार को बहुमत पाने के लिए ज्यादा सघर्ष नहीं करना पड़ेगा। दूसरी तरफ 2019 में कांग्रेस एनडीए के खिलाफ महागठबंधन की तैयारी कर रही है। बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए से टीडीपी अलग हो चुकी है और शिवसेना भी मोदी सरकार से खुश नहीं दिखाई दे रही। एआईएडीएमके, बीजेडी और टीआरएस जैसी क्षेत्रीय पार्टियां भी हैं, जिन्होंने 2019 के लिए अपने पत्ते नहीं खोले। अविश्वास प्रस्ताव के बहाने सदन में आज यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि किस दल का दिल किसके लिए धड़क रहा है और वह किसका साथ देगा। टीडीपी मोदी सरकार के खिलाफ इतनी नाराज है कि अविश्वास प्रस्ताव भी वहीं लेकर आई है।
के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में टीआरएस ने 2019 के लिए गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस फ्रंट का शिगुफा छेड़ रखा है लेकिन दूसरे दलों को राव और बीजेपी की नजदीकी की आशंका भी सताती रहती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अविश्वास प्रस्ताव पर टीआरएस क्या करेगी। वहीं एआईएडीएमके ने भी गुरुवार को कहा कि कावेरी मुद्दे पर किसी दल ने उसका समर्थन नहीं किया। हालांकि उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन माना जा रहा है कि वह मोदी सरकार के खिलाफ जा सकती है।