नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ‘स्वच्छता ही सेवा मिशन’’ की शुरूआत करने से पहले समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है । आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिन लोगों को आमंत्रित किया गया है उनमें पूर्व न्यायाधीश, अवकाश प्राप्त अधिकारी, वीरता पुरस्कार के विजेता तथा राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के पदक विजेता शामिल हैं । सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उप मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और उप राज्यपालों को भी व्यक्तिगत रूप से यह पत्र प्राप्त हुआ है। कुछ प्रमुख धार्मिक नेताओं, फिल्म हस्तियों, खिलाड़ियों, लेखकों, पत्रकारों को भी प्रधानमंत्री तरफ से यह पत्र मिला है । अपने पत्र में प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान को एक जन आंदोलन बताया है जो अब पूरे देश में स्वच्छता क्रांति का रूप ले चुका है ।
राजधानी दिल्ली में स्वच्छता ही सेवा मिशन की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर कोने से जुड़े आप सभी स्वच्छाग्रहियों का हृदय से अभिनंदन करता हूं, आप सबका स्वागत करता हूं। आज 15 सितंबर का ये दिन अपने आप में बहुत ऐतिहासिक है। ऐतिहासिक इसलिए क्योंकि आज की सुबह एक नया प्रण, एक नया उत्साह, एक नया सपना लेकर के आई है। आज आप, मैं सवा सौ करोड़ देशवासी, स्वच्छता ही सेवा के संकल्प को फिर से एक बार दोहराने जा रहे हैं। आज से लेकर 2 अक्तूबर यानी पूज्य बापू की जंयती तक देश भर में हम सभी नई ऊर्जा के साथ, नए जोश के साथ अपने देश को, अपने भारत को स्वच्छ बनाने के लिए श्रम दान करेंगे, अपना योगदान देंगे। दीवाली के समय हम देखते हैं घर कितना ही साफ सुथरा क्यों न हुआ हो। लेकिन दीवाली आते हुए पूरा परिवार घर के हर कोने की स्वच्छता में लग जाता है। वैसे ही हमें भी देश के हर कोने में सफाई का ये स्वभाव हर महीना, हर वर्ष बनाते रहना होगा।
चार वर्ष पहले जो अभियान शुरू हुआ, स्वच्छता का आंदोलन अब एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर आ पहुंचा है। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि राष्ट्र का हर तबका, हर संप्रदाय, हर जाति, हर उम्र के मेरे साथी इस महाअभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। गांव हो, गली हो, नुकड्ड़ हो, शहर हो कोई भी इस अभियान अछूता नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में भारत की स्वच्छता का कवरेज सिर्फ 40 प्रतिशत था। आज आप सबके पुरुषार्थ और संकल्प का परिणाम है कि स्वच्छता का कवरेज 90 प्रतिशत से अधिक हुआ है। किसने सोचा होगा कि पिछले चार वर्षों में हम स्वच्छता के कवरेज में उतनी प्रगति कर लेंगे जितनी उससे पहले करीब-करीब 60-65 साल में भी नहीं हो पाई। क्या कोई ये सोच सकता था कि भारत में चार वर्षों में करीब 9 करोड़ शौचालयों का निर्माण हो। क्या किसी ने ये कल्पना की थी कि चार वर्ष में लगभग साढ़े चार लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हो जाएंगे। क्या किसी ने कल्पना की थी कि चार वर्षों में 450 से ज्यादा जिले खुले में शौच से मुक्त हो जाएंगे। क्या किसी ने ये कल्पना की थी कि चार वर्षों में 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्त हो सकते हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये भारत भारतवासियों की, आप सब स्वच्छाग्रहियों की ताकत हैं। इस स्तर का बदलाव सिर्फ सरकार कभी नहीं ला सकती। बात चाहे health की हो या wealth की हो, स्वच्छता लोगों के जीवन में सुधार लाने में बहुत बड़ा योगदान दे रही है। World Health Organization, WHO के एक अनुमान के अनुसार तीन लाख लोगों की जिंदगी बचाने में स्वच्छता की भूमिका होगी और एक स्टडी बताती है कि स्वच्छता से डायरिया के मामलों में 30 प्रतिशत की कमी आएगी।