गुणों का खजाना है पीपल

पंतजलि आर्युवेद के आचार्य बाल कृष्ण जी के अनुसार पीपल की पत्तियों बीज, छाल, जड़े, तने, टहनियों में औषधीय गुणों का खजाना है। इसके नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।
खूनी दस्त अतिसार – पीपल के कोमल तने, बीज, क्रिस्टल चीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर इसमें मिश्रण बना लें। दिन में इस मिश्रण का 3-4 बार सेवन करें। इसके सेवन से खूनी अतिसार समाप्त हो जाऐंगे।
भूख कम लगना – पीपल के पके हुए फलों के उपयोग से भूख कम लगना खांसी, पित्त, रक्त संबंधी विकार तथा उल्टियां आदि का स्थाई उपचार संभव है।
पेट दर्द – पीपल पौधे की 2-5 पत्तियों में 50 ग्राम गुड में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में 3-4 बार सेवन करने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
अस्थमा- पीपल छाल व पक्के हुए फलांे का पाउडर (दोनों समान मात्रा में) लें। नियमित दिन में 3-4 बार इसके सेवन से अस्थमा रोग से मुक्ति मिलती है।
सांप काटने पर – पीपल की कोमल पत्तियों के रस की दो-दो बूंदे लें। और पत्तियों चबाएं। ऐसा करने से सांप के विष का असर कम होगा।
त्वचा रोग- पीपल की कोमल पत्तियों को चबाने से त्वचा की खारिश तथा अन्य रोगों का उपचार होता है। पीपल की पत्तियों की 40 मिलि लीटर चाय का सेवन भी अत्यन्त प्रभावकारी साबित होता है।
दाद खाज खुजली- 50 ग्राम पीपल की छाल की राख बनाकर इसमें नींबू व घी मिलाकर इसका पेस्ट बना कर इस पेस्ट को प्रभावित अंगों पर लगाने से तुरंत शीतलता प्राप्त होगी। पीपल की छाल की 40 मिली लीटर चाय के प्रतिदिन सेवन से भी राहत मिलती है।
फटी एड़ियां- फटी एड़ियों पर पीपल की पत्तियों का रस या उसका दूध लगाने से फटी एड़ियां मुलायम हो जाती हैं।
रक्त की शुद्धता- 1-2 ग्राम पीपल बीज पाऊडर को शहद में मिलाकर प्रतिदिन दो बार उपयोग से रक्त शुद्ध होता है।
नपंुस्कता – पीपल के फल के पाऊडर का आधा चम्मच दिन में दूध के साथ तीन बार लेने से नपंुस्कता समाप्त हो जाती है।
कब्ज – पीपल के 5-10 फल प्रतिदिन सेवन में कब्ज रोग का स्थाई समाधान होता है।
लीवर रोगों के लिए – 3-4 ताजा पीपल की पत्तियों को चीनी में मिलाकर इसका पाऊडर बना लें। इस पाऊडर को 250 ग्राम पानी में मिलाकर मिश्रण को छान लें। इस स्कवायस को रोगी को 5 दिन तक दिन में दो बार दें। यह मिश्रण पीलिया रोग में अत्यंत प्रभावकारी साबित होता है।
हिचकी आने पर – 50-100 ग्राम पीपल की छाल का चारकोल बनाएं। इस पानी के सेवन से हिचकी आनी बंद हो जाती है।
आंखों में दर्द – पीपल की पत्तियों का दूध को आंखों पर लगाने से आंखों की पीड़ा कम होगी।
दांत दर्द- पीपल तथा वट वृक्ष की छाल बराबर मात्रा में लेकर इस मिश्रण बना लें इस मिश्रण को गर्म पानी में उबाल कर इससे कुल्ला करने दांत दर्द समाप्त हो जाता है।
– आचार्य बाल कृष्ण पंतजलि आयुर्वेद, हरिद्वार

 

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