प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेरी हार्दिक बधाई कि उन्होंने हमारी फौज को वह करने दिया, जो उसे करना ही चाहिए था। सारे देश में उत्साह का संचार हो गया है। विरोधी दल भी सरकार की आवाज में आवाज मिलाने को तैयार हो गए हैं। सरकार ने जिन तीन आतंकी केंद्रों पर हमला करके 300 आतंकियों को मार गिराने का दावा किया है, उसके प्रमाण देना वह उचित समझे या न समझे लेकिन यह सत्य है कि उसके हमले से कश्मीर के अंदरुनी और बाहरी आतंकवादियों की हड्डियों में कंपकंपी दौड़ जाएगी। निश्चित है कि पाकिस्तान की आतंकवादी ताकते अपने आप पस्त हो जाएंगी। यह हमला किसी देश पर नहीं, सिर्फ उसके आतंकी अड्डों पर है। हमारे विदेश सचिव ने क्या खूब शब्दों का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि यह हमला ‘गैर-फौजी’ हमला है?
दीप्ति अंगरीश
पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर जबरदस्त हमला किया। मंगलवार को तड़के भारतीय वायु सेना के विमानों ने पाकिस्तान में स्थित जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी ठिकाने को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। वायु सेना का इस कार्रवाई में तीन सौ से ज्यादा आतंकवादियों के मारे जाने की खबर है। भारत ने आधिकारिक रूप से कहा है कि खुफिया सूचना के आधार पर जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े ठिकाने पर हमला किया गया।
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद आतंकवादियों को उनकी सुरक्षा के लिए इस ठिकाने भेजा था। जानकार सूत्रों ने कहा है कि वायु सेना का हमला किसी सैन्य ठिकाने पर नहीं, सिर्फ आतंकी ठिकाने पर किया गया और इसे आतंकवादी हमलों को रोकने के मकसद से ऐहतियात के तौर पर अंजाम दिया गया। ठोस खुफिया जानकारी के आधार पर भारतीय वायु सेना द्वारा किए गए हवाई हमलों का ब्योरा देते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि ठोस खुफिया जानकारी मिली थी कि जैश ए मोहम्मद पुलवामा हमले के बाद भारत में अन्य आत्मघाती हमलों की योजना बना रहा है। गोखले ने मंगलवार को साढ़े 11 बजे प्रेस कांफ्रेंस में कहा- ठोस खुफिया सूचना मिली थी कि जैश ए मोहम्मद देश के विभिन्न हिस्सों में अन्य आत्मघाती हमले की योजना बना रहा है और इस मकसद के लिए फिदायीन जिहादी तैयार किए जा रहे हैं। गोखले ने कहा कि इसलिए यह हमला बेहद जरूरी हो गया था।
उन्होंने 26 फरवरी को कहा- खुफिया जानकारी के आधार पर आज तड़के चलाए गए अभियान में भारत ने जैश ए मोहम्मद के बालाकोट स्थित सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया। हालांकि उन्होंने इसके बारे में विस्तार से कोई ब्योरा नहीं दिया। सूत्रों के मुताबिक बालाकोट पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा प्रांत में स्थित है, जो नियंत्रण रेखा से करीब 80 किलोमीटर दूर और ऐबटाबाद के नजदीक है। गोखले ने कहा- इस अभियान में जैश ए मोहम्मद के बड़ी संख्या में आतंकवादी, प्रशिक्षक और वरिष्ठ कमांडर मारे गए और जिहादियों के समूह नष्ट हो गए, जिन्हें फिदायीन हमलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
विदेश सचिव गोखले ने हालांकि इस बारे में ब्योरा नहीं दिया कि हमले किस तरह किए गए, लेकिन सूत्रों ने बताया कि बम गिराने के लिए मिराज 2000 जेट विमानों के बेड़े का इस्तेमाल किया गया, जिनमें अन्य विमान भी शामिल थे। 1971 की लड़ाई के बाद यह पहली बार है जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी हवाई शक्ति का इस्तेमाल किया है।
बताया जा रहा है कि पूरे तालमेल के साथ चलाए गए अभियान में लड़ाकू और अन्य विमानों ने पश्चिमी और मध्य कमानों के तहत आने वाले अलग अलग वायु सेना स्टेशनों से लगभग एक ही समय पर उड़ान भरी, जिससे पाकिस्तानी रक्षा अधिकारी यह नहीं समझ सके कि ये विमान कहां जा रहे हैं। विमानों का एक समूह बेड़े से अलग होकर बालाकोट की ओर चला गया, जहां सोते हुए आतंकवादी भारत की बमबारी का आसान निशाना बन गए। समूचे अभियान में 20 मिनट का समय लगा, जिसकी शुरुआत तड़के 3.45 पर हुई और जो 4.05 बजे तक चला।
वास्तव में यह न तो किसी फौजी निशाने पर था और न ही यह नागरिकों के विरुद्ध था। इसका लक्ष्य और चरित्र अत्यंत सीमित था। यह सिर्फ आतंकियों के खिलाफ किया गया ठेठ तक पीछा (हाट परस्यूट) था, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून भी मान्यता देता है। वास्तव में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को इसका मौन स्वागत करना चाहिए था, जैसे कि पाकिस्तान की फौज और सरकार ने उसामा बिन लादेन की हत्या का किया था। लेकिन यह भारत है। अमेरिका नहीं। पाकिस्तान की जनता इमरान को कच्चा चबा डालती।
अब इमरान और पाकिस्तान क्या करे? परमाणु-शक्ति बनने के बाद यह पहली बार हुआ कि भारत ने आगे होकर कदम बढ़ाया है। दूसरे शब्दों में अब पाकिस्तानी परमाणु-ब्लेकमेल की धमकी भी बेअसर हो गई है। इसीलिए पाकिस्तान की प्रतिक्रिया बहुत ही दिग्भ्रमित लग रही है। यदि विदेश मंत्री कहते हैं कि भारतीय विमान नियंत्रण-रेखा के अंदर बस 2-3 किमी तक आए थे और सिर्फ तीन मिनिट में ही वे डरकर वापस भाग गए तो मैं पूछता हूं कि आपको इतने बौखलाने की क्या जरुरत थी ? पाकिस्तान में आपकी सरकार के लिए शर्म-शर्म के नारे क्यों लग रहे हैं? संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया जा रहा है ? अपने मनपसंद समय और स्थान पर हमले की बात क्यों कही जा रही है? जब कुछ हुआ ही नहीं तो बात का बतंगड़ क्यों बना रहे हैं ?
जहां तक भारत का सवाल है, इस सीमित और संक्षिप्त हमले का असर भारत की जनता पर अत्यंत चमत्कारी हुआ है। सारे देश में उत्साह का संचार हो गया है। विरोधी दल भी सरकार की आवाज में आवाज मिलाने को तैयार हो गए हैं। सरकार ने जिन तीन आतंकी केंद्रों पर हमला करके 300 आतंकियों को मार गिराने का दावा किया है, उसके प्रमाण देना वह उचित समझे या न समझे लेकिन यह सत्य है कि उसके हमले से कश्मीर के अंदरुनी और बाहरी आतंकवादियों की हड्डियों में कंपकंपी दौड़ जाएगी। निश्चित है कि पाकिस्तान की आतंकवादी ताकते अपने आप पस्त हो जाएंगी। यह मौका है जबकि इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्यों से सुषमा स्वराज बात करें और उनसे कहें कि वे पाकिस्तान की सरकार, फौज और जनता से कहें कि इस मामले को तूल देकर युद्ध की शक्ल न दे दें।
सुबह पाकिस्तान सेना के ‘ट्वीट’ से टूटी, जिसमें उसने ‘अपने शब्दों में’ भारतीय वायु सेना के हमले को स्वीकारा था। शायद यह पहला मौका है, जब वायु सेना ने युद्धकाल के सिवाय इतने कारगर और विशाल हमले को अंजाम दिया है। अमेरिकी एफ-16 विमानों से लैस पाक वायु सेना इस सटीक रणनीति के आगे फिर बौनी साबित हुई। हमारे मिराज-2000 विमान 21 मिनट तक उसकी सरजमीं पर आग बरसाते रहे और वे कुछ न कर सके। यह सर्जिकल स्ट्राइक इस्लामाबाद या रावलपिंडी के अहंकारी अधिकार संपन्न लोगों पर भी हुई है।
अब दहशतगर्दों को समझ में आएगा कि वे जिनकी गोद में खुद को महफूज महसूस करते थे, वे सरपरस्त खुद कितने असुरक्षित हैं? यहां हमें भूलना नहीं चाहिए कि अभी हमने जैश के कुछ ठिकाने ध्वस्त किए हैं, आतंकवाद से लड़ाई अभी बाकी है और यह लड़ाई अभी खत्म नहीं होने वाली। उम्मीद है कि पाकिस्तानी हुक्मरां जरूर इससे कुछ सबक हासिल करेंगे, क्योंकि खुद उनकी देह इन दहशतगर्दों के घावों से लहूलुहान होती रही है। जैश का मुखिया मसूद इतना मनबढ़ है कि इसने जनरल परवेज मुशर्रफ के काफिले पर ही हमला करवा दिया था। आज ‘इमरान खान शर्म करो, शर्म करो’ के नारे लगाने वाली पाकिस्तान की संसद ने एक मत से घोषणा की है कि वे अपने राजनीतिक मतभेद भुलाकर साथ लड़ेंगे। काश! वे भारत से लड़ने की बजाय अपनी आस्तीन में पल रहे इन संपोलों से जूझने का संकल्प ले लेते। इससे न सिर्फ उनके दर्द दूर हो जाएंगे, बल्कि उनके चेहरे पर पड़े तमाम दाग भी साफ हो सकेंगे। रही बात भारत की, तो 26 फरवरी, 2019 का दिन इस मायने में हमेशा याद किया जाएगा कि हमने आतंक से लड़ने की अपनी ‘पुरानी चदरिया’ को तहाकर रख दिया है।