2014 के बाद बहुत कुछ बदल गया है: डॉ. वीरेंद्र कुमार

नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर पीएम मोदी के विजन की सराहना की और कहा, ‘2014 के बाद बहुत कुछ बदल गया है क्योंकि लाखों लोग अब नि: शुल्क जल पहुंच,गैस कनेक्शन,गरीबों के लिए घर के अलावा कई अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का नाम लिए बिना मंत्री ने सबसे पुरानी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब हम घूमते हैं और गांवों का दौरा करते हैं और आबादी के निचले तबके के लोगों से बात करते हैं तो वे सभी पीएम मोदी की उन योजनाओं के लिए प्रशंसा करते हैं जो सीधे लाभ पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा,प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान दिव्यांगजन के कल्याण की दिशा में अभूतपूर्व काम किया है। मंत्री ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के लागू होने के बाद विकलांगों की श्रेणियां 7 से बढ़कर 21 हो गई हैं। इसके अलावा सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण भी 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं उच्च शिक्षा में 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा विभाग उन योजनाओं के साथ आ रहा है जो ‘दिव्यांगजन’ को सीधे लाभान्वित कर रहे हैं और हम उन्हें छात्रवृत्ति, विदेश में अध्ययन कार्यक्रम प्रदान करके उनके कल्याण के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, इसलिए आत्मनिर्भर भारत में अब दिव्यांगजन का योगदान एक बड़ी भूमिका निभाएगा।

दिव्यांग लोगों के लिए खेलों को बढ़ावा देने पर उन्होंने कहा कि टोक्यो पैरालंपिक में 54 पैरा एथलीटों ने भाग लिया और 19 पदक जीते,यह एक बड़ी सफलता है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दिव्यांगों के लिए एक खेल परिसर का निर्माण भी प्रक्रिया में है और इसके द्वारा हम दिव्यांग खिलाड़ियों का समर्थन और प्रचार करेंगे। विकलांग व्यक्तियों के लिए अद्वितीय आईडी पहल के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने जवाब दिया कि केंद्र अकेले ऐसा नहीं कर सकता है। संबंधित राज्य हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं और इन सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं उन्हें इस मामले को देखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि, देश के 30 राज्यों में से केवल 12 राज्यों ने अनुसूचित जाति के छात्रों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए धनराशि जारी की गई है। उन्होंने उन राज्यों के नाम नहीं बताए, लेकिन कहा कि अकेले केंद्र सब कुछ नहीं कर सकता। बता दें कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 6.615 मिलियन छात्रों को टारगेट करते हुए चालू वित्त वर्ष में 5,660 करोड़ रुपये निर्धारित किए थे।

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