सुभाष चंद्र
झारखंड की राजनीति में एक नया उबाल आने को बेताब है। झारखंड विकास मोर्चा के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने जिस प्रकार से सरेआम गोवध करने की बात कही है, उससे राजनीतिक बवाल होने को है। झारखण्ड की जनमानस पर भी इसका बुरा प्रभाव पडेगा। झारखण्ड के मूलवासी आदिवासी काफी धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं, ऐसे में यदि कोई किसी धर्म का मखौल उडाए, तो उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं होता है। वैसे, कहा जा रहा है कि बंधु तिर्की ऐसा बयान देकर राज्य की जनता का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करके एक समुदाय विशेष का साथ चाहते थे, जिससे आने वाले समय में उनका और उनकी पार्टी को राजानीतिक लाभ मिल सके।
झारखण्ड से लेकर दिल्ली तक यह चर्चा होनी शुरू हो गई है कि कहीं बंधु तिर्की के गोवध संबंधी निर्णय पर पार्टी के मुखिया व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की सहमति भी तो नहीं है ? यह खबर सियासी गलियारों से आम लोगों के चैक-चैराहे पर होने लगी। बाबूलाल मरांडी को लगा कि उनके लिए नई मुसीबत आने वाली है। तभी तो उन्होंने कह दिया कि बंधु के इस बयान से संगठन का कोई वास्ता नहीं है।
बता दें कि गैर जिम्मेदाराना और भड़काऊ बयान देकर चैतरफा घिरे पूर्व मंत्री बंधु तिर्की बैकफुट पर आ गए हैं। गुरुवार को विवादित बयान देने के बाद शुक्रवार को उन्होंने तौबा कर ली। चैतरफा हो रही निंदा और आलोचना के बीच उन्होंने नरम रुख अपनाते हुए कहा कि उनकी बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है। वे भी पुरानी रूढिवादी परंपराओं के पक्षधर नहीं हैं और बलि को रोकना चाहते हैं। सांकेतिक तौर पर कोहड़ा आदि की भी बलि दी जाती है। वे ग्रामीणों को इस बाबत गो-हत्या निषेध कानून का भी वे हवाला देंगे। बंधु ने बनहोरा में धार्मिक स्थल और पत्थलगड़ी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। कहा, आदिवासियों में इस बात को लेकर नाराजगी है। सरकार पांचवीं अनुसूची में दर्ज प्रावधान को प्रभावी बना दे तो सारी समस्या दूर हो जाएगी। पत्थलगड़ी के नाम पर पुलिस-प्रशासन को रोके जाने की बात है तो प्रशासन इस मामले में खुद सक्षम है। उसके पास पावर है कोई गलत कर रहा है तो वह कानूनी पद्धति से आगे बढ़े।
मामला तूल पकडने लगा। आनन-फानन में झारखंड विकास मोर्चा ने भी उनसे सीधे पल्ला झाड़ लिया है। पार्टी प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बंधु तिर्की के बयान से संगठन का कोई वास्ता नहीं है। बाबूलाल ने सफाई देते हुए कहा कि शुक्रवार की सुबह उन्होंने बंधु तिर्की से बयान के बाबत जानकारी ली। परंपरा के सवाल पर बाबूलाल ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। यहां अलग-अलग पूजन परंपरा है। वे खुद भी यह नहीं बता सकते कि बंधु तिर्की सही बोल रहे या गलत। उनके बयान को पार्टी का विचार नहीं माना जाना चाहिए।
बता दें कि बंधु तिर्की झाविमो के केंद्रीय महासचिव हैं। उनके भड़काऊ बयान के बाद पार्टी नेताओं का एक धड़ा खासा नाराज था। इसकी शिकायत बाबूलाल मरांडी से की गई थी। सामाजिक व राजनीतिक विरोध प्रबल होता देख बाबूलाल मरांडी ने पार्टी को इस बयान से अलग करने का निर्णय किया। पार्टी स्तर से फटकार मिलने के बाद बंधु तिर्की बैकफुट पर आए और डैमेज कंट्रोल की कवायद की।