रघुबर दास सरकार को लेकर भी वही शिकायतें पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के पास पहुंच रही हैं जिस तरह की शिकायतें हरियाणा के मुख्यमंत्री के बारे में आ रही हैं. बताया जा रहा है कि प्रदेश भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलकर उनसे रघुबर दास को हटाने की मांग की थी. तकरीबन महीने भर पहले इन नेताओं का असंतोष इतना बढ़ गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इन दोनों नेताओं से मुलाकात की और उन्हें उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया.राजस्थान में वसुंधरा राजे भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रही हैं. लेकिन वहां हुए उपचुनावों में भाजपा की हार से पार्टी के अंदर वसुंधरा को हटाने की मांग तेज हुई है.
नई दिल्ली। भले ही भारतीय जनता पार्टी का इकबाल बुलंद होता दिख रहा है, लेकिन कई राज्यों में मुख्यमंत्री बदलने की मांग तेजी से हो रही है. मुख्यमंत्री के काम काज से उनके अपने ही लोग ज्यादा नाराज दिख रहे हैं. लेकिन, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपने विधायकों की मांग को फिलहाल नजरअंदाज कर रहा है.राजस्थान, हरियाणा और झारखंड में भाजपा के भीतर से ही मुख्यमंत्री बदलने की मांग हो रही है.पार्टी के नेताओं से बातचीत करने पर इसकी कुछ वजहें समझ में आती हैं.
राजस्थान में वसुंधरा राजे भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रही हैं. लेकिन वहां हुए उपचुनावों में भाजपा की हार से पार्टी के अंदर वसुंधरा को हटाने की मांग तेज हुई है. यह मांग पहले भी उठ रही थी. जब ललित मोदी प्रकरण सामने आया तो उस वक्त भी वसुंधरा राजे का नाम विवादों से घिरा था. वसुंधरा के इस कार्यकाल में हुए कामकाज को खुद पार्टी के नेता संतोषजनक नहीं मानते. मनोहर लाल खट्टर की सरकार अगले साल के अंत में अपना कार्यकाल पूरा करेगी. लेकिन उनके कार्यकाल के साल भर के अंदर ही प्रदेश भाजपा के नेताओं ने उन्हें हटाने की मांग शुरू कर दी थी. सूत्रों के मुताबिक हरियाणा भाजपा के दो बड़े नेताओं ने दिल्ली में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों के सामने खट्टर को हटाने की जरूरत पर जोर दिया है. इन नेताओं का कहना है कि खट्टर अपने अब तक के कार्यकाल में अप्रभावी मुख्यमंत्री साबित हुए हैं और उनके रहते न तो पार्टी अगले लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर सकती और न ही अगले विधानसभा चुनावों में. 2014 में हरियाणा के साथ ही झारखंड में भाजपा सरकार बनी थी और रघुबर दास को मुख्यमंत्री बनाया गया था. रघुबर दास सरकार को लेकर भी वही शिकायतें पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के पास पहुंच रही हैं जिस तरह की शिकायतें हरियाणा के मुख्यमंत्री के बारे में आ रही हैं. बताया जा रहा है कि प्रदेश भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलकर उनसे रघुबर दास को हटाने की मांग की थी. तकरीबन महीने भर पहले इन नेताओं का असंतोष इतना बढ़ गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इन दोनों नेताओं से मुलाकात की और उन्हें उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया.
इसके बावजूद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ये बदलाव क्यों नहीं कर रहा है. इसके जवाब में पार्टी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी कहते हैं, ‘इसकी दो वजहें हैं. पहली तो यह कि अगर हम मुख्यमंत्री बदलते हैं तो विपक्ष को एक मुद्दा मिल जाएगा. उसकी तरफ से यह प्रचारित किया जाएगा कि पिछला मुख्यमंत्री ठीक से काम नहीं कर रहा था, इसलिए उसे बदल दिया गया. अगर विपक्ष इसे ठीक से मुद्दा बना ले तो इससे इन राज्यों में अगले लोकसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है.’ वे आगे कहते हैं, ‘दूसरी वजह यह है कि नरेंद्र मोदी के आने के बाद पार्टी ने हर जगह चुनाव उनके चेहरे का आगे करके लड़ा है. मुख्यमंत्री बदलने का यह संकेत यह भी जाएगा कि पार्टी राज्यों में नरेंद्र मोदी को नहीं बल्कि वहां के मुख्यमंत्री को अपना चेहरा मान रही है.’ जानकारों के मुताबिक राज्यों में मुख्यमंत्री नहीं बदले जाने की एक तीसरी वजह भी समझ में आती है. दरअसल, एक बार अगर कोई मुख्यमंत्री बन जाता है तो पार्टी में उसका कद बड़ा हो जाता है. राजनीतिक के साथ-साथ प्रशासनिक स्तर पर भी उसका एक आभामंडल तैयार हो जाता है. ऐसे में किसी भी पार्टी के लिए मुख्यमंत्री को एक झटके में उसकी इच्छा के विरुद्ध हटाना आसान नहीं होता, खास तौर पर ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव तकरीबन साल भर की दूरी पर खड़े हों. आम तौर पर पार्टियां अपने मुख्यमंत्रियों को भरोसे में लेकर ही बदलती हैं. एक झटके में मुख्यमंत्री तब ही हटाया जाता है जब उस पर कोई गंभीर आरोप लग रहे हों.