नई दिल्ली। भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्ीय अध्यक्ष श्री वीरेंद्र ंिसह मस्त ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान को लेकर कडी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अंगे्रजी दास्तां का परिचायक है राहुल गांधी का बयान, जो भाजपा अध्यक्ष को उसी तरह से हत्यारा बता रहे हैं, जैसे हमारे स्वतंत्रता सेना चंद्रशेखर आजाद सहित कई शहीदों को अंग्रेजों ने लुटेरा, हत्यारा और आतंकवादी के जैसा कहते थे। जो ये दर्शाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष की मानसिकता अंग्रेजी दास्तां की परिचायक है।
श्री मस्त ने आज यहां पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ये कहते कहा कि एक तरह से कांग्रेस अध्यक्ष का राजनीतिक दिवालियापन है, जो अनभिज्ञ है कि देश में आज किसान, खेत, खलिहान अर्थात हमारे अन्नदाता का विश्वास अब के पहले किसी सरकार ने इस तरह के नहीं लिया, जैसा की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सरकार की है। भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह को कोसने वाले राहुल गांधी की राजनीतिक बदहाली इसलिए है, क्योंकि देश का किसान खुशहाल है, जाक अभी तक इस देश के किसान और मजदूरी का काम नहीं हो रहा था वो अब हो रहा है। हमारे प्रधानमंत्री और राष्ट्ीय अध्यक्ष अपना कर्तव्य समझ कर किसानों की बेहतरी के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। देश के किसानों का पूरा समर्थन अब भाजपा को मिलता हुआ दिख रहा है।
इस संदर्भ में सांसद श्री वीरेंद्र सिंह मस्त का मानना है कि राहुल गांधी जो अक्सर अपने अपरिपक्व बयानों के चलते उपहास का पात्र बनते जा रहे हैं, ऐसे में उनका भाजपा के राष्ट्ीय अध्यक्ष को लेकर दिया गया बयान उनकी बौखलाहट को दर्शाता है। यह राहुल गांधी की अज्ञानता ही है कि वो देश के स्वतंत्रता आंदोलन के अमर सपूत को लेकर जैसी सोच अंग्रेजों की थी, उसी सोच के पोषक हैं। श्री मस्त ने कहा कि किसानों के नाम पर घडियाली आंसू बहाने वाले राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश के किसान भाई भूले नहीं है, जो उत्तर प्रदेश चुनाव में किसान यात्रा का ढिंढोरा पीट रहे थे कि किसानों के हित में कुछ नहीं हुआ है। अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी फिर से किसानों को लेकर कोई प्रपंच करेंगे। कांग्रेसे ने किसानों को सदा दासता की नजर से ही देखा है, जैसा अंग्रेजों के समय में होता है।
भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्ीय अध्यक्ष व सांसद श्री मस्त ने कहा कि राहुल गांधी को न तो देश का ज्ञान है और किसान का। वो चर्चा में रहने के लिए कुछ भी अनाप-शनाप बोलते हैं। यही कारण है कि लोग उनको गंभीरता से नहीं लेते हैं। विदेश में जाकर किस प्रकार से उन्होंने भारतीयों को, देश के अन्नदाताओं का मखौल उडाने का काम किया है, उसको पूरा देश देखा है, सुना है। वह दिन दूर नहीं, जब देश का हर अन्नदाता उनसे एक-एक सवाल का जवाब मांगेगा।