नई दिल्ली। लोक आस्था और सूर्योपासना के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय से शुरू हो गया है। बुधवार 24 अक्टूबर को खरना है। गुरूवार 25 अक्टूबर को भगवान भाष्कर को पहला सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। खरना के बाद छठवर्ती 36 घंटे तक निर्जलाव्रत रखेंगे। कार्तिक माह की षष्ठी को डूबते हुए सूर्य और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य को देने की परंपरा है। शाम को अर्घ्य को गंगा जल के साथ देने का प्रचलन है जबकि सुबह के समय गाय के दूध से अर्घ्य दिया जाता है। यह पर्व खास तौर पर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। अब तो दिल्ली में भी छठ की धूम रहती है।
नहाय-खाय के दिन व्रती किसी नदी या जलाशय में स्नान करते हैं। नदी या जलाशय के अभाव में व्रती साफ पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। इसके बाद पूरी शुद्धि के साथ व्रती बगैर लहसुन, प्याज और मिर्च व मसाले के लौकी की सब्जी, अरवा चावल और चने की दाल तैयार करती हैं। व्रती यही भोजन व्रत के संकल्प के लिए ग्रहण करते हैं। व्रतियों के भोजन कर लेने के बाद यही भोजन घर के अन्य सदस्य प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।नहाय-खाय के दिन कद्दू की सब्जी और अगस्त के फूल का बचका बनाने का नियम है। व्रत के दौरान व्रती को लंबा उपवास करना होता है। उस दौरान व्रती के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। तब कद्दू शरीर में पानी की कमी की पूर्ति करता है, जिससे श्रद्धालु को ताकत मिलती रहती है। तो वहीं अगस्त का फूल रोग निरोधक होता है। कार्तिक माह में मौसम परिवर्तन के चलते यह व्रती को बीमार होने से बचाता है।