नई दिल्ली। आतंकवाद की आड़ में छद्म युद्ध चलाने वालों को कड़ा संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत शांति में विश्वास करता है और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन राष्ट्र की सम्प्रभुता की कीमत पर सम्मान से समझौता करके नहीं। आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अब यह तय हो चुका है कि हमारे सैनिक उन सबको मुंहतोड़ ज़वाब देंगे जो हमारे राष्ट्र में शांति और उन्नति के माहौल को नष्ट करने का प्रयास करेंगे।’’ पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी ने कहा, ‘‘हम शांति में विश्वास करते हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सम्मान से समझौता करके और राष्ट्र की सम्प्रभुता की कीमत पर कतई नहीं।’’ उन्होंने कहा कि भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है। 20वीं सदी में दो विश्वयुद्धों में भारत के एक लाख से अधिक सैनिकों ने शांति के प्रति अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और यह तब हुआ, जब उस युद्ध से कोई वास्ता नहीं था।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी नज़र किसी और की धरती पर कभी भी नहीं थी। यह तो शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता थी।’’ सेना के योगदान की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि शायद ही कोई भारतीय हो सकता है जिसको सशस्त्र बलों पर, सेना के जवानों पर गर्व न हो। प्रत्येक भारतीय, चाहे वो किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म, पंथ या भाषा का क्यों न हो, वह सैनिकों के प्रति अपनी खुशी अभिव्यक्त करने और समर्थन दिखाने के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि कल भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने ‘पराक्रम पर्व’ मनाया था।
मोदी ने 2016 में हुई उस सर्जिकल स्ट्राइक को याद किया जब सैनिकों ने राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में छद्म युद्ध की धृष्टता करने वालों को मुँहतोड़ ज़वाब दिया था। उन्होंने कहा कि देश में अलग-अलग स्थानों पर सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनी लगाए ताकि अधिक से अधिक देश के नागरिक, खासकर युवा-पीढ़ी, यह जान सके कि हमारी ताक़त क्या है। हम कितने सक्षम हैं और कैसे हमारे सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर के हम देशवासियों की रक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि पराक्रम पर्व जैसा दिवस युवाओं को सशस्त्र सेना के गौरवपूर्ण विरासत की याद दिलाता है और देश की एकता एवं अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित भी करता है।