रायपुर। शराब घोटाला मामले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद सियासत तेज हो गई है। वहीं सात दिन की रिमांड में कवासी लखमा से ईडी कुछ ऐसे भी राज उगलवा सकती है, जो ना सिर्फ कवासी लखमा की मुश्किलें बढ़ायेगा, बल्कि कांग्रेस के बाकी नेताओं की भी गले का फांस बनेगा। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया। इसके साथ ही जो साक्ष्य हैं उन्हें नष्ट करने की कोशिश हो सकती है। ऐसे में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया है। जहां कोर्ट ने 7 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। हमने कोर्ट से 14 दिनों के न्यायिक हिरासत की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने 7 दिनों की रिमांड दी है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।
शराब घोटाले में जो जांच चल रही है। उसमें अरविंद सिंह ने अपने बयान में बताया था कि शराब कार्टल से 50 लाख रुपये महीने का पेमेंट कवासी लखमा को किया जाता था। वहीं, अरुणपति त्रिपाठी ने अपनी गवाही में बताया था कि पांच लाख रुपये के अलावा हर महीने मंत्री को डेढ़ करोड़ रुपये और दिया जाता था। इस तरह से हर महीने मंत्री को शराब कार्टल से दो करोड़ रुपये मिलते थे। यही नहीं करीब 36 महीने तक यह घोटाला चला इस हिसाब से मंत्री को 72 करोड़ रुपये मिले हैं।
जांच में पता चला है कि एक्साइज विभाग में अफसर इकबाल खान और जैन देवांगन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पैसे की व्यवस्था करके पैसे कवासी लखमा को भेजते थे। सुकमा में इन बैग को कन्हैयालाल कुर्रे कलेक्ट करते थे। जगन्नाथ साहू और इनके बेटे हरीश लखमा के यहां जब सर्चिंग की गई डिजिटल सबूत मिले थे। इस डिजिटल साक्ष्य की जब जांच हुई तो सामने आया कि इस पैसे का उपयोग बेटे का घर बनाने और सुकमा में कांग्रेस भवन बनवाने में किया गया है।