कोरोना का बढ़ता कहर, दिल बच्चा रखिए

नई दिल्ली।  कोरोना ने एक बार फिर कहर बरपाना शुरू कर दिया है । सर्दी की आहट मात्र से मानो इसे पंख लग गये और हर शहर कस्बे में कोरोना के मामलों में तेज़ी आ गयी । इधर हरियाणा में स्कूल खोले जाने के बाद फिर इस पर विचार करने की जरूरत महसूस होने लगी है सरकार को ।

कोरोना के चलते कोर्ट की दिल्ली सरकार को फटकार

कोरोना के चलते कोर्ट दिल्ली सरकार को फटकार लगा रहा है कि -रात में चितायें जल रही हैं , शमशान खाली नहीं और सरकार है कि सिर्फ बातें कर रही है ? पहले तो यह कि चाहे छठ पूजा हो या मंदिरों के खोलने का मामला , हर बार कोर्ट की फटकार से ही समझ क्यों आती है ?

 

कोरोना का बढ़ता कहर, हम सभ्य नागरिक कब बनेंगे

हम सभ्य नागरिक कब बनेंगे और कैसे बनेंगे ? कोर्ट के डंडे से कब तक हांके जायेंगे ? खुद हमारी आत्मा नहीं समझेंगी मामले की नज़ाकत? क्या छठ पूजा जरूरी है ऐसे कोरोना काल में ? घर पर ही सब कर लीजिए न । दिल्ली में नदी किनारे केजरीवाल सरकार का विरोध किसलिए कि छठ पूजा को इजाजत नहीं ? क्या आप मामले की नज़ाकत नहीं समझे ? कितनी जानें रोज़ लील रहा है यह कोरोना और आपको है परंपराओं का रोना ? कुछ तो बड़ा सोचिए रवि किशन जी ? आप कलाकार हैं पर अब राजनीति में क्या आए सब भाजपा की बोली बोलोगे ? जनता के प्राणों की चिंता नहीं करोगे ?

 

कितने नामी लोग भी हम खो चुके

कोरोना के कहर में कितने नामी लोग भी हम खो चुके । क्या अब भी नहीं समझेंगे? पर हमारे नेता किसी भी कार्यक्रम में इस सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में गंभीरता नहीं दिखा रहे । क्यों ? यह सारे नियम राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर ही लागू होते हैं ? आप पर नहीं । हर रोज़ ऐसे फोटोज प्रकाशित किए जा रहे हैं लेकिन नेता हैं कि मानते नहीं । वे नेता भी जो खुद कोरोना को झेल चुके । क्या कोई सबक नहीं सीखा ?

दिल से बच्चे बने रहिए

दूसरी ओर सचिन तेंदुलकर कोरोना से जीतने वाली योद्धाओं से बात कर हौंसला बढ़ा रहे हैं कि दिल से बच्चे बने रहिए और कोरोना का मुकाबला कीजिए । आपके भीतर का बच्चा जिंदा रहना चाहिए । इसी स्प्रिट से , जज्बे से कोरोना हो क्या कोई भी जंग जीती जा सकती है । आपको हमेशा जिज्ञासु और सीखने की भावना से भरपूर रहना चाहिए । सच ही गीतकार ने लिखा… दिल तो बच्चा है जी

 


कमलेश भारतीय, वरिष्ठ पत्रकार

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