अलवर। डाबर इंडिया लिमिटेड ने आज जिले में तीन सरकारी स्कूलों में आधारभूत ढांचे के पूरी तरह से सुधार के साथ अलवर में अपनी सामुदायिक विकास पहल की औपचारिक शुरुआत की घोषणा की। डाबर ने इस साल की शुरुआत में तीन सरकारी स्कूलों — सरकारी माध्यमिक स्कूल गुगदुड, सरकारी प्राथमिक स्कूल हल्दीना उमरई और राजकीय आदर्श उच्च मद्यामिल विद्यालय बागध राजपूत — को गोद लेकर अलवर में अपने कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की शुरुआत की थी। इन तीनों स्कूल के बुनियादी ढाँचे का कायाकल्प किया गया जिसमें लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए नई स्वच्छता सुविधाओं का निर्माण शामिल था। विद्यालय की सुविधाओं में एक बड़ा सुधार करने के बाद स्कूलों को आज औपचारिक रूप से स्थानीय प्रशासन को सौंप दिया गया।
यह विकास कार्य डाबर की सीएसआर आर्म जीवन्ति वेलफेयर व चैरिटेबल ट्रस्ट और एक स्वतंत्र विकास एजेंसी युवा अनस्टॉपबल द्वारा किया गया। सभा को संबोधित करते हुए, डाबर इंडिया लिमिटेड के सीएसआर हेड श्री ए सुधाकर ने कहा: “शिक्षा का महत्व हर व्यक्ति के लिए निर्विवाद है। डाबर में, हम मानते हैं कि शिक्षा एक बेहतर जीवन और समाज के समग्र विकास को सुनिश्चित करने की कुंजी है। नामांकन स्तर में सुधार और ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी विद्यालयों में स्कूल छोड़ने की दर को कम करने की एक बोली में, डाबर ने स्कूलों में बुनियादी ढांचे में सुधार लाने और ग्रामीण भारत के बच्चों के लिए सीखने के अनुभव में सुधार लाने की जिम्मेदारी ले रखी है। यह सुधार इस बड़ी पहल का हिस्सा है।”
डाबर पर्यावरण निरंतरता के इर्द-गिर्द कई सामुदायिक विकास पहल के माध्यम से राजस्थान में लोगों का जीवन स्तर सुधारने की दिशा में लगातार काम कर रही है। 2016 में डाबर ने नेवई में जल संरक्षण परियोजना की सफलतापूर्वक शुरुआत की थी जिससे न केवल इस क्षेत्र में भूजल स्तर सुधरा साथ ही साथ इस क्षेत्र में समुदाय के सदस्यों की पेयजल जरूरतों को पूरा करने में भी मदद की।
“शिक्षा-संबंधित परियोजनाओं को कवर करने के लिए हमने राजस्थान में हमारे सामुदायिक विकास पहल का दायरा बढ़ा दिया है। अलवर के इन तीन स्कूलों में विकास कार्य पूरा होने के साथ, अब हम क्षेत्र के पांच नए स्कूलों में इस कार्य को विस्तारित करेंगे,” श्री सुधाकर ने कहा।
सरकारी माध्यमिक स्कूल गुगगुद में 396 छात्रों की संख्या (234 लड़कियां भी शामिल) के साथ पुननिर्माण अभ्यास में नई पेयजल सुविधा का विकास और नई डिशवाशिंग सुविधा शामिल है। इसके अलावा, स्कूल में स्वच्छता सुविधा में लड़कों के लिए 3 युरनल और 2 वाटर क्लोसेट और लड़कियों के लिए 3 युरनल और 3 वाटर क्लोसेट के निर्माण के साथ पूरी तरह से पुर्नोत्थान की गई है। सरकारी प्राइमरी स्कूल हल्दीना उमरई में भी नई पेयजल सुविधा और एक डिशवाशिंग क्षेत्र बनाने के अलावा लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए अलग-अलग युरनल और वाटर क्लोसेट तैयार किए गए हैं। इस स्कूल में 102 छात्र हैं जिनमें 39 लड़कियां हैं। दूसरी तरफ राजकीय आदर्श उच्च मद्यामिल विद्यालय बागध राजपूत में 524 छात्र हैं जिनमें 270 लड़कियां हैं। इस स्कूल में अपग्रेड किए गए स्वच्छता सुविधा में लड़कों के लिए 5 युरनल और 2 वाटर क्लोसेट और लड़कियों के लिए 3 युरनल और 3 वाटर क्लोसेट के निर्माण किया गया है।
विद्यालय के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद और उनके विशिष्ट जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही स्कूल सुधार का कार्य हाथ में लिया गया था। “क्षेत्र के एक विस्तृत सर्वेक्षण के बाद, अलवर में इन तीन स्कूलों को हमारे सीएसआर एक्टिविटी का लाभ देने के लिए चुना गया था। स्कूल प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों के साथ विचार विमर्श के बाद, हमने इस स्कूल में कई विकास गतिविधियां आरंभ कीं जिसमें कक्षाओं में सुधार, स्कूल में मौजूदा टॉयलेट ब्लॉक की मरम्मत और नवीनीकरण, पीने के पानी और डिशवाशिंग आदि के लिए नई सुविधाएं तैयार करना शामिल हैं। हमारा उद्देश्य क्षेत्र के लिए इन स्कूलों को आदर्श विद्यालयों के रूप में विकसित करना और सहयोग करना है।” श्री सुधाकर ने कहा।
स्कूल की इमारत और कक्षाओं को पूरी तरह से पुर्नोत्थान किया गया है और लर्निंग एड (बाला) कार्यक्रम के रूप में स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा से संबंधित संदेशों को स्कूल की दीवारों पर चित्रित किया गया है। बुनियादी शिक्षा तक पहुंच किसी भी बच्चे का सबसे मौलिक अधिकार है लेकिन स्कूलों में स्वस्थ सीखने का वातावरण होना और बुनियादी और स्वच्छ सुविधाओं तक पहुँच होना भी इतना ही महत्वपूर्ण है। आगे बढ़ते हुए, डाबर ने ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की आजीविका में सुधार लाने के उद्देश्य से कई विकास पहलों को शुरू करने की योजना बनाई है।