कोझिकोड (केरल)। भारत ने भले ही अगले साल होने वाले फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई नहीं किया हो, लेकिन खेल के इस बड़े कार्यक्रम के दौरान इसका प्रतिनिधित्व यहां बेपोर में बनी ‘उरु’ नामक पारंपरिक लकड़ी की नौका की प्रतिकृति द्वारा किया जाएगा, जिसका इस्तेमाल प्राचीन काल में मेसोपोटामिया के साथ व्यापार के लिए किया जाता था।
पूरी तरह लकड़ी और नारियल की जटा से बनी 27 फुट लंबी नौका को चालियाम स्थित हाजी पीआई अहमद कोया एंड कंपनी द्वारा बेपोर में ‘ऑर्डर’ पर बनाया जा रहा है, जो ऐतिहासिक रूप से उरु बनाने के लिए प्रसिद्ध है। इसे कतर में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय नौका महोत्सव में प्रदर्शित किया जाएगा जो अगले साल, फीफा विश्व कप के साथ-साथ आयोजित होगा।
महीने भर चलने वाला विशाल खेल कार्यक्रम पहली बार पश्चिम एशिया में हो रहा है। सात फुट चौड़ी और छह फुट लंबी पारंपरिक व्यापारिक पोत की प्रतिकृति, को प्राचीन काल के दौरान बनाई जाने वाली नौका की ही तरह बनाया जा रहा है – जब लोहे की कीलों और धातुओं का उपयोग जहाज निर्माण के लिए नहीं किया जाता था – लकड़ी की कीलों और नारियल जटाओं का उपयोग करके लकड़ी के तख्तों को बांधा जाता था।
Attended the commissioning ceremony of INS Visakhapatnam into Indian Navy today. This indigenously developed missile destroyer is packed with state-of-the-art weapons & modern technology. It is a symbol of India’s growing maritime prowess.@indiannavy https://t.co/kpQCUHiGy8 pic.twitter.com/7G35fFlzQ1
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) November 21, 2021
कंपनी के प्रबंध निदेशक हमद हाशिम ने बताया, “चार बढ़ई और अन्य कुशल कारीगर इस नौका के काम में लगाए गए हैं। लोहे की कीलों का उपयोग नहीं किया गया है, केवल लकड़ी की कीलों का उपयोग किया गया है जैसा कि 11 वीं और 12 वीं शताब्दी के दौरान हुआ करता था। इस काम में 2,500 टांके और 5,000 छिद्र और महीनों का लंबा प्रयास शामिल है।” साथ ही बताया कि अंतिम रूप देने के अलावा नौका का सारा काम हो गया है।
11वीं सदी की नौका की प्रतिकृति को अगले साल जनवरी में एक शिपिंग कंटेनर में कतर ले जाया जाएगा।