दरभंगा। महाकवि नागार्जुन का महान जीवन दर्शन विश्वमानववाद, वसुधैव कुटुम्बकम, एक विशाल, व्यापक विश्व दृष्टि को सहज बयां करता है। नागार्जुन का संपूर्ण कृतित्व प्रगतिशील चेतना का वाहक है। उनके साहित्य में मध्यमवर्गीय जीवन तथा मजदूर वर्ग की ज़िन्दगी का संपूर्ण चित्र यथार्थ रूप में मिलता है। उन्होंने जगत की वास्तविकता को सामने लाया। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से एक नयी समस्या, एक नयी चेतना का अलोक दिखाया। उन्होंने अपनी रचनाओं में श्रमिक, दलित तथा शोषित समाज के दुःख और कष्ट का चित्रण किया है। वे जीवन के भयंकर यथार्थ का चित्रण करते हैं, उन्होंने पूँजीवाद, साम्राज्यवाद, संप्रदायवाद सभी का विरोध किया है, जिससे श्रमिक, शोषित वर्ग और किसानों को उनके श्रम का उचित मान मिल सके।
उक्त बातें विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने रविवार को बाबा नागार्जुन के जयंती के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय परिसर स्थित बाबा नागार्जुन की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए कही।
अपने संबोधन में उन्होंने बाबा नागार्जुन की के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें भारत रत्न सम्मान से अलंकृत किए जाने की मांग की । भारत रत्न सम्मान के लिए बाबा नागार्जुन सभी अर्हताओं को पूरा करते हैं इसलिए केन्द्र सरकार को इस दिशा में यथोचित कदम उठाने में देरी नहीं करनी चाहिए।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि अमरकांत अमर ने कहा कि प्रगतिशील हिंदी कविता में सबसे अधिक संवेदनशील और लोक उन्मुख जन कवि बाबा नागार्जुन की विशिष्टता इसी बात में रही कि उनकी रचनाओं और उनके जीवन में वास्तविक सामंजस्य रहा।
समाजसेवी महेश कुमार झा ने कहा कि बाबा नागार्जुन की रचनाएं सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि पक्षों का एक बड़ा चिन्ह हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है।
विद्यापति सेवा संस्थान के कार्यालय सचिव एवं प्रवक्ता प्रवीण कुमार झा ने कहा कि नागार्जुन ने अपने युग के यथार्थ और समसामयिक चेतना को जिस प्रकार से अपनी रचनाओं में विशेष रूप से मुखरित किया है उन्हें भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाना समय की मांग है।
रंगनाथ ठाकुर ने बाबा नागार्जुन के यायावर प्रवृत्ति को उजागर करते हुए उन्हें भारत रत्न सम्मान दिए जाने का समर्थन किया। सीएम साइंस कॉलेज के वरीय शिक्षक डॉ अशोक कुमार झा ने विद्यापति सेवा संस्थान द्वारा बाबा नागार्जुन को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की मांग को जायज ठहराया।
इस अवसर पर बाबा नागार्जुन को माल्यार्पण करने वालों में एमएलएसएम कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ अनिल कुमार झा, प्रोफेसर चंद्रशेखर झा बूढा भाई विष्णु कुमार झा, विष्णु देव झा विकल, संतोष कुमार झा, नवल किशोर झा, रामबरन यादव, जोगेश्वर साहु, नेपाल के प्रवीण नारायण चौधरी आदि शामिल थे।