कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों के लिए प्रयोग की जाने वाली रेमडेसिवीर की मांग बीते दिनों देश भर में बढ़ गई। अस्पतालों के सीमित प्रयोग की गाइडलाइन होने के बावजूद रेमडेसिवीर की मांग केमिस्ट की दुकानों से की जा रही है। सरकार ने हाल ही में रेमडिसवीर के शुल्क में भी कमी करने के साथ ही इसके निर्यात पर रोक लगा दी है। पहले इंजेक्शन की घरेलू मांग को पूरा किया जाएगा। बावजूद इसके यह जानना बेहद जरूरी है कि कब और किसको रेमडेसिवीर की जरूरत है और इसकी बिक्री संबंधी नियम क्या है? रेमडेसिवीर के प्रयोग और इससे संबंधित गाइडलाइन को लेकर प्रमुख प्रश्नों के जवाब दिए डॉ. अरूण शर्मा ने
-क्या सभी कोरोना संक्रमि मरीजों को रेमडेसिवीर की जरूरत होती है?
नहीं, कोरोना से संक्रमित सभी मरीजों को एंटीवायरल रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती है, अधिकांश जगह देखा गया है कि मरीज कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट आते ही रेमडेसिवीर और ऑक्सीजन ढूंढने लगते हैं, जबकि ऐसा नहीं है कोरोना के लक्षण आने के बाद भी यदि आपको अन्य किसी तरह की कोई गंभीर बीमारी नहीं है तो अस्पताल में भर्ती में भी होने की जरूरत नहीं है। चिकित्सक की सलाह पर ही रेमडिसवीर इंजेक्शन का प्रयोग किया जाना चाहिए। इंजेक्शन को लेकर अभी तक किए गए क्लीनिकल ट्रायल में यह देखा गया कि इंजेक्शन संक्रमण को बढ़ने से रोकता है। इस पर अभी प्रयोगात्मक अध्ययन किए जा रहे हैं, और इंजेक्शन का प्रयोग केवल अस्पतालों में इमरजेंसी यूज आर्थराइजेशन के तहत ही किया जा सकता है।
-यदि नहीं, तो किस हालात में किन मरीजों को इसे दिया जाता है?
कोरोना के अति गंभीर मरीज जिन्हें आरटीपीसीआर के अतिरिक्त सीटी चेस्ट में भी कोरोना पॉजिटिव देखा गया है या ऐसे मरीज जिनका सप्ताह भर से बुखार कम नहीं हो या या फिर ऐसे मरीज जिन्हें लगातार ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है, ऐसे मरीजों को रेमडेसिवीर इंजेक्शन अस्पताल या इलाज करने वाले चिकित्सक द्वारा ही दिया जाता है।
-यदि कोई चिकित्सक मरीज से दवा बाहर से लाने के लिए कहता है तो क्या उसे इसका अधिकार है?
भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकाल के अनुसार रेमडेसिवीर रिटेल शॉप पर नहीं बेचा जा सकता। सीमित इस्तेमाल तहत अस्पतालों में ही इसके आपातकालीन प्रयोग की अनुमति दी जाती है, यदि कोई अस्पताल या चिकित्सक इसे मरीज से बाहर से खरीदने के लिए दबाव बनाता है तो इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन कहा जा जाएगा। रेमडेसिवीर को मरीज बिना चिकित्सक की सलाह पर घर पर भी प्रयोग नहीं कर सकते और न ही इसे चिकित्सक मरीज को घर पर लेने का परामर्श दे सकते। कोविड प्रबंधन के सभी उपायों में रेमडेसिवीर की बहुत कम भूमिका है बावजूद इसके गंभीर मरीजों के लिए इसकी मांग बढ़ी है, जिसको देखते हुए सरकार ने रेमडेसिवीर का मूल्य आधा करने के साथ ही एनपीपीए (नेशनल फार्मासियुटिकल प्राइसिंग आर्थोरिटी) से इसके बेवजह प्रयोग को नियंत्रित करने की भी बात कही है।
-दवा यदि अस्पताल में ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है तो ओपेन बिक्री क्यों हो रही है?
खुदरा या रिटेल शॉप पर इस इंजेक्शन की बिक्री नहीं हो सकती, सीमित प्रयोग उत्पाद श्रेणी के तहत इसे केवल अस्पतालों में आपूर्ति किया जाता है। यदि खुदरा दवा करोबारी इसे खुले बाजार में बेच रहे तो यह गलत है।
-पहले रेमडेसिवीर देश भर में केवल सात उत्पादन केन्द्रों पर बनाई जाती थी, बढ़ती मांग को देखते हुए अब क्या व्यवस्था है?
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के साथ हाल में हुई बैठक में रेमडेसिवीर के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। पहले इंजेक्शन का उत्पादन सात प्रमुख फार्मासियुटिकल कंपनियों की साइट पर किया जाता था, जिससे रेमडेसिवीर के प्रतिमाह 38 लाख वायल का उत्पादन होता था। छह अतिरिक्त साइट्स पर इंजेक्शन का उत्पादन होने के बाद अब भारत में हर महीने 78 लाख वायल तैयार किए जा सकेगें, घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इंजेक्शन के निर्यात को रोकने का भी अहम फैसला लिया गया है। रेमडेसिवीर का मूल्य अब अधिकतम पांच हजार और न्यूनतम 899 रुपए कर दिया गया है।
-देश में कई जगह रेमडेसिवीर ब्लैक में और चार गुना अधिक दाम पर बेचा जा रहा है, ऐसा करने पर क्या किसी सजा या कार्रवाई का भी प्रावधान है?
जरूरी दवाओं के स्टॉक को इकट्टा करना या निर्धारित दाम से अधिक बेचना, या दवा होने पर भी नहीं देना, बेवजह मरीजों से दवा रिटेल से लाने पर जोर देना आदि महामारी एक्ट में दंडनीय हैं। ऐसा करने पर दवा विके्रता का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है। लेकिन ऐसे अधिकांश मामलों में मरीज खुद शिकायत नहीं करते या फिर जो शिकायतें आती हैं उनमें पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिल पाते, जिससे आसानी से रिटेल या खुदरा दवा विक्रेता बच निकलते हैं।
(जानकारी गुरूतेग बहादुर अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर और एनआईआईआरएनसीडी जोधपुर के निदेशक डॉ. अरूण शर्मा द्वारा दी गइ)