अब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के बारे में जानकारी दे रहे हैं अपोलो स्पेक्ट्रा के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. नईम अहमद सिद्दकी

नई दिल्ली :  शहरी दिनचर्या ने नींद की गुणवत्ता को काफी प्रभावित किया है। नींद न आना, सोते समय खर्राटे लेना या फिर बीच रात में नींद टूट जाना आदि कुछ साधारण नींद से जुड़ी समस्याएं है। इन सभी के बीच ओएसए यानि अब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के मरीज भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि ओएसए का अभी तक सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन मेडिकल उपकरणों और दिनचर्या में सुधार से इसकी गंभीरता को कम किया जा सकता है।
डॉ. नईम सिद्दकी कहते हैं कि ओएसए यानि अब्सट्रक्ट्रिव स्लीप एपनिया में सोते समय सांस नली के ऊपरी हिस्से में रूकावट आ जाती है, जिससे फेफड़ों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती और मरीज की सोते समय ही सांस उखड़ने लगती है। ऐसे मरीज सोते समय अचानक सांस लेना बंद कर देते हैं गहरी सांस लेते हैं या फिर ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने पर नींद से जाग जाते हैं। ऐसे मरीजों को हिदायत दी जाती है कि उनकी सांस की मॉनिटरिंग करने के लिए परिवार का सदस्य अवश्य पास में हो। यदि सही समय पर नींद की इस समस्या इलाज नहीं किया जाता है तो गंभीर परिणाम सामने आते हैं। लंबे समय ओएसए का समुचित इलाज नहीं किए जाने पर याद्दाश्त कमजोर होना, एकाग्रता की कमी और व्यवहार में चिड़चिड़ा पन आने लगता है।

क्या है बीमारी के लक्षण
डॉ. नईम सिद्दकी कहते हैं कि ओएसए मरीज को कभी उसकी समस्या के बारे में पता ही चलता है जबतक कि परिवार के किसी सदस्य द्वारा उसे इसके बारे में बताया न जाए। शुरूआती लक्षणों में तेजी ध्वनि के साथ खर्राटे, सोते समय ऑक्सीजन के लिए मशक्कत करना, सुबह सूखे हुए मुंह के साथ उठना, सुबह सिरदर्द बने रहना, गुणवत्ता परक नींद में कमी और दोपहर के समय नींद आना प्रमुख लक्षण हैं। जिसे हाइपरइंसोमेनिया भी कहा जाता है, यह सभी ओएसए के प्रारंभिक लक्षण माने जाते हैं।

क्या ओएसए का इलाज संभव है?
मेडिकल उपकरण जिसे सीपीएपी कंटिन्यूअस पॉजिटिव एअरवेज प्रेशर भी कहा जाता है की सहायता से मरीज को आवश्यकता अनुसार ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है, या फिर गंभीर स्थिति में मरीज को स्लीप सेंटर या अस्पताल में भर्ती किया जाता है। सीपीएपी के माध्यम से ऑक्सीजन को मस्तिष्क और फेफड़ों की तरफ दवाब दिया जाता है, इसे एक मास्क के रूप में मरीज को सोते समय मुंह पर लगाना होता है। जिससे श्वांस नली पूरी तरह खुली रहती है और मस्तिष्क और फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बनी रहती है, इस उपकरण से मरीज गुणवत्तापूर्ण नींद ले सकता है। हालांकि श्वांस नली के संकुचन को एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं से भी खोला जा सकता है, बावजूद इसके चिकित्सक ओएसए का सटीक इलाज दिनचर्या में बदलाव को मानते हैं।

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