नई दिल्ली। केंद्र अगले साल कुछ प्रमुख श्रम सुधारों को लागू करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा और आम चुनाव में जाने से पहले उसकी मजदूरी तथा औद्योगिक संबंध संहिता को संसद से पारित कराये जाने की पूरी कोशिश होगी। श्रम मंत्रालय संसद की स्थायी समिति की समीक्षा के बाद संशोधित मजदूरी संहिता विधेयक को संसद में पारित कराने के इरादे से केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है। मजदूरी विधेयक 2017 पर संहिता को 10 अगस्त 2017 में लोकसभा में पेश किया गया और उसके बाद उसे स्थायी समिति के पास भेज दिया गया।
इसी प्रकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय 2019 के आम चुनाव से पहले औद्योगिक संबंध संहिता को पारित कराने को लेकर गंभीर है। हालांकि, मंत्रालय ने श्रमिक संगठनों की आलोचनाओं को देखते हुए कुछ प्रावधानों को हटाने का निर्णय किया है।
श्रम पर गठित दूसरे राष्ट्रीय आयोग की सिफारिशों के अनुसार मंत्रालय ने मजदूरी, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण, कार्य संबंधी सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कामकाज की स्थिति पर चार संहिता लाने के लिये कदम उठाया है। इसके लिये मौजूदा केंद्रीय श्रम कानूनों को मिलाकर, उसे सरल तथा युक्तिसंगत बनाया जा रहा है।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा, ‘‘कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याण पहलुओं को बेहतर और अक्षुण बनाये रखने के लिये, हम विभिन्न श्रम कानूनों में सुधार लाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसका मकसद कारोबार को सुगम बनाना भी है।’’ मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने इस साल श्रम एवं रोजगार क्षेत्र में कई पहल की हैं। मंत्रालय सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण संहिता पर भी काम कर रहा है। संहिता के प्रारंभिक मसौदे को मंत्रालय की वेबसाइट पर 16 मार्च 2017 को डाला गया। इस पर संबंधित पक्षों से राय मांगी गयी है। विभिन्न पक्षों की राय पर विचार के बाद मंत्रालय ने एक मार्च 2018 को संशोधित मसौदे पर टिप्पणी मांगी।
यूनियन और कर्मचारियों के साथ त्रिपक्षीय विचार-विमर्श के बाद मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण विधेयक, 2018 के मसौदे को हाल में अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के लिये जारी किया। मंत्रालय ने 23 मार्च 2018 को कार्य स्थल से जुड़ी सुरक्षा स्वास्थ्य तथा कामकाज की स्थिति संहिता पर भी टिप्पणी मांगी। त्रिपक्षीय विचार विमर्श के बाद मसौदे को अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के लिये जारी किया गया। इसके अलावा मंत्रालय मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन भुगतान पर कुछ राहत देने के लिये भी उपाय पर काम कर रहा है ताकि नियोक्ता महिलाओं को नियुक्त करने के लिये प्रोत्साहित हों। मंत्रालय ने इस बात पर गौर किया है कि वेतन के साथ मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाये जाने से महिलाओं को मिलने वाले रोजगार पर असर पड़ा है।
मातृत्व लाभ (संशोधन) कानून, 2017 पिछले साल एक अप्रैल से लागू हुआ। इसमें वेतन के साथ अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गयी है। मंत्रालय ने नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिये सात सप्ताह के वेतन का भार उठाने का प्रस्ताव किया है। उपयुक्त मंच से इसकी मंजूरी मिलने के बाद इस नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। श्रम मंत्रालय अन्य बातों के अलावा इस साल ग्रेच्युटी भुगतान कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित कराने में कामयाब रहा। इससे कर मुक्त ग्रेच्युटी राशि 10 लाख रुपये से बढ़कर 20 लाख रुपये हो गयी।