रांची : आप झारखंड में रह रहे हैं. सरकारी जमीन पर बस गये हैं. इस डर में जी रहे हैं कि कभी भी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी आपको आपके घर से बेदखल कर देंगे, तो इस डर से मुक्त हो जाईये. यदि आप 1985 से पहले सरकारी जमीन पर बस गये थे, तो यह जमीन अब आपकी हो जायेगी. जी हां. सरकार उस जमीन की बंदोबस्ती आपके नाम करेगी.प्रदेश की सरकार ने पिछले साल यह फैसला लिया था. 19 दिसंबर, 2017 को हुई कैबिनेट की बैठक में रघुवर दास के नेतृत्व में चल रही झारखंड की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने भूमिहीनों को जमीन देने के निर्णय को मंजूरी दे दी थी. इसे बेहद संवेदनशील निर्णय बताया जा रहा है.
कैबिनेट के फैसले से पहले सरकार ने एक सर्वे कराया था. इसमें पाया गया था कि 6 लाख 41 हजार एकड़ सरकारी गैर मजरूआ जमीन पर हजारों लोग बस गये हैं. इनमें से अधिकतर गरीब और भूमिहीन लोग हैं. इन्हें उनके घरों और जमीन से बेदखल नहीं किया जायेगा और उस जमीन की बंदोबस्ती उनके नाम कर दी जायेगी. सरकार ने तय किया है कि वर्ष 1985 से पूर्व सरकारी जमीन पर बसे लोगों की बंदोबस्ती कर दी जायेगी. ग्रामीण क्षेत्रों में 2 एकड़ से कम भूमि के मालिक को भी भूमिहीन माना गया है. उन्हें खेती के लिए 5 एकड़ और आवास के लिए 12.5 डिसमिल जमीन दी जायेगी. वहीं, शहरी क्षेत्रों में 5 डिसमिल जमीन दिये जाने की योजना है. वैसे जो जहां रह रहे हैं, उन्हें वहीं पर सेटल कर दिया जायेगा.
सरकार द्वारा कराये गये सर्वे के मुताबिक, सरकारी जमीन पर लगभग 2 लाख 41 हजार परिवार बसे हैं. सरकार के अनुसार, इनमें से लगभग 70 प्रतिशत लोग गरीब हैं. सरकारी जमीन पर वर्षों से लोग घर बनाकर रह रहे हैं. लोगों ने अपनी क्षमता के हिसाब से घर बनाया है. लोगों ने उसी ठिकाने पर अपना आधार कार्ड बनवाया है. होल्डिंग टैक्स भी भर रहे हैं. इसलिए उन्हें बेघर करने की बजाय बंदोबस्ती उनके नाम कर दी जाये.
(साभार: प्रभात खबर)