जयपुर में ‘पधारो म्हारे देश भारत’ शिखर सम्मेलन का भव्य आयोजन

जयपुर। राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आज ‘पधारो म्हारे देश भारत’ शिखर सम्मेलन, प्रदर्शनी और पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नार्ली ट्रूप ग्लोबल फेडरेशन द्वारा आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक धरोहर, पर्यावरणीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना था।
केंद्रीय पर्यटन, कला और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उनके साथ हवामहल विधायक बालमुकुन्दाचार्य, आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर खराड़ी, और नार्ली ट्रूप ग्लोबल फेडरेशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह नार्ली सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना से हुई।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा इस अवसर पर कहा कि यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो ‘मेरा देश, मेरी ज़िम्मेदारी, मेरा गौरव’ के मंत्र को साकार करता है। जयपुर, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक संभावनाओं का प्रतीक है, इस आयोजन के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि देश की ताकत उसकी युवा पीढ़ी के नवाचार और ऊर्जा में निहित है। शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘अमृतकाल’ के विज़न के तहत हमें एक से अनेक बनने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान ‘क्लीन एयर एंड ब्लू स्काईज’ अभियान की सराहना की, जिसके तहत 50,000 फलदार वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा गया है।


कार्यक्रम के विज़न को साझा करते हुए नार्ली ट्रूप ग्लोबल फेडरेशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह नार्ली ने कहा, कि हमारा उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित करना है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। यह आयोजन पर्यावरणीय स्थिरता और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करता है।
विधायक बालमुकुन्दाचार्य ने इस पहल को सराहते हुए कहा कि यह कार्यक्रम हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को आधुनिक समय के साथ जोड़ने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। वहीं आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर खराड़ी ने कहा कि यह आयोजन भारत के पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर को नई दिशा देने में सहायक होगा। सनातन आंदोलन से जुड़े जय आहूजा और भाजपा नेता राजेश गुर्जर ने इस पहल को सांस्कृतिक संरक्षण का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह दो दिवसीय शिखर सम्मेलन (21व 23 दिसंबर, 2024) देशभर के विशेषज्ञों, विचारकों और युवा नेताओं के लिए एक मंच प्रदान करता है।

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