खर्राटों की भाषा
तुम सपनों में हिंदी बोते हो
मैं हिंदी में सपने
जगे उनींदे लोगों को
समझा-फुसलाकर
जगाना मत बतलाकर
सुबह खबर चटपटी
अखबार चटोरों को
कानाफूसों को बात अटपटी
हिंदी के घर सेंध
लेकर सब कुछ चोर लापता
लोग अचंभित स्तब्ध
धर-पकड़ लाए गयों को देख
ठोंक-बजा जांच-परख
अरे !
खर्राटे भाषा नहीं जानते ?
चलो नगाड़े पीटो गली-गली
मैं लगाता हूं हांक शहर-शहर
जाकर बतलाते हैं जग को
खर्राटों की भाषा
हिंदी हो !