भोपाल। मौजूदा दौर में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और पर्यावरण बचाने के लिए पेड़ लगाने और उनके संरक्षण करने से आसान उपाय दूसरा नजर नहीं आता। दुनिया के सभी पर्यावरण विद्वान इस बात पर सबसे अधिक जोर दे रहें हैं कि पेड़ लगाकर हमें वन क्षेत्र बढ़ाना है। जंगल अपने आप में ही एक अलग संसार को समेटे होते हैं। धरती की अमूल्य जैव विविधता को बचाए रखने के लिए भी इन जंगलों को संरक्षित करना जरुरी है।
इस जिम्मेदारी को समझते हुए मध्यप्रदेश सरकार वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर पहल कर रही है। प्रदेश में जंगल बचाने और अधिक से अधिक पेड़ लगाकर धरती की हरियाली लौटाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पर्यावरण जागरूकता के लिए ‘अंकुर अभियान’ और अन्य गतिविधियां संचालित हो रही हैं। शिवराज सिंह चौहान 19 फरवरी 2021, नर्मदा जयंती से, हर दिन पेड़ लगाने के संकल्प के साथ वृक्षारोपण कर रहे हैं। तो वहीं प्रदेश के वन विभाग के प्रयासों से ग्राम वन समितियों की जनभागीदारी के माध्यम से वन क्षेत्रों को बहाल किया जा रहा है।
आकंड़े बताते हैं कि क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा वनक्षेत्र मध्यप्रदेश में है। प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 30 प्रतिशत वनक्षेत्र है जो लगभग 94689 वर्ग किमी है। जिसकी देश के वन क्षेत्र में करीब 12.30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। प्रदेश में जितनी बड़ी वन संपदा है उसे सहेजने और संवर्धित करने की जिम्मेदारी भी उससे बड़ी है। लेकिन प्रदेश का वन विभाग यह कार्य प्रभावी तरीक से कर रहा है। प्रदेश में सामुदायिक भागीदारी से वन प्रबंधन, संरक्षण एवं सुधार की दिशा में वन समितियों के माध्यम से शानदार काम किया गया है, जो पूरे देश में अनूठा है। प्रदेश के 79 लाख 70 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र के रख-रखाव और प्रबंधन में जन-भागीदारी के लिए 15 हजार 608 गांवों में वन समितियां काम कर रही हैं। पिछले एक दशक में 1 हजार 552 गांवों में इन वन समितियों के प्रयासों और अथक मेहनत से 4 लाख 31 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र में सुधार हुआ है। ऐसे समय जब पूरी दुनिया में वनों पर खतरा मंडरा रहा है तब, इन ग्राम वन समितियों ने वन विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शानदार काम किया है।
आज भोपाल के स्मार्ट पार्क में श्रीराम कॉलोनी रहवासी संघ के सदस्यों के साथ हरसिंगार, नीम और पीपल के पौधे लगाए। पर्यावरण संरक्षण के प्रयास में आप सभी की सहभागिता प्रशंसनीय है।#OnePlantADay pic.twitter.com/KnYNJB8Fbf
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 29, 2022
मध्यप्रदेश ने वन संरक्षण और संवर्धन की दिशा में क्रांतिकारी निर्णय लिये हैं। मध्यप्रदेश, वनवासियों को वन क्षेत्र का मालिक बनाने वाला देश का पहला राज्य है। जंगल न कटे और वनवासी इसे अपना समझे इसलिए उन्हें वन क्षेत्र का मालिक बनाकर 20 प्रतिशत लाभांश देने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है। प्रदेश सरकार को करीब 1 हजार करोड़ रुपये हर साल वनों से आय होती थी। अब इसका एक हिस्सा वनवासियों को भी मिलेगा। दरअसल प्रदेश की लगभग 21 प्रतिशत आबादी जनजतीय समुदाय की है जो ज्यादातर वन क्षेत्रों के आसपास रहते हैं। जनजातीय समुदाय की आजीविका में वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में वनों के संरक्षण, प्रबंधन और वनों के विकास के लिए वनों पर आश्रित समुदायों की आजीविका बढ़ाना जरूरी है जिससे, वह पैसों के लिए वन संपदा को नुकसान पहुंचाने की जगह उसके संरक्षण की जिम्मेदारी लें। इसलिए, प्रदेश सरकार ने वनवासियों को वन क्षेत्र का मालिक बनाकर उन्हें वनों से होने वाली आय का 20 प्रतिशत हिस्सा दे रही है। साथ ही राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनके जीवन स्तर में भी सुधार कर रही है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रतिदिन पेड़ लगाकर एक मिसाल पेश कर रहे हैं तो, वहीं 5 जून 2021 विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शुरु हुए अंकुर अभियान के तहत भी लाखों पेड़ लगाए गए हैं। अंकुर कार्यक्ही के अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों से 6 लाख 40 हजार से अधिक नागरिकों द्वारा पंजीयन किया गया है। इसके साथ ही अब तक लगभग 15 लाख 48 हजार 919 पौधारोपण किया जा चुका है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने पर्यावरण में जनभागीदारी बढ़ाने के लिए पूरे प्रदेश में पौधारोपण महाअभियान 01 मार्च 2022 से 05 मार्च 2022 तक चलाया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस अवधि में प्रदेश भर में 8 लाख 97 हजार से अधिक पौधे रोपित किये गए।
मध्यप्रदेश में मौजूद वन संपदा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में अनेक क्रांतिकारी कार्य किये जा रहे हैं। एक तरफ जनभागीदारी से पर्यावरण के लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सामुदाय की भागीदारी से और ग्राम वन समितियों के सहयोग से वन क्षेत्रों को बहाल कर धरती को हरियालाी लौटाने के भरसक प्रयास किये जा रहे हैं।