महान के बारे में प्रसिद्ध है कि वे अपने द्वार पर आए भिखारी को निराश नहीं लौटने देते थे। उनकी उदारता के कारण राज्य में भूखे नहीं सो पाता था। राजधानी के निकट एक फकीर रहता था। एक दिन काफी रात गए फकीर केे पास कुछ अतिथि आ गए। वह उनको कुछ खिलाना-पिलाना नहीं चाहता था, परंतु उस समय कुछ नहीं था। फकीर अपने मेहमानों को बैठाकर सीधे अकबर के पास गया। वहां जाकर उसने देखा कि अकबर नमाज में बैठा है और खुदा से कुछ मांग रहा है। फकीर ने देखा तो हैरान रह गया और चुपचापा लौटने लगा। परंतु अकबर ने उसे लौटते देखकर टोक दिया। बोला, कहिए कैसे तकलीफ की? फकीर ने कहा कि मैं कुछ मांगने आया था। फिर लौट क्यों रहे थे। इसलिए कि मैंने देखा आप खुद कुछ मांग रहे थे। मैंनक सोचा, जो खुद भिखारी है, उससे मैं क्या मागूं?