एक व्यक्ति पानी के जहाज में यात्रा कर रहा था । जाहिर है , बहुत सारे लोग यात्री थे । किसी जगह जहाज रूका । वह यात्री तफरीह करते कहीं आगे निकल गया । जहाज नीयत समय पर चल दिया । यात्री वहीं अनजान टापू पर छूट गया । लगभग पांच वर्ष बीत गए । वही जहाज उसी टापू पर रूका और उस खोये हुए यात्री की तलाश की ।
यात्री मिल गया । उसने सवाल किया कि कुछ पुराने अखबार हैं , क्या ?
जहाज से लाकर पुराने अखबार दिये गये । यात्री अखबार पढ़ता रहा । कुछ देर बाद उसने कहा कि यदि इसी पागल दुनिया में लौटना है , तो मैं यहीं अच्छा हूं ।
ओशो के प्रसंग से ।
सच , अखबारों को अपना प्रारूप बदलने की जरूरत है कि नहीं ?
प्रस्तुति : कमलेश भारतीय