हर वकील साथी हैं हमारे लिए महत्वपूर्ण: सरफराज सिद्दीकी

गर्मी की आहट के साथ दिल्ली की सियासत में गर्मी आ गई है। इस बार सियासत गर्म हुई अधिवक्ताओं की। करीब नौ साल बाद दिल्ली बार कौंसिल का चुनाव हो रहा है। 16 और 17 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट में मतदान होना है। दिल्ली बार कौंसिल चुनाव में बैलेट नंबर 156 पर चुनाव लड रहे एडवाकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी से कई मुद्दों पर बात की गई। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश:

दिल्ली बार कौंसिल का चुनाव हो रहा है। आपने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। क्या है उसमें ?

मंैने तमाम अधिवक्ताओं के वेलफेयर की बात की है। मेरा घोषणात्र हवा-हवाई नहीं है। उन्हीं बातों को हमने कहा है, जिसे व्यवहारिक रूप से किया जा सकता है।

आपने वकीलों को चैम्बर उपलब्ध कराने की बात कही है ?

जी हां। दिल्ली में हजारों हमारे अधिवक्ता बंधु गर्मी और सर्दी के बीच अपना काम करते हैं, इनके पास खुद का चैम्बर नहीं है। ऐसे साथियों के लिए हम हर कोर्ट में 25 चैम्बर्स बनवाएंगे। दिल्ली बार कौंसिल चुनाव जीतने पर हम कौंसिल की बैठक में ऐसा प्रस्ताव ले कर आएंगे और हर कोर्ट में आधुनिक सुविधाओं से युक्त इन चैम्बर्स का निर्माण कराएंगे।

आखिर यह विचार मन में कैसे आया ?

मैंने कई वर्षों से हजारों अधिवक्ताओं के दुखों को देखा और समझा है। अब तक यदि किन्हीं लोगों की नजर इस ओर नहीं गई, तो यह उनकी संवदेनहीनता है। मैं इस चुनाव में अपने अधिवक्ता भाइयों और बहनों के हित और उनकी उन्नति के लिए आया हूं। हमने अपने संपर्क अभियान में भी लोगों से इस बात का जिक्र किया है। दिल्ली के तमाम कोर्ट परिसर में तमाम सुविधाओं से युक्त करीब 25 बेहतरीन चैम्बर्स बनाए जाएं, जो उन अधिवक्ताओं के लिए आधा घंटा से घंटा भर के लिए निःशुल्क होगा, जिनके पास खुद के चैम्बर्स नहीं हैं। बार कौंसिल आॅफ दिल्ली के अधिवक्ता इन चैम्बर्स में बैठकर अपने क्लाइंटस से बातचीत कर सकेंगे। जब कार्यस्थल अनुकूल हो, तो उसके बेहतर परिणाम आते हैं। इसलिए हमने अपने साथियों और भाइयों से विचार विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया है।

वर्तमान में आर्थिक पक्ष काफी अहम है। आपने वकीलों के लिए क्या सोचा है ?

मैंने कहा है कि जब मंै चुनाव जीत कर आउंगा तो बार कौंसिल आर्थिक रूप से विपन्न और दिव्यांग अधिवक्ताओं को बैंक से आॅन डिमांड लोन दिलाएगी। ताकि ऐसे अधिवक्ता अपना इनराॅलमेंट फी, गाउन, एक काला कोट, जूते का जोडा, दो पैंट-शर्ट आदि की व्यवस्था कर पाएंगे। सेवानिवृत अधिवक्ता जो 35 साल की प्रैक्टिस कर चुकेे हैं एवं 65 साल की आयु पार कर चुके हैं, उनको पेंशन दिया जाएगा। हमने कहा है कि अधिवक्ताओं को आयकर में छूट दिया जाए। जो अधिवक्ता निःशुल्क में कार्य करते हैं, उन्हें बार कौंसिल द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। साथ ही, उनका निःशुल्क कार्य आयकर की गणना में शामिल हो।

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आपके एजेंडा में रियायती टिकट की बात की गई है। कैसे कराएंगे उसकी व्यवस्था ?

वकीलों को अपने केसों के सिलसिले में कई बार दूसरे शहर और राज्यों का दौरा करना पडता है। हमारी कोशिश होगी कि उन्हें आने जाने में और भी अधिक सहूलियत मिले। इसलिए मैं दिल्ली बार कांैसिल का चुनाव जीतने पर हवाई यात्रा (एयर टिकट) में अपने तमाम साथियों के लिए रियायती टिकट का प्रावधान कराउंगा। जो एयर कंपनी काॅरपोरेट बल्क रेट पर किसी वकील को रियायती टिकट देने से मना कराएंगे, उस कंपनी को निगेटिव प्रोफाइल में डाल दिया जाएगा। हम बार कौंसिल का प्रतिनिधित्व करते हुए रेल मंत्रालय से भी बात करेंगे। कई बार हमारे वकील साथियों को आनन-फानन में केस के सिलसिले में दूसरे शहरों की यात्रा करनी पडती है। उस समय रेल टिकट नहीं उपलब्ध होती है। इसलिए हम वकीलों के लिए भी एक अलग कोटा बनवाने की कोशिश करेंगे, ताकि जरूरत पडने पर हमारे साथियों को रेल यात्रा (ट्रेन टिकट) के लिए तुरंत कंफर्म टिकट की व्यवस्था हो सके।

दिल्ली में हजारों महिला वकील भी हैं। उनके लिए आपके चुनावी एजेंडा में क्या है ?

मैं कौंसिल चुनाव जीतने के बाद अपनी अधिवक्ता महिलाओं के लिए मातृत्व भत्ता की बात करूंगा। हर महिला अधिवक्ता को उनकी पे्रगनेंसी के अंतिम तीन महीने में प्रति माह दस हजार रूपये दिलाएंगे। साथ ही डिलीवरी के तीन महीने बाद तक प्रति माह 15 हजार रुपये की व्यवस्था कराई जाएगी। केंद्रीय और राज्य सरकारें मातृत्व अवकाश पर अपने कर्मियों अतिरिक्त भत्ता को सुविधाएं प्रदान करती हैं, तो दिल्ली बार कौंसिल भी महिला अधिवक्ताओं को मातृत्व अवकाश पर तमाम सुविधाएं उपलब्ध करा सकती है।

युवाओं के लिए क्या योजना है ?

किसी भी समाज और देश की तरक्की इस पर निर्भर करती है कि युवा कितने सशक्त हैं। हमारे युवा साथी, जो दिल्ली बार कौंसिल से जब संबद्ध होते हैं, तो यह जरूरी नहीं होता है कि उन्हें काम मिल ही जाता है। हजारों युवाओं को मैंने देखा है कि उन्हें कई महीनों तक काम तलाशने में लग जाता है। हम ऐसे युवाओं को बार कौंसिल की ओर से एक साल तक प्रति माह पांच हजार रूपये बतौर स्टाइपेंड दिलाएंगे। साथ ही प्लेसमेंट सेल का गठन किया जाएगा।

कई बार देखने-सुनने में आता है कि वकीलों के खिलाफ शिकायत कर दिया जाता है, लेकिन उसमें सच्चाई नहीं होती है। इसके लिए क्या करेंगे ?

मैंने कहा है कि बार कौंसिल में जब भी किसी अधिवक्ता के खिलाफ शिकायत होगी, तो उसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो शिकायत की वास्तविक स्थिति का पता लगाएगी। उसके बाद ही उसे बार कौंसिल के अनुशानात्मक समिति को भेजा जाएगा। यदि शिकायतकर्ता ‘क्लाइंट’ की बातें झूठी साबित होती है, तो उनसे क्षतिपूर्ति के लिए उचित कार्रवाई की जाएगी।

 

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