नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 67 साल के इतिहास में पहली बार किसी महिला वकील की तस्वीर शीर्ष अदालत की एक लाइब्रेरी में लगाई जा रही है. ये वकील हैं कपिला हिंगोरानी जिन्हें ‘जनहित याचिकाओं की जननी’ भी कहा जाता है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक शीर्ष अदालत की दूसरी लाइब्रेरी में कानून जगत के दिग्गज एमसी सीतलवाड, सीके दफ़्तरी और आरके जैन की तस्वीरों के बगल में हिंगोरानी की तस्वीर लगाई जा रही है. उनकी रंगीन तस्वीर जारी करते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, ‘यह काम (हिंगोरानी की तस्वीर लगाने का) काफ़ी समय से अटका हुआ था. यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था.’
हिंगोरानी देश की पहली महिला थीं जिन्होंने ब्रिटेन के कार्डिफ़ लॉ स्कूल से कानून की डिग्री ली. वे देश की पहली महिला वकील थीं जिन्होंने शीर्ष अदालत में 1979 में जनहित याचिका दायर की. उनकी वह याचिका ऐसे कैदियों के हित में थी जिन्होंने फैसले के इंतज़ार में ही सालों-साल सलाख़ों के पीछे गुजार दिए थे. उनकी याचिका के बाद शीर्ष अदालत ने ऐसे मामलों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश तय किए. साथ ही क़रीब 40,000 विचाराधीन कैदियों को रिहा भी किया गया. हिंगोरानी 1927 में नैरोबी में पैदा हुईं. वे महात्मा गांधी से प्रभावित थीं इसीलिए उन्होंने कार्यक्षेत्र के तौर पर भारत का चुनाव किया. जबकि उनका परिवार लंदन और नैरोबी में रहा. जब उन्होंने वकालत शुरू की तब सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला वकील थीं. करीब 60 साल लंबे वकालत के करियर के दौरान उन्होंने और उनके तीन वकील बच्चों- अमन, प्रिया और श्वेता ने शीर्ष अदालत में ही 100 से ज़्यादा केस लड़े. हिंगोरानी का 2013 में 86 साल की उम्र में निधन हुआ.