निशिकांत ठाकुर
इक्षवाकु वंश की राजधानी अयोध्या, जिसका अर्थ होता है – जिसे युद्ध में जीता ना जा सके। इस अयोध्या ने अपने राम के लिए काफी इंतजार किया। पहले जन्म का। फिर गुरुकुल से आने का। गुरुकुल से आए तो ऋषि विश्वामित्र ले गए। वहां से आए, युवराज बनने की तैयारी हो रही थी, तो वनवास चले गए। कुल मिलाकर अयोध्या ने अपने राम की प्रतीक्षा की है। त्रेता से लेकर राम और प्रतीक्षा मानो जैसे एक-दूसरे के पूरक हो गए हों।
आज यानी 9 सितंबर, 2019 को इसी अयोध्या पर वर्षों से लंबित मामले को लेकर पांच सुप्रीम कोर्ट के जजों ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई के नेतृत्व में अपना फैसला सुनाया है। विवाद राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद लंबे समय से या यूं कहे वर्षों से अनिर्णीत पड़ा था। फैसला सुनाते माननीय मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि जो विवादित स्थल है, वह राम जन्म भूमि ही है। इसलिए उस भूमि पर कमेटी बनाकर राम मंदिर का निर्माण किया जाय और पांच एकड़ भूमि बाबरी मस्जिद के निर्माण के लिए केंद्र सरकार मुस्लिमो को दे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को मानने की बात तो दोनों पक्ष के लोग कह रहे हैं। हालांकि, अपवाद स्वरूप कुछ असंतोष मुस्लिम नेताओं और विपक्षी दल के नेताओं के मन में है। अब देखना यह है कि इसे विपक्ष किस रूप में लेता है और मुस्लिम समाज की अगुवाई करने वाले लोग किस रूप में लेते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने करीब 1045 पेज के अपने फैसले में दोनों पक्षों की बातों और सबूतों को ध्यान में रखते हुए निर्णय दिया है। भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमाण और लोक आस्था की बात भी कही। लेकिन भारत में संवैधनिक अधिकारों के तहत किसी को भी अपनी प्रतिक्रिया देने का अधिकर है । इसलिए सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को भी उसी रूप में लेते हुए कई संगठनों ने इसप र टिप्पणी करते हुए कहा है कि वह पुनर्विचार याचिका कोर्ट में डालकर इस फैसले को चुनौती देंगे। कुछ मुस्लिम समाज के नेताओं ने कहा है कि वह मुफ्त की पांच एकड़ भूमि सरकार से नहीं लेंगे। उनका यही कहना है कि वह भूमि बाबरी मस्जिद की ही है।
इधर सुप्रीम कोर्ट ने जिन तथ्यों को प्रमुख्य आधार माना है वह यह कि पुरातत्व सर्वेक्षण में जो सामग्री मिली है उसका उपयोग मुस्लिम मस्जिद निर्माण में नहीं करते बल्कि उसका उपयोग मंदिरों में किया जाता है। इसलिए वह स्थान राम जन्म भूमि ही है। विपक्ष इस निर्णय को पूर्वाग्रहग्रस्त मानता है। उसका कहना है कि कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश और भाजपा शासित प्रदेशों के कई राज्यों में चुनाव है । इस निर्णय को भाजपा अगले लोकसभा चुनाव तक मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ेगी।
अब तक यह माना जाता था कि राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद के निर्णय के बाद कई स्थानों पर दंगे होंगे और कुछ आतंकी संगठन इसका फायदा उठाकर उपद्रव करेंगे। लेकिन इस निर्णय के बाद ऐसी कोई सूचना देश के किसी भाग से नहीं है और केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने जिस प्रकार पूर्व चुस्ती दिखाई है। उसी का परिणाम है कि आज देश में सदी के सर्वश्रेष्ठ निर्णय के बाद भी हिंसा या उपद्रव की कोई सूचना नहीं मिली है।
सच तो यह है कि अयोध्या जाकर कोई भी आम व्यक्ति यह समझ सकता था कि जिस जगह पर राम लला की मूर्ति् रखी है। मुझे यह सौभाग्य प्राप्त है कि मैेंने सरयू में कई बार स्नान किया है। अयोध्या की पावन भूमि की परिक्रमा की है।
जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जो साक्ष्य पेश किए गए है वह यही बताते हैं कि मस्जिद का निर्माण राम जन्म स्थल पर ही किया गया है । अभी तो यह फैसला आया ही है और काफी बड़ा है इसलिए इसके लिए अभी से कुछ कहना उचित नहीं है । इसलिए हमें इसकी प्रतिक्रिया और दोनों समुदायों के विचारो को समझने कुछ समय तो लगेगा ही । अंत में हम देखना होगा कि इक्षवाकु वंश की राजधानी और राम लला की जन्म भूमि आज के युग में कितनी सुरक्षित है।