नई दिल्ली। बिहार से बाहर होने वाले साहित्य उत्सवों में मैथिली भाषा साहित्य एवं संस्कृति संदर्भित विषयों को शामिल करने से अबतक परहेज किया जाता रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि कलिंगा लिटरेचर फेस्टिवल में विद्यापति के गीतों के भाव पक्ष को लेकर संवाद का एक सत्र आयोजित किया गया है। इस संवाद कार्यक्रम में मैथिली के प्रसिद्ध गायक पंडित कुंजबिहारी मिश्र भाग लेंगे। कार्यक्रम के समन्वयक आशुतोष कुमार ठाकुर और युवा कवि गुंजन श्री ने बताया कि पंडित कुंजबिहारी मिश्र विद्यापति गीतों के निष्णात गायक हैं।
पंडित कुंजबिहारी मिश्र अपने गायन के द्वारा विद्यापति के भाव-पक्ष की व्याख्या करेंगे। मैथिली के वरिष्ठ लेखक डॉ. कमल मोहन चुन्नू इस कार्यक्रम में बीज-भाषण देंगे । आशुतोष कुमार ठाकुर ने बताया कि कलिंगा लिटरेचर फेस्टिवल उड़ीसा राज्य का प्रमुख साहित्य उत्सव है। इसबार कोरोना के कारण यह ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है। मैथिली का यह आयोजन 12 सितंबर, शनिवार को 3 बजे से है। गुंजन श्री के अनुसार हाल ही में विद्यापति के गीतों पर केंद्रित इसी तरह का आयोजन मैलोरंग द्वारा किया गया था
जिसमे पंडित कुंजबिहारी मिश्र और डॉ. कमल मोहन चुन्नू ने भाग लिया था। इस तरह के आयोजनों पर साहित्यकार अजित आज़ाद ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि विद्यापति संगीत को विश्वप्रसिद्ध बनाने में ऐसे आयोजनों की बड़ी भूमिका है ।
पंडित कुंजबिहारी मिश्र अपने गायन के द्वारा विद्यापति के भाव-पक्ष की व्याख्या करेंगे। मैथिली के वरिष्ठ लेखक डॉ. कमल मोहन चुन्नू इस कार्यक्रम में बीज-भाषण देंगे । आशुतोष कुमार ठाकुर ने बताया कि कलिंगा लिटरेचर फेस्टिवल उड़ीसा राज्य का प्रमुख साहित्य उत्सव है। इसबार कोरोना के कारण यह ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है। मैथिली का यह आयोजन 12 सितंबर, शनिवार को 3 बजे से है। गुंजन श्री के अनुसार हाल ही में विद्यापति के गीतों पर केंद्रित इसी तरह का आयोजन मैलोरंग द्वारा किया गया था
जिसमे पंडित कुंजबिहारी मिश्र और डॉ. कमल मोहन चुन्नू ने भाग लिया था। इस तरह के आयोजनों पर साहित्यकार अजित आज़ाद ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि विद्यापति संगीत को विश्वप्रसिद्ध बनाने में ऐसे आयोजनों की बड़ी भूमिका है ।