संत रविदास-सागर और सियासत की पटकथा के लेखक है लालसिंह आर्य

 

सुभाष चंद्र

जो दशकों तक उपेक्षित रहे। वंचित रहे। उन्हें प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना किसी भगीरथी प्रयास से कम नहीं है। समावेशी सोच के साथ समेकित प्रयत्न करते हुए एक व्यक्ति कई वर्षों से काम कर रहा है। नतीजा, अब दिखने लगा है। मध्य प्रदेश के सागर में संत रविदास मंदिर का शिल्यान्यास प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया है। 12 अगस्त,2023 को प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के सागर में कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र समर्पित किया। इन परियोजनाओं में एक सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाले संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास जी स्मारक की आधारशिला रखना, 1580 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार होने वाली दो सड़क परियोजनाओं का शुभारंभ और 2475 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया कोटा-बीना रेल मार्ग राष्ट्र को समर्पित करना शामिल है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास जी के स्मारक का शिलान्यास राष्ट्र की साझा समृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है। प्रधानमंत्री ने  दिव्य स्मारक के ’भूमि पूजन’ में भाग लेने के कार्यक्रम का उल्लेख किया और विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि वह संतों के आशीर्वाद से कुछ वर्षों में मंदिर के पूरा बन जाने पर उसका उद्घाटन करने भी आएंगे। वाराणसी के सांसद के तौर पर प्रधानमंत्री ने कई बार संत रविदास जी की जन्मस्थली जाने की बात कही और मध्य प्रदेश के सागर से उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की।संत रविदास जी के स्मारक एवं संग्रहालय का शिलान्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब देश ने अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं और अगले 25 साल का अमृत काल हमारे सामने है। अपने अतीत से सबक लेने के साथ-साथ मातृभूमि की विरासत को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।  समाज में बुराइयों का उभरना एक स्वाभाविक घटना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह भारतीय समाज की ताकत ही है, जिसकी वजह से रविदास जी जैसे संत या महात्मा ऐसी बुराइयों को दूर करने के लिए बार-बार अवतरित होते हैं। एक तरफ लोग जाति और पंथ से निपट रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बुराई धीरे-धीरे मानवता को समाप्त कर रही है।  संत रविदास जी समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के साथ-साथ राष्ट्र की आत्मा को भी जागृत कर रहे थे।
यह अनायास नहीं है। बीते कुछ वर्षों से मध्य प्रदेश की माटी से आकर भारतीय राजनीति में एक कार्यकर्ता चुपचाप काम कर रहा है। भाजपा के अनुसूचित मोर्चे का अध्यक्ष का पदभार संभाले श्री लाल सिंह आर्य ने करीब-करीब पूरे देश का दौरा किया है। अनुसूचित जाति के लोगों से हर दिन संपर्क। हर जिला में जाकर उनकी समस्याओं को जाना और उसके समाधान के लिए काम किया। यह अकारण नहीं है कि जब प्रधानमंत्री कहते हों कि  संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास जी स्मारक में भव्यता के साथ-साथ दिव्यता भी होगी, जो संत रविदास जी द्वारा दी गई शिक्षाओं से प्रवाहित होगी। उन्होंने कहा कि यह स्मारक ’समरसता’ की भावना से ओतप्रोत है, क्योंकि इसमें 20000 से अधिक गांवों और 300 नदियों की मिट्टी का उपयोग किया गया है।
राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे श्री लाल सिंह आर्य की पूरी मेहनत और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई गई बातों को कारण मानते हैं। सुशासन का मूलमंत्र देश को देने वाले संत शिरोमणि संत श्री रविदास जी के मंदिर निर्माण के लिए मध्य प्रदेश में समरसता यात्राएं निकाली गईं, जिनके माध्यम से जनता तक संत जी के समरसता का संदेश पहुंचाया गया। इन 18 दिवसीय यात्राओं का शुभारंभ 25 जुलाई को हुआ था और यात्रा का समापन 12 अगस्त को सागर में हुआ। इसके शिल्पकार के रूप में श्री लाल सिंह आर्य के मेहनत को हर कोई स्वीकार कर रहा है। चूंकि, कुछ महीने बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है, इसलिए विपक्षी लोग इसे चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, जनता के बीच, खासकर समाज के अनुसचित वर्ग के बीच जिस प्रकार से बीते कुछ सालों में लाल सिंह आर्य ने सरकारी योजनाओ ंको लेकर, भाजपा की सोच को रखा है, उसके आधार पर यह कहने में दिक्कत नहीं है कि वंचित समाज अब पुरातन वर्जनाओं को तोड़कर नए समाज के निर्माण में लग चुका है। अब वह महज एक वोट बैंक भर नहीं रह गया है। वह अपने अधिकारों के प्रति सजग हो गया है। संत रविदास के विचारों को वह आत्मसात करने लगे हैं।

बकौल, श्री लाल सिंह आर्य, जनहितैषी भाजपा सरकार ने 8 फरवरी 2023 को इस देवतुल्य कार्य को लेकर घोषणा की थी। इस संकल्प की सिद्धी के लिए प्रदेश के पांच स्थानों नीमच, मांडव धार, श्योपुर, बालाघाट एवं सिंगरौली से एक साथ पांच यात्राएं 25 जुलाई को प्रारम्भ हुई। यात्राएं प्रदेश के हर गांव से मिट्टी एवं सभी विकासखण्डों की 313 नदियों से जल का सांकेतिक संग्रहण एवं जनजागरण करते हुये सागर पहुंचगी। भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं अध्यात्मिक एकता में संत शिरोमणि श्री रविदास जी के योगदान एवं उनके दर्शन, संदेशों, के जन जागरण करने के लिए यह यात्राएं निकाली गईं। भारी बरसात में भी माताए,ं बहनों व भाई शामिल हुए और यात्राओं का भव्य स्वागत किया। यात्राओं के माध्यम से समरसता का संदेश जनता तक पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि सुशासन का मंत्र देने वाले संत रविदास जी की स्मृति के लिए कृत संकल्पित शिवराज सरकार सागर के पास बड़तूमा में सौ करोड़ रूपए की लागत से संत शिरोमणि सदगुरु श्री रविदास जी का विशाल और भव्य मंदिर निर्माण का देवतुल्य कार्य करा रही है।सामाजिक समरसता की सीख जनमानस तक पहुंचेगी और पर्यटन की अपार संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। यह यात्राएं प्रदेश के 45 जिलों से होकर निकली। मुख्य यात्रा के साथ ही विभिन्न ग्रामों/नगरों में 1661 उपयात्राएं/कलश यात्राएं भी आयोजित हुईं। इसके साथ ही यात्रा के दौरान 352 जन संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किए गए और 25 लाख से अधिक लोगों ने सहभागिता की। यात्रा में प्रदेश के 20,641 ग्रामों से मिट्टी और 313 नदियों का जल सांकेतिक रूप से एकत्रित किया गया।अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाया है। 2003 से पहले मिस्टर बंटाढार सरकार के समय जहां अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए सिर्फ 364 करोड़ रूपए का बजट था, वहीं भाजपा सरकार के राज्य में यह 26,000 करोड़ रूपए का बजट हो गया है। प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के शैक्षणिक, रोजगार एवं सामाजिक उत्थान के लिए सरकार अनेक योजनाएं चला रही है। विगत 3 वर्षों में विभिन्न विभागों की योजनाओं के अंतर्गत अनुसूचित जाति के 1 करोड़ 42 लाख से अधिक हितग्राहियों को 24 हजार 600 करोड़ रुपए से अधिक के हितलाभ वितरित हुए हैं।

इसमें दो राय नहीं है कि भाजपा के अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्ीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने बीते कुछ वर्षों में जो काम दलित समाज को एक करने और सशक्त करने का किया है, उसका लाभ आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिल सकता है। मध्य प्रदेश की 35 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इसके साथ ही करीब 70 सीटों पर इनका खासा प्रभाव है और ये हार-जीत की महीन रेखा को प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही यह भी तय है कि मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान और छतीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी श्री लाल सिंह आर्य के कामों का असर दिखेगा। लोकसभा चुनाव 2024 में संत रविदास के कामों और सिद्धांतों को लेकर स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जनता से संवाद करेंगे। काशी में संत रविदास की जन्मस्थली आने वाले हर पर्यटकों के लिए कौतुहल का केंद्र बन चुका है। संत रविदास के संदेश को समाज में प्रसारित किया जा रहा है। लम्बे समय से राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान था कि दलित वोट भाजपा के हाथ से खिसक रहा है ,उसे एक बार फिर से भाजपा की तरफ मोड़ने में लाल सिंह आर्य की महत्वपूर्ण भूमिका दिखाई दे रही है, इस महत्वपूर्ण आयोजन का प्रभाव सत्ता और संगठन में साफ तौर पर देखा जा सकता है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे|

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