‘मिशन जय हिंद’ के राष्ट्रीय संकल्प से हुई लोकनीति की शुरुआत

नई दिल्ली। राजनीति को लोकनीति की तरफ ले जाने के उद्देश्य से और वर्तमान संकट से देश को निकालकर समाधान की तरफ ले जाने के लिए स्वराज इंडिया ने 100 दिन के अनुठे प्रयास ‘मिशन जयहिंद’ की शुरुआत कर दी है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत देश के कई राज्यों में कार्यकर्ताओं ने लोगों के बीच जाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने हरियाणा के रेवाड़ी जिले के गावों में लोगों से संवाद किया। इस संवाद के बाद अपना अनुभव सांझा करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि “लॉकडाउन से कोरोना तो लॉक नहीं हुआ गरीब जरूर डाउन हो गया”।

स्वराज इंडिया के अन्य लीडर और कार्यकर्ता भी अपने अपने क्षेत्र में मिशन जयहिंद के तहत लोगों के बीच उतर चुके हैं। पार्टी ने उम्मीद जताई है कि इस हफ्ते तक केरल, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में भी कार्यक्रम रफ्तार पकड़ लेगा।

कोरोना महामारी के बीच हज़ारों स्वराज कार्यकर्ताओं ने आम जन को राहत सामग्री पहुँचाने का काम बड़े स्तर पर पूरे देश में किया था और अब जब अनलॉक 2.0 हो चुका है तो कायकर्ता बिना किसी मानदेय अपना खून पसीना और संसाधन लगाकर ‘मिशन जयहिन्द’ के माध्यम से देशसेवा के लिए जुड़ गए हैं। ऐसे समय में जब सरकारी तंत्र चरमरा गई है, तब स्वराज इंडिया संग देश की जनता ने एक सहायक का रूप ले लिया है।

स्वराज इंडिया उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता अनुपम ने कहा कि वायरस से हो रही मौत और अर्थव्यवस्था पर पड़ी मार के बीच सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में स्वराज के कार्यकर्ता ‘मिशन जयहिंद’ के माध्यम से जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सूचीबद्ध कर सकारात्मक ढंग से उसके निस्तारण का प्रयास कर रहें हैं।

‘मिशन जयहिन्द’ के बारे में विस्तार से बताते हुए स्वराज इंडिया के कार्यकारी अध्यक्ष अजित झा ने कहा कि लोग धर्म के वास्ते ‘कार सेवा’ करते हैं, स्वराज के कार्यकर्ता व स्वयंसेवक एक कर्मयोगी राष्ट्र धर्म के वास्ते ‘सरोकार सेवा’ करेंगे।

अगले सौ दिन में वह चुने हुए गाँव और बस्ती में जायेंगे। वे गाँव या बस्ती के लोगों को:
● समझाएंगे: महामारी से निपटने और स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी देंगे
● सुनेंगे: दर्ज़ करेंगे कि महामारी, बेकारी, भूख की क्या स्थिति है
●सुलझाएंगे: समस्या की सूचना प्रशासन को देंगे, हल करेंगे
● सीखेंगे: रोज़ी-रोटी के संकट का स्थानीय समाधान खोजेंगे
● साथी बनाएंगे: स्थानीय सहयोगी जोड़ेंगे जो आगे जिम्मेवारी संभाल सकें

महामारी तो दुनिया भर में फैली है, लेकिन सच है कि किसी और देश में मजदूर सैकड़ों-हज़ारों किलोमीटर पैदल चलने पर मजबूर नहीं हुए। सच है कि अब पूरी जिम्मेवारी राज्य सरकार पर डालकर प्रधानमंत्री किनारे हो गए हैं। ज्यादातर राज्य सरकारें भी फेल हुई हैं। कड़वा सच यह है कि इस महामारी और मंदी के बीच जनता किस्मत के भरोसे है, अपनी जेब के पैसों के सहारे है।

ऐसे में मिशन जयहिंद के जरिए स्वराज इंडिया के कार्यकर्ता क़स्बों/पंचायतों से, गाँव-शहरों में आम लोगों के घर जाकर, उन्हें एकत्रित कर ‘सोशल डिस्टनसिंग’ का पालन करते हुए उनसे उनका हाल जान रहे हैं। उनकी पीड़ा को वो अपने सर्वे फॉर्म में उतार रहे हैं जिससे ग्रामीण भारत की संकट को उजागर किया जा सके।

स्वराज इंडिया के महासचिव अविक साहा ने मिशन जयहिन्द की तैयारियों के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि अब तक 1200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की ज़ूम मीटिंग व फोन कॉल कर इस मिशन के लिए तैयार किया गया है व 2500 से अधिक कार्यकर्ता व स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम से जुड़ने की इच्छा जताई है। स्वयं पार्टी के नेता भी अपने अपने इलाकों में ‘मिशन जयहिंद’ के प्रसार में लगे हुए हैं। यह मिशन बाकी पार्टियों की छिछली राजनीति के परे एक गहरी सामाजिक भागेदारी को लेकर राष्ट्रहित में होने वाला अभियान है।

अभी प्रमुखतः से यह मिशन उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और दिल्ली के कुछ जगहों पर चल रहा है। इस हफ्ते तक केरल, तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना और पंजाब में भी शुरू होगा मिशन जयहिंद। इस सप्ताहांत 4 व 5 जुलाई से प्रारम्भ हुए यह अभियान सौ दिन बाद लोकनायक जयप्रकाश के जयंती पर 11 अक्टूबर को सम्पन्न होगा।

 

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