आज है वाल्मीकि जंयती, ​जानिए इसका इतिहास

 

नई दिल्ली। वाल्मीकि जयंती का इतिहास महर्षि वाल्मीकि से जुड़ा है जिन्हें ‘आदि कवि’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है संस्कृत भाषा के पहले कवि। विशेष रूप से, वाल्मीकि ने अपने वनवास के दौरान श्री राम से बातचीत की और बाद में देवी सीता को अपने आश्रम में आश्रय दिया। वाल्मीकि का प्रारंभिक जीवन रत्नाकर नामक एक राजमार्ग डाकू के रूप में बीता, जिसे नारद मुनि ने भगवान राम का महान भक्त बना दिया। वर्षों के ध्यान के बाद, एक दिव्य आवाज ने उनकी तपस्या को सफल घोषित किया और उन्हें नया नाम वाल्मीकि दिया, जिसका अर्थ है “चींटियों के टीले से पैदा हुआ।” वाल्मिकी जयंती प्रसिद्ध ऋषि महर्षि वाल्मिकी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है, जिन्होंने हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ रामायण लिखा था। इस दिन को वाल्मिकी धार्मिक समुदाय द्वारा परगट दिवस (प्रगट दिवस) के रूप में भी मनाया जाता है। यह तिथि हर साल अलग-अलग होती है क्योंकि यह भारतीय चंद्र कैलेंडर द्वारा निर्धारित की जाती है, जो अश्विन के महीने में और पूर्णिमा पर पड़ती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वाल्मीकि जयंती के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया: “आप सभी को वाल्मीकि जयंती की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।”

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