संदीप ठाकुर
नई दिल्ली। ‘फेक न्यूज़’ के बारे में जारी की गई नई गाइडलाइन वापसी पर आज जाे कुछ हुआ उस पर एक हिंदी फिल्म का मुखड़ा याद आ गया कि ”हमसे भूल हाे गई,हमका माफी देइदाे”। भूल किससे हुई आैर माफी किससे मांगनी चाहिए यह आगे की कहानी पढ़ने के बाद आप खुद समझ जाएंगे। देश भर के पत्रकाराें के विराेध के कारण महज 12 घंटे से भी कंम समय में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से ‘फेक न्यूज़’ के बारे में जारी की गई नई गाइडलाइन वापस ले ली गई। गाइडलाइंस जारी करने का फैसला आई एंड बी मंत्री स्मृति ईरानी का था आैर वापस लेने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। प्रधानमंत्री के सीधे हस्तक्षेप के कारण मंत्रालय काे फैसला वापस लेना पड़ा। मंत्री स्मृति ईरानी के इस फैसले काे प्रधानमंत्री ने एक झटके में पलट कर रख दिया।
चाैथे स्तंभ के गला घाेटूं इस गाइडलाइंस की अंदरूनी कहानी क्या है ? इसे किसने तैयार किया ? किसके कहने पर तैयार क्या ? इसके पीछे मंशा क्या थी ? एेसे कई सवालाें काे जवाब तलाशने में मुझे नाैकरशाहाें के गलियारे में चार घंटे से अधिक लगे। सूचना आैर प्रसारण मंत्रालय में सेक्रेटरी हैं एन.के सिन्हा। सूत्राें ने बताया कि यह गाइडलाइंस उनके दिमाग की उपज है। उनके इस काम में दूरदर्शन में एडीजी चैतन्य प्रसाद ने भरपूर मदद की। दरअसल सिन्हा के कहने पर ड्राफ्टिंग चैतन्य प्रसाद ने ही की थी। ड्राफ्टिंग हाे जाने के बाद सूचना-प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी की स्वीकृति से इसे साेमवार की रात जारी कर दिया गया था। मंत्री ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी आैर इसे पीआईबी की बेव साइट पर भी डाला गया था। मंगलवार काे कुछ समाचारपत्राें में खबर छपने के बाद पत्रकाराें में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। इसकी जानकारी मंगलवार सुबह प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रिंसपल सेक्रेटरी विपिन मिश्र ने प्रधानमंत्री माेदी काे दी।
आगे बढ़ने से पहले आपको बताते चलें कि सोमवार यानी 2 अप्रैल को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पत्रकारों की मान्यता की संशोधित गाइडलाइन को जारी किया था। इसमें ‘फेक न्यूज’ से निपटने के लिए कई नए प्रावधानों को शामिल किया गया था। मंत्रालय द्वारा जारी बयान में इस बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई थी कि किस तरह से किसी फेक न्यूज के बारे में शिकायत की जांच की जाएगी और किसके द्वारा की जाएगी। बयान के मुताबिक, ‘अब फेक न्यूज के बारे में किसी तरह की शिकायत मिलने पर यदि वह प्रिंट मीडिया का हुआ तो उसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का हुआ तो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) को भेजा जाएगा। ये संस्थाएं यह तय करेंगी कि न्यूज फेक है या नहीं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसी शिकायत मिलने पर किसी पत्रकार को ज्यादा परेशानी न हो, शिकायत की प्रक्रिया को दोनों एजेंसियों के द्वारा 15 दिन के भीतर निपटाने की व्यवस्था होगी।
प्रिसपल सेक्रेटरी विपिन मिश्र ने इन गाइडलाइंस की जानकारी पीएम काे देते हुए बताया कि अभी देश में वैसे ही भाजपा के खिलाफ माहाैल बन रहा है। एेसे में पत्रकाराें के खिलाफ आई गाइडलाइंस से सरकार की छवि काे आैर घूमिल कर सकती है। पीएम सरकारी सूचनातंत्र से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियाें की बैठक बुलाई आैर उन्हें हड़काया। अधिकारियाें ने कहा कि गाइडलाइंस मंत्रालय स्तर पर तैयार किया है। इसे तैयार करने में उनकी काेई भूमिका नहीं है। मामले की गंभीरता काे समझते हुए पीएम ने इस गाइडलाइंस काे तत्काल प्रभाव से वापस लेने काे कहा। लेकिन तब तक पत्रकाराें में यह बात फैल चुकी थी आैर इसके विराेध की रूपरेखा तैयार करने के लिए प्रेस क्लब अॉफ इंडिया में मिलने का आह्वान किया जा चुका था। प्रेस क्लब में साढ़े चार बजे पत्रकाराें की बैठक हुई। बड़ी संख्या में पत्रकाराें ने एकजुटता का परिचय दिया आैर एेसे किसी भी मीडिया के स्वतंत्रता विराेधी गाइडलाइंस के खिलाफ विराेध प्रदर्शन करने का संकल्प लिया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)