नरेन्द्र सिंह तोमर: अहंकार और आडंबर से दूर लोकप्रिय राजनेता

 


नई दिल्ली। मप्र विधानसभा के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आज अपने यशस्वी जीवन के 68 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। मेरा उनसे परिचय लगभग एक दशक पुराना है। इन दस वर्षों में मैंने उन्हें सत्ता और संगठन में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन करते देखा है। उनके पास पद कोई भी रहा हो, लेकिन वे हमेशा ही सहज बने रहे , आडंबर और अहंकार से कोसों दूर , केवल अपने काम से काम रखने वाले। अपने चार दशक लंबे राजनीतिक जीवन में , नरेन्द्र सिंह तोमर के मन में कभी भी सत्ता और संगठन में किसी बड़े पद की लालसा नहीं रही , न ही वे कभी किसी महत्वपूर्ण पद की दौड़ में शामिल रहे लेकिन उनके कर्मठ व्यक्तित्व और विलक्षण सूझ-बूझ के कारण हमेशा ही उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से नवाजे जाने का सिलसिला वर्षों से जारी है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि नरेन्द्र सिंह तोमर ऐसी शख्सियत के मालिक हैं जो जिस कुर्सी पर बैठते हैं उस कुर्सी का महत्व बढ़ जाता है। थोड़े ही समय में नरेन्द्र सिंह तोमर उस आसंदी की पहचान बन जाते हैं। उनका जुनून, जज्बा और समर्पण देखकर मंजिल स्वयंमेव उनके नजदीक चली आती है परन्तु हमेशा चलते रहने में विश्वास रखने वाले तोमर मंजिल पर पहुंच कर भी कभी रुकते नहीं , मंजिल से भी आगे का सफर तय करने के लिए कोई वे फिर रास्ता खोज ही लेते हैं। सुगम रास्तों पर चलना उनके स्वभाव में नहीं है और पथरीली रास्ते उन्हें विचलित नहीं कर पाते। नरेन्द्र सिंह तोमर के स्वभाव की इसी विशेषता के कारण राजनीतिक नेताओं की भीड़ में उनका चेहरा अलग दिखाई देता है । लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन की दृष्टि में ‘नरेंद्र सिंह तोमर जमीन से जुड़े हुए लोकप्रिय जनप्रतिनिधि हैं जिन्होंने संगठन और सरकार , दोनों ही स्तर पर, अपने अथक परिश्रम, समर्पण और निष्ठा से सफलता और सम्मान अर्जित किया है।’

नरेन्द्र सिंह तोमर जब महाविद्यालयीन छात्र थे तभी उनके अंदर छिपे नेतृत्व के गुण उजागर होने लगे थे। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पार्षद का चुनाव जीतकर की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी विलक्षण राजनीतिक सूझ-बूझ, अद्भुत संगठन क्षमता और अप्रतिम नेतृत्व कौशल ने पार्टी में उनके लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां तय करने में महती भूमिका निभाई। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के रूप में, वे राज्य के दो विधानसभा चुनावों में भाजपा की शानदार विजय सुनिश्चित करने में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दाहिने हाथ साबित हुए। राजनीति के पंडित भी यह मानते हैं कि प्रदेश की राजनीति में भाजपा को शिखर की ऊंचाईयों तक पहुंचाने में शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर की जोड़ी का सबसे बड़ा योगदान रहा है।
नरेन्द्र सिंह तोमर ने अब तक भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष , राज्य सरकार में जनसंपर्क मंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और केंद्र की मोदी सरकार के लगातार दो कार्यकालों में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री पद की जिम्मेदारी को कुशलता पूर्वक निभाते हुए हर जगह पर अपनी एक अलग छवि बनाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वासपात्र मंत्री के रूप में उन्होंने जो गौरव अर्जित किया वह ‌उनके राजनीतिक जीवन की उल्लेखनीय उपलब्धि है और उससे भी बड़ी बात यह है कि अपने चार दशक से अधिक के राजनीतिक सफर में इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद वे आज भी उतने ही सहज सरल हैं जितने कि अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत में दिखाई देते थे।

केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद लगभग एक दशक तक राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहकर उन्होंने एक बार फिर मध्यप्रदेश की राजनीति में वापसी की है और अब वे मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष की आसंदी पर बैठ कर ‘पंच परमेश्वर’की भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं।तोमर अपनी इस पारी की शुरुआत में ही यह संदेश दे दिया था कि वे राज्य विधानसभा में लीक से हटकर कुछ नया करने के इच्छुक हैं।उनकी इस पहल का सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा स्वागत किया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में पहली बार चुनकर आए सदस्यों को आश्वस्त किया कि वे उन्हें सदन में अपने विचार व्यक्त करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि नरेन्द्र सिंह तोमर विधानसभा की कार्यप्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने की जो पहल की है वह राज्य विधानसभा में नये युग की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसके संकेत भी नवनिर्वाचित विधानसभा के शुरुआती सत्र में मिल चुके हैं।श्री तोमर अपने यशस्वी जीवन की सुदीर्घ राजनीतिक यात्रा में उन सभी आकाशीय ऊंचाईयों को स्पर्श करने में सफल हुए हैं जो राजनीति के क्षेत्र में वर्षों तक सक्रिय रहने के बाद भी अनेकानेक राजनेताओं के लिए दुस्वप्न बनी रहती है। त्याग, सेवा और समर्पण से भरा उनका आदर्श राजनीतिक सफर निःसंदेह आज के राजनीतिक वातावरण में उस प्रकाश पुंज की तरह हैं जो नयी पीढ़ी के कार्यकर्ताओं की राह को आलोकित कर उन्हे राष्ट्र के प्रति तन मन धन अर्पित के लिए प्रेरित करने में समर्थ है। श्री तोमर कभी यश अर्जन के अभिलाषी नहीं रहे लेकिन उनकी गणना उन राजनेताओं की अग्रिम पंक्ति में प्रमुखता से की जाती है जो अपार यश अर्जन के बाद भी हमेशा सहज सरल और विनम्रता की प्रतिमूर्ति बने रहे हैं। मैंने उनकी धीर गंभीर छवि में कभी अपने अग्रज तो कभी घनिष्ठ मित्र के दर्शन किए हैं।इस नाते उनके आदर्श व्यक्तित्व और कृतित्व की सारी विशेषताओं को शब्दों की सीमा में बांधना मेरे लिए संभव नहीं है। उनके यशस्वी जीवन के 67 वें वसंत पूरे होने के शुभ अवसर पर मैं उन्हें अपनी ओर से हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।

कृष्णमोहन झा, लेखक राजनैतिक विश्लेषक है

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