रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और नेता प्रपिक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि आज झारखण्ड सरकार, झारखण्ड का 18वां स्थापना दिवस मना रही है। आज इस अवसर पर हम झारखण्ड राज्य के आन्दोलन के लिए शहीद हुए ‘‘धरती पुत्रों’’ के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आज मोराबादी मैदान में रंगा-रंग कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपये खर्च होगें। वहीं झारखण्ड के कई घरों में गरीबी के कारण चुल्हे नहीं जलेंगे। यह झारखण्ड के दो चेहरे को दिखाता है। एक पूंजीपतियों एवं अमीरों का झारखण्ड, जो मोराबादी मैदान में दिखेगा। अखबारों के बड़े-बड़े रंगीन विज्ञापनां में दिखेगा। शहर के कोने-कोने में टंगे पोस्टरों में दिखेगा। और इस चकाचौंध से दूर एक दूसरा झारखण्ड है, जो शहर के चौहदी के बाहर दिखेगा, जो मजदूरों, गरीबों, किसानों एवं बेरोजगार युवकों का झारखण्ड है।
रांची में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान हेमंत सोरेन ने कहा कि आप सभी अवगत हैं कि झारखण्ड की आबादी का एक बड़ा हिस्सा भूखमरी एवं सुखाड़ की विपदा का सामना कर रहा है। आप भली-भांति अवगत हैं कि इस बार मात्र 40 प्रतिशत धान की रोपनी हो पायी थी एवं इसमें से भी कम से कम 15 प्रतिशत धान के पौध में किसानों को खराब धान के बीज उपलब्ध कराये जाने की वजह से इसमें धान की बाली नहीं आयी। खेत सूखे पड़े हैं, गॉंवों में हाहाकार मचा हुआ है। और झारखण्ड का किसान अपनी बदहाली पर रोने के लिए मजबूर है। सुखाड़ से निपटने के लिए घोषित योजनाओं का एक पैसा किसानों को नहीं मिला? लेकिन आज की रात पूरा सरकारी महकमा असंवेदनशील मुख्यमंत्री के नेतृत्व में करोड़ों रुपये के रंगा-रंग कार्यक्रमों का जश्न मनायेगा। आपने कभी ऐसी निर्लज्ज और असंवेदनषील सरकार देखी है? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के उत्सव प्रेम पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है, झारखण्ड के लिए यह एक बड़ा दिन है, खुशियां मनायी जानी चाहिए, मुझे भी आमंत्रण मिला है, इसमें शामिल होकर मैं खुश होता लेकिन जिस प्रकार से पूरा राज्य सुखाड की मार को झेल रहा है, मेरी अन्तआर्त्मा मुझे ईजाजत नहीं देती है कि हम खुशियां मनायें, करोड़ों रुपये खर्च कर बुलाये गये कलाकारों के गीत और संगीत को सुनने का नैतिक साहस मुझमें नहीं है। यदि किसी परिवार में किसी के जन्म दिन के अवसर पर कोई दुर्घटना घट जाये या विपदा आ जाये तो क्या वे अपने समारोह को स्थगित नहीं कर देते हैं? अगर रघुवर दास जी में जरा भी संवेदनशीलता होती तो ये किसान के आंसुओं का सम्मान करते और राज्य गठन के इस महान दिवस पर उनके दरवाजे पर खडे़ होते। लेकिन सारा लोक-लाज त्याग कर ये आज गीत और संगीत का आनंद लेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री व झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि रघुवर दास लगातार गरीबों और किसानों का मजाक उड़ा रहें हैं। ये उनके घावों पर मरहम की जगह नमक छीड़क रहें है। गांव की स्थिति काफी भयावह है। गांव में किसान अनाजों के लिए तरस रहा है, गरीब भूख से संघर्ष कर रहा है। वहां ये कह रहें हैं कि 28 लाख किसानों को मोबाईल देंगे, क्या मोबाईल से किसानों का पेट भरा जा सकता है? इन्हें किसानों के पेट की नहीं अपनी वोट की चिन्ता है। ये व्यापारियों की सरकार है, जो जनता के लिए नहीं अपने मुनाफे के लिए काम करती है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार के खजाने में 500 करोड़ रुपये नहीं है। सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिमाह करोड़ों रुपये खर्च है। किसी भी दिन वेतन बंद हो सकता है और दूसरी तरफ रघुवर सरकार प्रतिदिन अरबो रुपये खर्च कर नये-नये कार्यक्रमों के आयोजन का तमाषा कर रही है। हेमंत सोरेन ने कहा कि रघुवर दास जी झारखण्ड के नीरो हैं। जब रोम जल रहा था, तो नीरो बांसुरी बजा रहा था और पूरा रोम जल गया। उसी तरह जब झारखण्ड जल रहा है, तो रघुवर दास जी करोड़ो रुपये खर्च कर गीत-संगीत का मजा ले रहें हैं।