नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100वें एपिसोड पर बुधवार को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय पैरा-एथलीट दीपा मलिक ने भी हिस्सा लिया। भारतीय एथलीट ने इस बात पर जोर दिया कि इंजीनियर बनना जरूरी नहीं है। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में जिस भी क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला करता है, उसमें उत्कृष्टता और योगदान दे सकता है, तो पीएम नरेंद्र मोदी आपकी सराहना करने के लिए वहां मौजूद रहेंगे।
मन की बात@ 100 राष्ट्रीय संगोष्ठी में मलिक ने कहा, “इंजीनियर बनना जरूरी नहीं है। आप जो भी क्षेत्र चुनते हैं, अगर आप उत्कृष्टता हासिल करते हैं या देश के विकास में योगदान करते हैं, तो पीएम मोदी आपकी सराहना करेंगे।”
सम्मेलन का आयोजन प्रसार भारती द्वारा यहां राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में किया गया था। कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की उपस्थिति में उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने की। देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 100 सम्मानित नागरिक जिनके नाम का उल्लेख प्रधान मंत्री ने “मन की बात” के पिछले एपिसोड में किया था, इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 3 अक्टूबर, 2014 को अपनी स्थापना के बाद से, ‘मन की बात’ एक राष्ट्रीय परंपरा बन गई है, जिसमें प्रधानमंत्री हर महीने राष्ट्र को संबोधित करते हैं, लाखों लोगों को भारत की विकास यात्रा में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं। तब से, इसने नागरिकों के साथ एक संबंध स्थापित किया है। भारत के लोग हर महीने अपने प्रधान सेवक के पास अपनी उपलब्धियों, चिंताओं, खुशी और गर्व के क्षणों के साथ-साथ नए भारत के सुझावों को साझा करते हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत 3 अक्टूबर 2014 को हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिए दुनिया की ऐसी शख्सियतों को खोजा, जिन्होंने अपने क्षेत्र में विशेष योगदान दिया, लेकिन उनकी पहचान छिपी रही। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने मन की बात में जलवायु परिवर्तन, कृषि, कला, संस्कृति और स्वास्थ्य सभी विषयों को शामिल किया और अपने मन की बात कार्यक्रम में हर बार कुछ नया समाज के सामने पेश किया ताकि समाज को इसके बारे में जानकारी मिल सके। इसका मकसद देश को एक सूत्र में बांधना और सबको साथ लेकर विकास करना है।