नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में पीआईओ-सांसद सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि सैकड़ों वर्षों में अनेक लोगों ने भारत छोड़ा होगा लेकिन भारत उनके दिमाग और हृदय में अपना स्थान बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि इसमें आश्चर्य नहीं कि भारतीय मूल के लोगों ने अपनाई गई जमीन से अपने-आप को एकीकृत कर लिया है। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपनी भारतीयता बनाए रखा है और विदेशों में बसे लोगों ने वहां की भाषा, खान-पान तथा वेशभूषा को अपनाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है आज नई दिल्ली में भारतीय मूल के लोगों की मिनी विश्व संसद यहां एकत्रित हुई है। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल के लोग आज मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल के लोग अनेक देशों में राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले तीन से चार वर्षों में भारत के बारे में विश्व की छवि बदली है। उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि भारत स्वयं को बदल रहा है। उन्होंने कहा कि अभी भारत की आकांक्षाएं और आशाएं शीर्ष पर हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में बदलाव देखे जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मूल के लोग जहां कहीं भी हैं भारत के स्थायी राजदूत की तरह हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह विदेश यात्रा के दौरान भारतीय मूल के लोगों से मिलने की कोशिश हमेशा करते हैं।
प्रधानमंत्री ने विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों की समस्याओं पर निरंतर रूप से नजर रखने के लिए विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की सराहना की। इस संदर्भ में उन्होंने ‘मदद’ पोर्टल का जिक्र किया है, जो कंसुलर शिकायतों की निगरानी करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार यह मानती है कि अप्रवासी भारतीय भारत के विकास के लिए सहयोगी हैं। उन्होंने कहा कि नीति आयोग द्वारा तैयार 2020 तक के कार्य एजेंडा में प्रवासी भारतीयों का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति के मूल्य अस्थिरता के युग में पूरे विश्व को दिशा दे सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का आसियान देशों के साथ घनिष्ठ संबंध है। यह घनिष्ठता गणतंत्र दिवस के दौरान देखने को मिलेगी।