नई दिल्ली / टीम डिजिटल। नारी क्या पहने , क्या खाये ? कैसे जिये ? क्या करे ? सब पुरूष द्वारा निर्धारित क्यों ? कितनी बार , कितने मामले ? कोई गिनती नहीं । हां , समय समय पर इसमें नया मामला जुडता रहता है । अब जुडा है नुसरत जहां का मामला जो पश्चिमी बंगाल से नवनिर्वाचित सांसद तो है ही उससे पहले उसकी पहचान एक माॅडल और अभिनेत्री की है । वह रंगोली साडीज की माॅडलिंग से चर्चित हुई । सांसद चुनी गयी तो संसद के सामने जींस में सेल्फी पोस्ट कर चर्चा में आई । तब अविवाहित थी । अब विवाहित और संसद में बालों के बीच सिंदूर व हाथों पर मेहंदी लगाए शपथ ली तो एक समाज के माथे बल पड गये । क्यों सिंदूर लगाया ? क्यों मेहंदी रचायी हाथों में ? भूल गयी तुम कौन हो और किस मजहब से हो ? कितनी बेलगाम औरत हो ? बेशर्म ।
अब फिर से नारी के पहनने और रहने पर पुरूष का फतवा जारी हुआ है जबकि अमिताभ बच्चन अपनी नवासी नव्या को पत्र लिखकर कहते हैं कि कोई दूसरा तुम्हारी ड्रेस निर्धारित क्यों करे ? दूसरे लोग कौन होते हैं ? तुम अपनी मर्जी से जीना । पर यह कैसी मर्जी और कैसे फतवे जो कदम कदम पर सहने पड रहे हैं औरत को ? वह इस बार नुसरत जहां है । कल कोई और थी और कल कोई और होगी ।
यह समाज इतना भी नहीं समझता कि जब शादी हिंदू रीति रिवाज से हुई है तो पहनावा और शादी की परंपरागत ड्रेस भी वैसी ही होगी । नुसरत जहां ने रंगोली साडीज के मालिक जैन से शादी रचाई है । इसलिए सिंदूर और मेहंदी लगा कर सामने आई है । इसमें गलत क्या है ? चुटकी भर सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो ? कितने एक्टर्ज अलग अलग धर्मों में शादी करते हैं । कोई हाय तौबा नहीं मचती । धर्मेंद्र ने मुस्लिम बन हेमामालिनी से शादी की तो कोई नहीं बोला । सुनील दत्त और नरगिस की शादी को बडे सम्मान से देखा जाता है । निदा फाजली की मालती जोशी से शादी पर कोई एतराज नहीं । फिर नुसरत जहां ने क्या कसूर किया ? सोचिए । युवा लडकी विवाह कर संसद में पहुंची और अपने पहरावे के चलते फतवे का शिकार हो गयी । आंख मारने वाली प्रिया को भी फतवे की शिकार होना पडा था । नारी पर इतने बंधन क्यों ? क्या यही महिला सशक्तिकरण है ? क्या यही स्त्री विमर्श है ? इतनी बहसें , इतने सेमिनार और वही ढाक के तीन पात क्यों ? कब यह गुलामी दूर होगी ? क्या यही व्यथा रहेगी :
नारी जीवन हाय
तेरी यही कहानी
आंचल में है दूध
और आंखों में पानी ?