भुवनेश्वर। इतिहास बनाने से जरा सा चूक गए नवीन बाबू। नवीन बाबू यानी नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) । ओड़िशा के मुख्यमंत्री। बीजू जनता दल (BJD) के मुखिया। हालिया विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार की हार का उन्हें सामना करना पड़ा, उसकी उम्मीद उन्हें कतई नहीं होगी।
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) अपनी विधानसभा सीट से भी चुनाव हार गए हैं। बीते 24 साल से ओडिशा की सत्ता में काबित सीएम पटनायक अब तक एक भी बार चुनाव नहीं हारें हैं. यह पहला मौका है जब उन्हें किसी ने चुनाव में शिकस्त दी है। ओडिशा में दो दशक से भी लंबे इंतजार के बाद BJP की सरकार बनने वाली है।
चुनाव परिणाम आने के बाद बुधवार को ओडिशा के निवर्तमान मुख्यमंत्री और BJD प्रमुख नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) ने आज भुवनेश्वर के राजभवन में राज्यपाल रघुबर दास से मुलाकात की। BJD ओडिशा विधानसभा चुनाव हार गई और राज्य की कुल 147 सीटों में से सिर्फ 51 सीटें जीत पाई।
BJP जहां ओडिशा में अपने बूते सरकार बना रही है, वहीं ओडिशा की लोकसभा की 21 सीटों में से 19 सीटें भी BJP के खाते में आई। पिछली बार बीजेपी को 8 सीटें मिली थी। पिछला लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी BJP और BJD ने अलग अलग ही लड़ा था।
मिस्टर शरीफ, ईमानदार, पिता बीजू पटनायक की तेज तर्रार छवि के विपरीत उनकी रिच पोलिटिकल लिगेसी संभालने वाले नवीन पटनायक अगर छठवीं बार ओडिशा की सत्ता संभालते तो देश के पहले मुख्यमंत्री होते जो इतिहास रच रहे होते। पर उनके राज्य ओडिशा में सत्ताविरोधी हवा का रुख वह नहीं समझ पाए। उनके सिपहसालारों ने भी उन्हें हवा नहीं लगने दी। या उनका नेटवर्क निष्क्रिय हो गया हो। अबकी शपथ लेते तो बतौर मुख्यमंत्री नवीन बाबू लंबे कार्यकाल का इतिहास रच रहे होते। यह रिकॉर्ड फिलहाल सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के नाम दर्ज है। नवीन पटनायक इतिहास रचने की तैयारी में थे पर खुद इतिहास बन गए। हार्डलक नवीन बाबू। हां एक बात और आपका उत्तराधिकारी कोई ओड़िया होता तो ठीक था। प्रेम बाबू (नवीन पटनायक के बड़े भाई) के बेटे को ही कमान दे देते। अब सूना सा लगेगा नवीन निवास।